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UN में इतिहास बनाने वाली रुचिरा कंबोज ने लड़कियों के लिए क्या मैसेज दिया?

UN में भारत की पहली महिला परमानेंट रिप्रेजेंटेटिव हैं रुचिरा कंबोज.

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Ruchira kamboj
रुचिरा कंबोज (फोटो-इंस्टाग्राम)
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मनीषा शर्मा
3 अगस्त 2022 (Updated: 3 अगस्त 2022, 09:26 PM IST) कॉमेंट्स
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'मैं हर लड़की से कहना चाहती हूं कि हम सबकुछ कर सकती हैं.'

ये उस ट्वीट का हिस्सा है जो रुचिरा कंबोज ने UN में भारत की परमानेंट रिप्रेजेंटेटिव बनने के बाद किया. ये पद संभालने वाली रुचिरा पहली महिला हैं. रुचिरा ने 1 अगस्त को जिम्मेदारी संभाली. उनका इस पद तक पहुंचना भारतीय महिलाओं की लीडरशिप के लिए एक नया माइलस्टोन है.

Ruchira Kamboj ने UN में भारतीय राजदूत TS तिरुमूर्ति की जगह ली है. रुचिरा ने 3 अगस्त को एक फोटो ट्वीट की, साथ में लिखा, 

"आज UN के जनरल सेक्रेटरी एंटोनियो गुटेरेस को अपने क्रेडेंशियल्स पेश किए. UN के परमानेंट रिप्रेजेंटेटिव के रूप में. इस पद पर पहली भारतीय महिला होने का सौभाग्य मुझे मिला. इसकी खुशी है. और मैं हर लड़की को बताना चाहती हूं कि हम सब ये कर सकती हैं."

कौन हैं रुचिरा कंबोज?

रुचिरा कंबोज के नाम कई फर्स्ट्स दर्ज हैं. वो देश की पहली महिला चीफ ऑफ प्रोटोकॉल रह चुकी हैं. भूटान में भारत की पहली महिला एम्बैसडर रही हैं. 

-रुचिरा कंबोज 1987 बैच की भारतीय विदेश सेवा (Indian Foreign Service) की अफसर हैं. उनकी पहली पोस्टिंग फ्रांस में इंडियन एम्बेसी की थर्ड सेक्रेटरी के तौर पर हुई थी. यहां उन्होंने 1989-1991 तक काम किया.  इसी दौरान उन्होंने फ्रेंच भाषा भी सीख ली. और जल्दी ही सेकेंड सेक्रेटरी के पद पर पहुंच गईं.

-रुचिरा इसके बाद दिल्ली आईं और यहां उन्होंने विदेश मंत्रालय के यूरोप वेस्ट डिवीजन में अंडर सेक्रेटरी के रूप में काम किया, 1991-1996 तक. इस कार्यकाल में उन्होंने फ्रांस, ब्रिटेन, बेनेलक्स, इटली, स्पेन, ऑकलैंड, न्यूजीलैंड और पुर्तगाल देशों के साथ भारत के संबंधों पर काम किया.

-1996 से 1999 तक उन्होंने मॉरीशस में फर्स्ट सेक्रेटरी (इकोनॉमिक्स और कमर्शियल) के रूप में काम किया. रुचिरा 1999 में फिर वापस दिल्ली आईं और उन्होंने जून 1999 से मार्च 2002 तक विदेश मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी का पद संभाला.

-2002-2005 में रुचिरा को UN (Newyork) में भारत में एक स्थायी मिशन के काउंसलर के रूप में तैनात किया गया था. और 2006-2009 में वो केप टाउन में भारत की महावाणिज्य दूत थीं. 

-2011-2014 तक, वह भारत की चीफ ऑफ प्रोटोकॉल थीं. चीफ ऑफ प्रोटोकॉल विदेश मंत्रालय के प्रोटोकॉल विभाग का मुखिया होता है. उनका काम डिप्लोमैटिक फंक्शंस में सुरक्षा, लॉजिस्टिक और व्यावहारिक प्रोटोकॉल्स का ध्यान रखना होता है. रुचिरा अब तक इस पद को संभालने वाली पहली और एकमात्र महिला हैं. उन्हें मार्च 2017 में साउथ अफ्रीका में भारत के हाई कमिशनर के रूप में नियुक्त किया गया था.

-रुचिरा 17 मई 2019 से भूटान में भारतीय राजदूत की भूमिका निभा रही थीं.  वो भूटान में भारत की पहली महिला राजदूत रहीं.

-UN में 21 भारतीय प्रतिनिधियों के बाद, रुचिरा कंबोज परमानेंट रिप्रेजेंटेटिव बनने वाली पहली महिला हैं.

लोगों का क्या कहना है?

रुचिका के यूएन में परमानेंट सेक्रेटरी बनने के बाद सोशल मीडिया पर खूब सारे पॉज़िटिव कमेंट्स आ रहे हैं. ग्लोबल इंडियन नाम के ट्विटर अकाउंट से लिखा गया, 

"भारत का सौभाग्य है कि हाल के वर्षों में निरुपमा, हरदीप पुरी, सैयद अकबरुद्दीन, तिरुमूर्ति जैसे उत्कृष्ट राजनयिक मिले हैं जिन्होंने कई चुनौतियों के बाद भी भारत/दुनिया को आगे बढ़ाया है. ऐसे ही भारत दुनिया के लिए एक मिसाल कायम करता रहे."

संजय राय ने लिखा, 

"रुचिरा जी आपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों में ही आपने कामयाबी हासिल की है. आपको बहुत बहुत बधाई."

नंदिता मिश्रा ने लिखा, 

"आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं रुचिरा जी. आप यहां भी अच्छा काम करेंगी. आप एक प्रेरणा हैं."

पर्सनल लाइफ की बात करें तो रुचिरा कंबोज की शादी बिजनेसमैन दिवाकर कंबोज से हुई है. उनकी एक बेटी है. उनके पिता भरतीय सेना में अधिकारी थे और उनकी मां दिल्ली यूनिवर्सिटी की रिटायर्ड प्रोफेसर हैं. रुचिरा तीन भाषाएं बोलती हैं: हिंदी, अंग्रेजी और फ्रेंच. और उनके कई आर्टिकल अखबारों और पत्रिकाओं में छप चुके हैं.

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