अब महिला कैटेगिरी में ओलंपिक नहीं खेल पाएंगे ट्रांसजेंडर तैराक!
ये नई पॉलिसी 20 जून, 2022 से लागू हो गई है. ट्रांसजेंडर तैराकों के लिए दो ज़रूरी शर्तें रखी गई हैं.
FINA. दुनिया भर में जितने भी वॉटर स्पोर्ट्स होते हैं, उनकी गवर्निंग बॉडी है. 19 जून को FINA ने ट्रांसजेंडर एथलीट्स को महिला एलीट कॉम्पटीशन में भाग लेने से बैन कर किया है. शर्त रखी है कि अगर कोई ट्रांस एथलीट पुरुष प्यूबर्टी के किसी भी स्टेज से गुज़रा है, तो वो तैरीकी के किसी भी एलीट महिला कॉम्पटीशन में भाग लेने के लिए एलिजबल नहीं है.
FINA ट्रांस तैराकों के लिए जल्द ही एक 'ओपन' कैटेगरी शुरू कर सकती है.
Women's Category में Transgenders को शामिल करना कितना सही?महिलाओं के खेल में ट्रांसजेंडर महिलाओं को शामिल करने की डिबेट पुरानी है. स्पोर्ट्स सर्किट के अंदर और बाहर, दोनों जगह भयंकर बहस है.
जो लोग ट्रांस एथलीट्स को विमेन्स कैटेगरी में शामिल करने के ख़िलाफ़ हैं, उनका तर्क है कि खेलों की मूल संरचना में ही सेग्रिगेशन है. मसलन, अंडर -12 की कैटेगरी में 15 साल के लड़के नहीं खेल सकते. मीडियम-वेट के साथ हेवी-वेट मुक्केबाज़ नहीं लड़ सकता. पैरालंपिक में भी बहुत सारी अलग-अलग कैटेगरीज़ हैं. ये सब इसलिए कि स्पोर्ट्स निष्पक्ष बने रहें. सभी को लेवल-प्लेयिंग फ़ील्ड मिले. और, स्विमिंग के इस मामले में जो लोग हारने वाले थे, वे केवल महिलाएं थीं. वे निष्पक्ष खेल के अपने अधिकार को खो रहे थे. ये तो हुए उन लोगों के तर्क जो इस कॉन्सेप्ट के ख़िलाफ़ हैं.
जो लोग ट्रांस एथलीट्स के महिला कैटेगरी में खेलने के पक्ष में हैं, उनका कहना है कि खेल को समावेशी होना चाहिए. जैसे समाज को. सदियों से समाज ने ट्रांस समुदाय के लोगों के बहिष्कार किया है. आर्थिक और सामाजिक, दोनों डोमेन्स से उनको सिस्टमैटिकली बाहर रखा है. उनकी पहचान की वजह से. वो जिस तरह अपने आप को पहचानना चाहते हैं, इस वजह से. उनके लिए एक नई कैटेगरी शुरू करने का मतलब है उन्हें उनकी पहचान के अधिकार से वंचित करना.
FINA की शर्तें क्या हैं?2021 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने ट्रांसजेंडर एथलीट्स के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए थे. IOC ने इस नियम को हटा दिया गया था कि ट्रांसजेंडर एथलीट की पात्रता टेस्टोस्टेरोन के स्तर पर आधारित होगी और इंडिविजुअल स्पोर्ट्स को अपने-अपने मानदंड सेट करने की छूट दी थी. इसी के तहत FINA ने ये नई निति बनाई है.
और, ये नीति 20 जून, 2022 से लागू हो चुकी है. इसके तहत ट्रांसजेंडर तैराकों को विमेन्स कैटेगरी में हिस्सा लेने के लिए दो ज़रूरी शर्तें रखी गई हैं. एक तो ये कि वो 12 की उम्र से पहले ही अपना ट्रांज़िशन करवा लें. जेंडर री-असाइनमेंट सर्जरी या सेक्स-चेंज सर्जरी के ज़रिए. और दूसरा, ये कि उन्हें अपने टेस्टोस्टेरोन लेवल को 2.5 नैनोमोल्स प्रति लीटर से नीचे बनाए रखना होगा.
इस नीति के लागू होने के बाद बहुत सारी ट्रांस महिलाएं ओलंपिक जैसे टॉप कॉम्पटीशन में हिस्सा नहीं ले पाएंगी. इसका मतलब ये है कि पेन्सलवेनिया की प्रॉडिजी तैराक लिया थॉमस को अब ओलंपिक में पार्ट लेने से रोक दिया जाएगा. लिया थॉमस के नाम पर US के 300 कॉलेजेज़ के रिकॉर्ड हैं. इस फ़ैसले का सबसे ज़्यादा असर लिया पर ही पड़ेगा, जिन्होंने मार्च 2022 में महिलाओं की 500-यार्ड फ्रीस्टाइल जीता था और पहली ट्रांसजेंडर NCAA चैंपियन बनी थीं. कहा ये भी जा रहा है कि उनके ही रिकॉर्ड्स और गेम को देख कर ये बहस दोबारा शुरू हुई.
बुडापेस्ट में वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान आयोजित कांग्रेस में 71% वोट के साथ ये रूलिंग पारित हुई. FINA के कार्यकारी निदेशक ब्रेंट नोविकी ने कहा,
"इस नीति का ड्राफ़्ट तैयार करने में FINA का दृष्टिकोण विज्ञान पर आधारित था. और FINA के दृष्टिकोण ने कॉम्पटीशन की निष्पक्षता पर ज़ोर दिया."
FINA के अध्यक्ष हुसैन अल-मुसल्लम ने कहा कि संगठन पर एथलीटों के अधिकारों की रक्षा करने की ज़िम्मेदारी थी, लेकिन साथ ही न्यायी कॉम्पटीशन की भी रक्षा करनी थी. कहा,
"FINA हमेशा हर एथलीट का स्वागत करेगी. एक ओपन कैटेगरी का मतलब होगा कि हर किसी के पास एलीट स्तर पर भाग लेने का मौक़ा है. ऐसा पहले नहीं हुआ है, इसलिए फिना को लीड करने की ज़रूरत है. मैं चाहता हूं कि सभी एथलीट ऐसा ही महसूस करें."
कुछ महीनों पहले भी ये डीबेट तेज़ हुई थी. तब ग्रेट ब्रिटेन की पूर्व तैराक शेरोन डेविस ने ने BBC स्पोर्ट को बताया था कि इस फ़ैसले के लिए उन्हें FINA पर गर्व है.
"मुझे फिना पर गर्व है. उन्होंने विज्ञान का सहारा लिया. उन्होंने बोर्ड में सही लोग जोड़े. उन्होंने एथलीटों और कोचेज़ से बात की. तैरना एक बहुत ही समावेशी खेल है, लेकिन खेल का मतलब ही है कि वो निष्पक्ष होना चाहिए और दोनों लिंगों के लिए निष्पक्ष होना चाहिए."
चार साल पहले शेरोन डेविस की ही सदारत में 60 महिला ओलम्पिक मेडलिस्ट्स ने महिलाओं कैटेगरी में ट्रांस वुमन की भागीदारी के ख़िलाफ़ ओलम्पिक कमीटी को चिट्ठी लिखी थी.
पिछले ही हफ़्ते साइकलिंग की गवर्निंग बॉडी ICU ने ट्रांसजेंडर भागीदारी के नियमों में बदलाव किए हैं. ट्रांसजेंडर एथलीट्स को एक सेक्स से दूसरे में जाने के समय को दुगना कर दिया. 12 से 24 महीने. यानी अगर एक अथलीट ट्रांज़िशन कर रहा है तो वो ट्रांज़िशन के दो साल बाद किसी कॉम्पटीशन में भाग ले सकता है. इसके अलावा ICU ने टेस्टोस्टेरोन लेवल को भी आधा कर 5 से 2.5 नैनोमोल्स/लीटर कर दिया है.
हालांकि, FINA की इन नई शर्तों में एक बात बिलकुल इल्लॉजिकल है. एक इंडिविजुअल किस जेंडर के साथ आइडेंटिफाई करता है, ये समझने के लिए 12 साल बहुत कम हैं. अब बच्चे के शुरूआती दिनों में उसे ये तो बताया नहीं जा सकता कि तैराकी करनी है तो जल्दी तय कर लो कि तुम जिस जेंडर के साथ पैदा हुए, उसके साथ तुम सहज हो या नहीं.