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दो बड़े नेताओं के सेक्स टेप, एक निर्मम हत्या: भंवरी देवी केस में आरोपियों को कैसे मिली बेल

10 साल पहले इस केस ने राजस्थान में भूचाल ला दिया था.

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भंवरी देवी की हत्या सितंबर 2011 में कर दी गई थी.
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लालिमा
11 अगस्त 2021 (Updated: 11 अगस्त 2021, 02:25 PM IST) कॉमेंट्स
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दस साल पहले की बात है. एक महिला अचानक से 'गायब' हो गई थी. वो न तो कोई बड़ी नेता थी और न कोई बड़ी अधिकारी. एक नर्स थी वो. लेकिन उसका 'गायब' होना इतना बड़ा मुद्दा बना कि जांच CBI माने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन को सौंप दी गई. मामले की पड़ताल जब हुई तो राजस्थान की राजनीति में भूचाल आ गया. दो बड़े कांग्रेसी नेता तक नप गए. कुल 17 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई. इनमें इन दोनों नेताओं के करीबी लोग भी शामिल थे. अब तक आप समझ गए होंगे कि हम 'भंवरी देवी मर्डर' केस की बात कर रहे हैं. ये केस एक बार फिर खबरों में है. क्योंकि मंगलवार यानी 10 अगस्त को राजस्थान हाई कोर्ट ने छह आरोपियों को ज़मानत दे दी है. वहीं दो हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी की ज़मानत याचकि मंज़ूर की थी. आज हम आपको बताएंगे कि इन सात आरोपियों को ज़मानत क्यों दी गई और आखिर 'भंवरी देवी' के साथ 10 साल पहले क्या हुआ था? पूरे केस पर तसल्ली से बात की जाएगी.

अभी क्या हुआ?

पहले ताज़ा अपडेट पर बात करते हैं. समाचार एजेंसी 'PTI' की रिपोर्ट के मुताबिक, दो हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के एक आरोपी परसराम बिश्नोई की ज़मानत मंज़ूर की थी. परसराम के वकील महेश जेठमलानी के तर्कों ने इस ज़मानत का आधार तैयार किया था. वकील ने तर्क दिया था कि केस फाइल होने के चार साल बाद केस का ट्रायल शुरू हुआ था और परसराम साल 2012 से जूडिशियल कस्टडी में है. आगे तर्क दिया कि परसराम से जुड़े सभी सबूत कोर्ट द्वारा पूरे किए जा चुके हैं, इसलिए अब ऐसी कोई बात नहीं बचती, जिसके चलते परसराम को ज़मानत न दी जा सके. इसके बाद इस आरोपी को मिल गई ज़मानत.

फिर 10 अगस्त को राजस्थान हाई कोर्ट ने भी छह अन्य आरोपियों को ज़मानत दे दी. सुप्रीम कोर्ट का फैसला इन छह आरोपियों की ज़मानत का आधार बना. इनमें से एक के वकील ने संजय बिश्नोई ने हाई कोर्ट में तर्क दिया था कि

"सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार मानते हुए हम ये ऑर्ग्यू करते हैं कि इन लोगों ने 9 साल जूडिशियल कस्टडी में पूरे कर लिए हैं, जबकि इस केस के ट्रायल के नतीजे के बारे में अभी कुछ भी पता नहीं है."

इसके बाद जस्टिस दिनेश मेहता ने छह आरोपियों को बेल ग्रांट कर दी. वहीं केस के मुख्य आरोपी महिपाल मदेरणा की ज़मानत अर्ज़ी पर सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तारीख तय की. मदेरणा, दस साल पहले राजस्थान की कांग्रेस सरकार में मंत्री थे. जल संसाधन मंत्रालय की ज़िम्मेदारी उनके हाथ में थी. इस वक्त ट्रीटमेंट के चलते अंतरिम बेल पर बाहर हैं. वहीं कांग्रेस के पूर्व सांसद मलखान सिंह बिश्नोई समेत उनकी बहन इंदिरा बिश्नोई, बिशनराम बिश्नोई. कैलाश जाखर, शहाबुद्दीन, भंवरी देवी का पति अमरचंद समेत दो अन्य लोग जूडिशियल कस्टडी में ही हैं.


Bhanwari Devi And Mahipal Maderna
भंवरी देवी और महिपाल मदेरणा.

कैसे पहुंचे हाई-प्रोफाइल लोग सलाखों के पीछे?

अब बताते हैं कि इतने हाई प्रोफाइल लोग सलाखों के पीछे कैसे पहुंचे. जितनी भी मीडिया रिपोर्ट्स हमने पढ़ीं, उनके मुताबिक, 36 साल की भंवरी देवी राजस्थान के जोधपुर में रहती थीं. Auxiliary Nurse Midwife थीं. माने नर्स थीं. बिलाड़ा के जालीवाड़ा गांव के सब-सेंटर में काम करती थीं. उनकी महिपाल मदेरणा और मलखान सिंह बिश्नोई से करीबी जान-पहचान थी. सवाल उठता है कि इन दोनों से भंवरी की मुलाकता कैसे हुई. बताते हैं. भंवरी देवी जालीवाड़ा के पहले पैनन कस्बे के एक अस्पताल में काम करती थीं. लेकिन वहां शिकायत की गई कि वो नौकरी से ज्यादातर समय गायब रहती हैं, इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. बस यहीं से भंवरी देवी की ज़िंदगी ने लिया यू-टर्न.

नौकरी वापस पाने के लिए भंवरी गईं मलखान सिंह के पास. वो लूनी विधानसभा सीट से विधायक थे. मलखान उन्हें लेकर गए महिपाल मदेरणा के पास. जो तब जल संसाधन मंत्री थे. दोनों नेताओं की सिफारिश पर कलेक्टर ने भंवरी को दोबारा नौकरी पर रखने का आदेश दिया. उन्हें जोधपुर ज़िले के जालीवाड़ा के सब-सेंटर में नर्स की नौकरी दी गई.

कहा जाता है कि दोनों नेताओं से मुलाकातों के बाद भंवरी देवी की ज़िंदगी बदल गई. नामी लोगों के साथ जान पहचान बढ़ गई. पैसा आ गया. लेकिन 1 सितंबर को वो अचानक गायब हो गईं. उनके पति अमरचंद ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. शंका जताई कि महिपाल मदेरणा ने उसकी पत्नी का किडनैप किया है. साथ ही हत्या की भी आशंका जताई. तब तक भंवरी देवी का नाम एक कथित सेक्स सीडी मामले में सामने आ चुका था. ये रिपोर्ट्स आई थीं कि भंवरी देवी के पास एक सेक्स सीडी थी, जिसमें महिपाल मदेरणा उनके साथ दिख रहे थे. ये सीडी सर्कुलेट भी हुई थी. मामला चूंकी काफी हाई प्रोफाइल था, इसलिए इसकी जांच सौंपी गई CBI को.


Malkhan
मलखान सिंह बिश्नोई.

CBI ने क्या पाया?

CBI ने दिसंबर 2011 में पहली चार्जशीट दाखिल की. जिसमें महिपाल मदेरणा का नाम शामिल था. ये चार्जशीट राजस्थान हाई कोर्ट में दाखिल की गई थी. मदेरणा के अलावा शहाबुद्दीन, सोहन लाल और बालिया नाम के व्यक्तियों का नाम भी चार्जशीट में था. CBI ने पहली चार्जशीट दायर करने के पहले कई सारे टेप्स और ऑडियो क्लिप्स छान मारे थे, ये पता लगाने के लिए कि क्या भंवरी देवी ने मदेरणा को ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी या नहीं. नवंबर 2011 में मदेरणा से पूछताछ भी की थी CBI ने. NDTV की एक रिपोर्ट की मानें, तो मदेरणा ने भंवरी देवी के साथ रिलेशन होने की बात स्वीकार भी की थी. ये भी जान लीजिए कि तब राज्य में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे, कांग्रेस की सरकार थी. उन्हीं के कैबिनेट मंत्री का नाम सीडी केस में और कथित किडनैपिंग-मर्डर केस में सामने आने के बाद गहलोत ने मदेरणा को अक्टूब 2011 में ही मंत्री पद से हटा दिया था.

चार्जशीट फाइल करने के बाद दिसंबर में ही CBI ने मदेरणा को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद अमरचंद की भी गिरफ्तारी हो गई. क्योंकि अमरचंद ने मामले की जांच के दौरान अलग-अलग बयान दिए थे. उसके ऊपर भी मर्डर और हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप लगे. दूसरी चार्जशीट फाइल की फरवरी 2012 में. इसमें CBI ने मदेरणा समेत मलखान सिंह को मुख्य आरोपी बनाया. भंवरी देवी अपहरण और हत्या मामले में. तब तक मलखान की भी गिरफ्तारी हो चुकी थी. दोनों के ऊपर IPC के सेक्शन 302 यानी हत्या, 120-बी यानी आपराधिक साजिश, 364 यानी किडनैपिंग समेत और भी कई धाराओं में केस दर्ज हुए. इसके अलावा आठ अन्य आरोपियों के नाम भी इस चार्जशीट में थे. इसी में था अमरचंद का नाम.

तब तक हुई जांच में ये बात सामने आ चुकी थी कि 1 सितंबर को भंवरी देवी वाकई किडनैप हुई थीं. उनकी हत्या करके उनके शव को जलाया गया और शव के बचे हुए हिस्से को राजीव गांधी केनाल में बहा दिया गया था. मदेरणा और मलखान के खास सोहनलाल ने शहाबुद्दीन नाम के गुंडे के साथ मिलकर उनका कत्ल किया था. CBI को नहर से भंवरी देवी की हड्डियां घटना के चार महीने बाद मिली थीं, जिन्हें जांच के लिए अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई को दिया गया था.

इसके बाद फाइल हुई तीसरी चार्जशीट. और इसके साथ ही 17 आरोपियों के नाम तय हो गए थे. तब तक 16 की गिरफ्तारी हो चुकी थी, केवल मलखान की बहन इंदिरा बिश्नोई फरार थी. तब तक हुई जांच में ये सामने आया था कि भंवरी देवी का मदेरणा और मलखान दोनों के साथ संबंध थे. वो दोनों को ब्लैकमेल कर रही थीं. मदेरणा से सेक्स सीडी वायरल करने के नाम पर 50 लाख रुपए मांग रही थीं. तो मलखान के ऊपर ये प्रेशर डाल रही थीं कि वो पब्लिकली ये एक्सेप्ट करे कि भंवरी देवी की सबसे छोटी बेटी के पिता वो हैं. इसके अलावा मलखान के साथ भी इसी तरह की सीडी भंवरी देवी के पास थी. इस चार्जशीट के साथ ये साफ हो गया था कि एक सितंबर को भंवरी के साथ क्या हुआ था.

CBI की तीसरी चार्जशीट के मुताबिक, मलखान सिंह का एक रिश्तेदार था सोहनलाल. 1 सितंबर 2011 के दिन भंवरी देवी की मुलाकात इसी रिश्तेदार से बिलाड़ा में हुई थी. वो अपनी कार की पेमेंट कलेक्ट करने के लिए सोहनलाल से मिली थीं. इधर सोहनलाल का बेटा पुखराज बिश्नोई ने अपने पिता के मोबाइल से अपना सिम कार्ड बदल दिया था. इस मकसद से कि अगर भविष्य में पुलिस जांच करे तो सिम कार्ड की लोकेशन से ये साबित हो जाए कि 1 सितंबर को सोहनलाल बिलाड़ा में था ही नहीं. इधर अमरचंद को भी पैसे दिए गए थे कि वो कार की पेमेंट लेने भंवरी के साथ न जाए और जाकर लापता होने की शिकायत दर्ज कराए. इधर कार का पैसा लेने गई भंवरी देवी फिर कभी नहीं लौटी.


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भंवरी देवी मामले में कुल 17 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी.

और क्या बात सामने आई?

टाइम्स ऑफ इंडिया और हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये भी कहा जाता है कि भंवरी देवी की किडनैपिंग और हत्या की साजिश मलखान और मदेरणा ने मिलकर रची थी. मदेरणा के साथ सेक्स टेप बनाने में भंवरी का साथ दिया था इंदिरा बिश्नोई ने. इंदिरा का मकसद था कि वो मदेरणा का सेक्स टेप बनवाकर उसे डिफेम कर कैबिनेट से हटवा देगी, ताकि उसके भाई मलखान को कैबिनेट में जगह मिल जाए. यानी भंवरी देवी की तथाकथित हत्या के पीछे अगर मदेरणा का हाथ है, तो उसका मोटिव तो क्लीयर हो गया.

वहीं अगर मलखान बिश्नोई की बात करें, तो जैसा कि पहले बताया कि भंवरी देवी ये प्रेशर बना रही थी कि मलखान पब्लिकली ये स्वीकार करे कि वो भंवरी की छोटी बेटी का पिता है. भंवरी देवी चाहती थीं कि मलखान उनसे ये वादा करे कि वो छोटी बेटी की शादी खुद करवाएं और 20 किलो सोना दें, 50 लाख रुपए खर्च करें. यानी मलखान का मोटिव भी साफ हो गया.

CBI ने ये सारी बातें अपनी चार्जशीट में कही हैं. हालांकि ये सारा मैटर अभी कोर्ट में है. इंदिरा को छोड़कर सभी की गिरफ्तारियां 2011 और 2012 में हो गई थीं. जबकि इंदिरा 2017 में मध्य प्रदेश से गिरफ्तार की गई थी, वो फरार चल रही थी. और अब 17 में से भी कई आरोपी ज़मानत पर बाहर आ चुके हैं. 10 साल से ये मामला कोर्ट में अटका हुआ है. कोई फैसला नहीं सुनाया गया. हम उम्मीद करते हैं कि इस मामले में कोर्ट जल्द फैसला सुनाए, क्योंकि कहा जाता है कि- justice delayed is justice denied. एक महिला की मौत हो चुकी है, उसके आरोपी धीरे-धीरे जेल से बाहर आ रहे हैं, ऐसा न हो कि इंसाफ में ज्यादा देर हो जाए.


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