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साल जाते-जाते ISRO का एक और ऐतिहासिक कमाल, SpaDex मिशन की सफल लॉन्चिंग

ISRO ने इसे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है. इस तकनीक के लॉन्च होते ही ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ISRO की सफलता को विकसित भारत की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है.

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isro launch spadex mission will pave way for chandrayaan next mission
ISRO ने 30 दिसंबर को अंतरिक्ष डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (SpaDEX) की पीएसएलवी रॉकेट के जरिए सफल लॉन्चिंग की है. (तस्वीर:ISRO)
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शुभम सिंह
31 दिसंबर 2024 (Updated: 31 दिसंबर 2024, 10:15 AM IST) कॉमेंट्स
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 30 दिसंबर को अंतरिक्ष डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (SpaDeX) की PSLV रॉकेट के जरिए सफल लॉन्चिंग की है. यह लॉन्चिग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुई है. ISRO ने इसे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक मील का पत्थर बताया है. इस तकनीक के लॉन्च होते ही ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ISRO की सफलता को विकसित भारत की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है.

चंद्रयान-4 के लिए यह मिशन काफी महत्वपूर्ण

ISRO ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करके इस सफल लॉन्चिंग के बारे में जानकारी दी. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा,

SpaDex डॉकिंग में भारत की क्षमता स्थापित करने का एक महत्वाकांक्षी मिशन है. यह भविष्य में मानव युक्त अंतरिक्ष मिशन और सैटेलाइट सर्विस मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है.

इस मिशन के सफल होते ही, भारत इस तकनीक को हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया. इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस के पास ही ये तकनीक है. SpaDex यानी space docking experiment. इसके तहत, एक ही सैटेलाइट के दो हिस्से जिन्हें एक ही रॉकेट में रखकर लॉन्च किया गया है. पहला हिस्सा है चेजर यानी लक्ष्य करने वाला और दूसरा है टारगेट यानी लक्ष्य. दोनों अलग-अलग दिशा में लॉन्च कर दिए हैं.

चेजर वाला हिस्सा टारगेट वाले हिस्से को पकड़ेगा. लगभग 10-12 दिनों बाद डॉकिंग शुरू होगी. मतलब दोनों को आपस में जोड़ने की प्रक्रिया शुरू होगी. दोनों के जुड़ने के बाद इलेक्ट्रिकल पावर ट्रांसफर किया जाएगा.

ISRO के लिए यह एक अहम प्रयोग है क्योंकि भविष्य के कई स्पेस प्रोग्राम इस मिशन पर निर्भर करेंगे. यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से मानव को एक अंतरिक्ष यान से दूसरे अंतरिक्ष यान में भेज पाना संभव होता है. चंद्रयान-4 की सफलता भी काफी हद तक इस प्रक्रिया पर निर्भर करेगी.

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विकसित भारत की दिशा में एक और कदम

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने ISRO की इस सफलता पर पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा,

“अंतरिक्ष विभाग से ऐसे समय जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जब टीम ISRO एक के बाद एक वैश्विक सफलताओं से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर रही है.”

उन्होंने कहा कि यह पीएम नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के मंत्र को ‘विकसित भारत’ की ओर अग्रसर करने का मार्ग प्रशस्त करेगा. 

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