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मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करने से औरतों की 'वर्जिनिटी' चली जाती है?

क्या हैं मेन्स्ट्रुअल कप से जुड़े मिथक?

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फोटो - thelallantop
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प्रतीक्षा पीपी
10 नवंबर 2021 (Updated: 10 नवंबर 2021, 08:37 AM IST) कॉमेंट्स
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ऊपर जो तस्वीर दिख रही है, वो किस चीज़ है ये जानते हैं आप? अभी कोई आइंस्टाइन का रिश्तेदार ये जरूर कहेगा. क्या है, तेल पलटने वाली कुप्पी है और क्या. नहीं बेबी, ये कुप्पी नहीं है! और इसमें तेल तो पलट मत लेना. क्योंकि इसके नीचे वाली टिप बिलकुल सीलबंद है. तो क्या बला है ये?
इसे कहते हैं मेन्स्ट्रुअल कप. मेन्स्ट्रुअल यानी पीरियड से जुड़ा हुआ कुछ. शर्माइये मत. और अगर कोई लड़के इसे पढ़ रहे हैं तो भागिए मत. क्योंकि स्वास्थ्य से जुड़ी चीजों का अगर थोड़ा ज्ञान आप ले लेंगे, तो आपका फायदा ही होगा. औरतें किसी और ग्रह से तो आई नहीं हैं. आप ही की दोस्त, सहेलियां, बहनें, पत्नी, मां, बेटी हैं.
तो खैर, ये है मेन्स्ट्रूअल कप. हमारे बचपन में एक ऐड आता था कि अब कपड़ा लगाना भूलो और पैड की ओर बढ़ो. और आज 10-15 साल बाद मैं आपसे कह रही हूं कि पैड की आदत छोड़िये और कप्स की ओर बढ़िए. क्या है मेन्स्ट्रुअल कप? सिलिकॉन से बना एक छोटा सा कप. बेहद सॉफ्ट और ईज़ी टू यूज़ एंड ईज़ी टू स्टोर. माने जरा सी जगह लेगा. इसे अपने पर्स में भी आराम से कैरी कर सकती हैं आप. ये अलग कैसे है. पैड्स को आप बाहर लगाती हैं. यानी अपने अंडरवियर में. मगर कप को आप दबाकर अपने प्राइवेट पार्ट में इन्सर्ट कर सकती हैं. और ये वहां जाकर ठहर जाएगा. जैसा कि आप अनुमान लगा सकती हैं, ये आपका पीरियड ब्लड जमा करता रहेगा. और जब ये भर जाए तब आप इसे टॉयलेट में खाली कर सकती हैं. इस कप को गर्म पानी में अच्छे से उबालकर आप इसे दोबारा इस्तेमाल कर सकती हैं. यानी 300 से 400 रुपये का ये कप तब तक चलेगा, जब तक आप चलाओ. और आपको हर महीने होने वाले पैड्स के खर्चे से मुक्त करेगा.
अब आप ये कहोगे कि दीदी कितने पैसे लिए कप्स वाली कंपनियों से उनकी तारीफ करने के. तो मैं कहूंगी कि भाई ऐसी किस्मत कहां कि हमें स्पॉन्सर मिलें. हम तो बहनचारे में वीडियो बना रहे हैं. और मेरी बात पर आपको कम ही भरोसा होगा. इसलिए हमने बात की एक डॉक्टर से. जो सबसे पहले आपको समझाएंगी कि कप कैसे लगाना है.
"मेंस्ट्रुअल कप दो तरह के होते हैं. एक आता है वजाइनल कप, जो वजाइना में रहता है. और एक आता है सर्वाइकल कप, जो सर्विक्स पर फिक्स हो जाता है. कप्स अलग-अलग साइज़ में आते हैं. यू शेप्ड या सी शेप्ड. इसको इंसर्ट करना बहुत आसान है, मतलब आप अपनी उंगली से कप को बीच में थोड़ा सा दबाइए और अपनी उंगली के इर्द-गिर्द कप को फोल्ड करिए. ऊपर से देखने पर ये एक सी या यू शेप बनाएगा. अब चूंकि ये कंप्रेस्ड है, तो ये आसानी से वेजाइना में इंसर्ट हो जाएगा. बस एक चीज़ ध्यान रखनी है. वेजाइनल कैनल सीधी नहीं होती, तो सीधा इंसर्ट न कर के एक ऐंगल पर पुश करते हुए इंसर्ट करना है. और अगर ज़्यादा आसान करना है, तो उंगली के सहारे डायरेक्शन देख लीजिए. अगर कोई इरिटेशन हो तो लुब्रिकेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक बार ये सही जगह बैठ जाए, तो उंगली हटा लीजिए. कप का मुंह खुल जाएगा."


तो ये कुछ आसान स्टेप्स हैं जिसके जरिए आप मेन्स्ट्रुअल कप प्राइवेट पार्ट में आसानी से इन्सर्ट कर सकती हैं, लेकिन इस्तेमाल के बाद मेन्स्ट्रुअल कप को वापस निकालना कैसे है, ये जानना भी बेहद जरूरी है. डॉक्टर आपको इसका भी आसान तरीका समझाएंगी.
"अब जो इसका टिप है, उसको स्टेम कहते हैं. ये अलग-अलग लोगों पर निर्भर करता है. कुछ लोगों का सर्विक्स नीचे होता है, उनके केस में ये आसानी से निकल जाता है. जिन लोगों की सर्विक्स ऊपर होती है, उनको उंगली इंसर्ट करके निकालना होगा. जैसे इंसर्ट किया था, वैसे ही उंगली से दबा कर निकाल सकते हैं. ज़रूरत लगे तो लुब्रिकेंट इस्तेमाल कर सकते हैं."
अब बात करते हैं मेन्स्ट्रुअल कप से जुड़े कुछ मिथ्स की. हमारी सोसायटी में महिलाओं से जुड़ी किसी भी चीज के बारे में बिना जाने-समझे गलत धारणाएं बना ली जाती हैं. कहा जाता है कि मेन्स्ट्रुअल कप के कई साइड इफेक्ट्स हैं, प्राइवेट पार्ट में इन्फेक्शन हो जाता है और हमेशा इचिंग होती रहती है. ये सब बाते मिथ्स ही हैं. मैं ऐसा क्यों बोल रही हूं? डॉक्टर आपको बेहतर तरीके से समझाएंगी सुनिए.
"इस कप के बहुत फ़ायदे हैं. ये बातें बिलकुल गलत हैं कि इस कप के साइड इफेक्ट्स होते हैं. इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं. कभी-कभी इन्फेक्शन होने का चांस है, लेकिन वो कप की वजह से नहीं होता. हो सकता है हमारे हाथ गंदे हो और उसके कारण इन्फेक्शन हो जाए. इसलिए कप लगाने से पहले गुनगुने पानी से अपना हाथ धो लें.
ये कप्स आप 4 से 6 घंटे तक लगा के रख सकते हैं, अगर पीरियड्स हैवी हों. मैक्सिमाम इसको 12 घंटे तक लगाया जा सकता है. पीरियड कोई टैबू नहीं है. इसके बारे में शर्माने की कोई ज़रूरत नहीं है. ये जन्म देने से संबंधित है. और मेंस्ट्रुअल कप्स पीरियड्स मैनेजमेंट का एक इको फ्रेंडली तरीक़ा है."
सॉफ्ट, ईज़ी टू यूज़ एंड ईज़ी टू स्टोर
सॉफ्ट, ईज़ी टू यूज़ एंड ईज़ी टू स्टोर

मेन्स्ट्रुअल कप की सारी एबीसीडी आपको डॉक्टर ने समझा दी, अब कुछ उन महिलाओं के भी अनुभव जान लीजिए जो मेन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल कर रही है. सबसे पहले जानिए हमारी पूर्व सहकर्मी स्वाति मिश्रा का अनुभव-
मैंने काफ़ी समय तक सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल किया है. सैनिटरी नैपकिन भी कपड़े के मुक़ाबले बहुत सुरक्षित उपाय आया था, लेकिन जब आप सैनिटरी पैड्स की तुलना मेंस्ट्रुअल कप से करेंगे, तो आपको दोनों के बीच बहुत फ़र्क दिखेगा. मेंस्ट्रुअल कप को इस्तेमाल करना बहुत आसान है. लड़कियों को बहुत सारी शंकाएं होती हैं. सबसे पहले तो ये होता है कि साइज़ का क्या चक्कर होता है? स्मॉल, मीडियम, लार्ज में कैसे चुनें? फिर ये सवाल आते हैं कि कप को इंसर्ट करने से क्या वजाइना को कोई नुकसान पहुंचता है? ये सारी जो चिंताएं, इस पर बहुत सोचने की ज़रूरत नहीं है. कप पर लिखा होता है कि आप किस आयु वर्ग की हैं, आपको प्रेगनेंसी हुई है कि नहीं, आप शादीशुदा हैं कि नहीं. ये सारी बातें पैक पर साफ़-साफ़ लिखा होता है.
हमारे ख्याल से अब तक आपको मेन्स्ट्रूअल कप से जुड़े कई सवालों के जवाब मिल गए होंगे. फिलहाल इसका यूज़ करना या न करना आपकी च्वाइस है... जैसे हमारी च्वाइस है आपका फीडबैक.

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