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प्रयागराज हिंसा के मुख्य आरोपी जावेद की बेटी आफरीन फातिमा कौन हैं, जिनके लिए JNU में प्रदर्शन हुआ?

आफरीन फातिमा JNU में पढ़ती हैं. प्रशासन ने 12 जून को उनके पिता और प्रयागराज हिंसा के मुख्य आरोपी मोहम्मद जावेद के घर पर बुलडोजर चला दिया. आफरीन फातिमा ने 11 जून को अपने पिता की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी. फातिमा CAA-NRC प्रोटेस्ट के टाइम काफी एक्टिव थीं. अब उनके समर्थन और विरोध में सोशल मीडिया पर कैंपेन चल रहे हैं.

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बाएं से दाएं. Afreen Fatima और उनके पिता के घर पर चला बुलडोजर. (फोटो: ट्विटर/इंडिया टुडे)
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12 जून 2022 (Updated: 20 जून 2022, 20:41 IST)
Updated: 20 जून 2022 20:41 IST
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प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने 10 जून को हुई हिंसा (Prayagraj Violence) के मुख्य आरोपी मोहम्मद जावेद के घर पर बुलडोज़र चला दिया है. प्राधिकरण की तरफ से 11 जून की रात को जावेद के घर पर चिपकाए गए नोटिस में कहा गया था कि 12 जून की सुबह 11 बजे तक घर से सामान हटाकर उसे ख़ाली कर दें, ताकि PDA कार्रवाई कर सके. इस मामले में पुलिस ने मोहम्मद जावेद को मुख्य आरोपी बताया है. जावेद पर प्रयागराज में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की साजिश रचने का आरोप है.

प्रयागराज विकास प्राधिकरण के मुताबिक, जावेद का घर अवैध तरीक़े से बनाया गया था. घर को गिराते वक़्त इलाक़े में भारी पुलिस बल तैनात किया गया. पूरी कार्रवाई करीब पांच घंटे चली. 

इस बीच मोहम्मद जावेद से जुड़ीं कई ख़बरें आ रही हैं. जावेद की एक बेटी JNU में पढ़ती है. आफ़रीन फ़ातिमा नाम है. स्टूडेंट ऐक्टिविस्ट हैं. पुलिस ने बताया कि आफ़रीन अपने पिता के साथ राय-मशवरा करती हैं. SSP अजय कुमार ने कहा कि ज़रूरत पड़ी, तो वो पुलिस टीम दिल्ली भेज कर जांच कराएंगे और अगर आफरीन का कोई रोल सामने आता है, तो उन्हें भी हिरासत में लिया जाएगा. इस बीच सोशल मीडिया पर आफरीन फातिमा के समर्थन और विरोध में कैंपेन चल रहे हैं. उनके समर्थन में 12 जून को JNU में विरोध प्रदर्शन हुआ.

कौन हैं Afreen Fatima?

आफरीन फातिमा इलाहाबाद से हैं. उन्हें 2018 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) विमेन्स कॉलेज की प्रेसिडेंट चुना गया था. वहां वो बीए लैंग्वेज की स्टूडेंट रहीं. 2019 में मास्टर्स के लिए JNU में एडमिशन लिया.

सितंबर 2019 में JNU के स्टूडेंट यूनियन के चुनाव हुए. इसी में JNU के दूसरे स्कूलों में भी चुनाव हुए. इन्हीं में से एक है स्कूल ऑफ लैंग्वेज एंड कल्चरल स्टडीज़. इसी से काउंसलर पद पर चुनी गईं आफ़रीन फातिमा. काउंसलर्स का काम होता है अपने अपने स्कूल्स की मेंटेनेंस का ध्यान रखना. लाइब्रेरी खुली है या नहीं ये देखना. काम-काज ढंग से चलता रहे, ये सुनिश्चित करना. इस चुनाव में आफरीन को BAPSA-फ्रैटर्निटी (BAPSA-बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन) का सपोर्ट मिला.

CAA-NRC विरोध-प्रदर्शनों के वक़्त आफरीन फातिमा बहुत एक्टिव रहीं. उस दौरान आफ़रीन का एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें वो कह रही थीं कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट की कार्यशैली पर भरोसा नहीं है. भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी ये वीडियो ट्वीट किया था. वीडियो में आफ़रीन कह रही थीं,

आज जब हम उतरे हैं, CAA-NRC की वजह से उतरे हैं, लेकिन सिर्फ उसके खिलाफ नहीं उतरे हैं. CAA NRC के बाद हम रियलाइज करते हैं कि हमारा कोई भरोसा ही नहीं है किसी चीज़ पर. न हम सरकार पर भरोसा कर सकते हैं, न हम सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा कर सकते हैं.

ये वही सुप्रीम कोर्ट है जिसने 'कलेक्टिव कौन्शियंस' के लिए अफ़जल गुरु को फांसी पर चढ़ाया था. ये वही सुप्रीम कोर्ट है जिसको आज पता चलता है कि पार्लियामेंट अटैक में अफ़जल गुरु का कोई हाथ नहीं था. ये वही सुप्रीम कोर्ट है जो बोलती है कि बाबरी मस्जिद के नीचे कोई मंदिर नहीं था. ताला तोड़ना गलत था. मंदिर/मस्जिद गिराना गलत था. और फिर बोलती है कि यहां पर मंदिर बनेगा. हमको सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं है.

आफ़रीन ग्रेजुएशन में भी पॉलिटिक्स में एक्टिव थीं, और अभी भी हैं. (तस्वीर: ट्विटर)
JNU की पॉलिटिक्स में कहां मौजूद थीं आफ़रीन?

JNU के अपने दिनों के दौरान आफ़रीन प्रेसिडेंट नहीं, सेक्रेटरी नहीं, काउंसलर थीं. ABVP, AISA, SFI, AISF से भी नहीं. BAPSA-फ्रैटर्निटी मूवमेंट के टिकट से. ये लेफ्ट और राइट दोनों पार्टियों से अलग है. एक इंटरव्यू में आफ़रीन ने बताया था कि लेफ्ट और राइट दोनों ही दबे-कुचलों को अपने हिसाब से इस्तेमाल करते हैं. राइट विंग वाले ये खुलेआम करते हैं, लेफ्ट वाले सोशल जस्टिस के नाम पर करते हैं, तो उतना पता नहीं चलता. लेफ्ट से उन्हें ये भी दिक्कत है कि उसने कभी कैम्पस में विकल्पों को पनपने नहीं दिया. 

आफ़रीन अपनी मुस्लिमों की सेल्फ-आइडेंटिटी को लेकर उनके विचार बहुत फ़र्म हैं. 'मनोरमा ऑनलाइन' को दिए एक इंटरव्यू में आफ़रीन ने कहा था,

बहुत गहरे धंसा इस्लामोफोबिया है इस कैम्पस (JNU) में. जैसे ही कोई मुस्लिम लेफ्ट या राइट की बाइनरी से आगे बढ़कर अपने मुस्लिम होने या अपनी अलग पहचान की बात करता है, उसे कम्यूनल कह दिया जाता है.

एक दिन पहले यानी 11 जून को आफरीन फातिमा ने राष्ट्रीय महिला आयोग को एक पत्र लिखा. सोशल मीडिया पर डाले गए इस पत्र में उन्होंने अपने माता-पिता और बहन की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा था कि पुलिस उनके घरवालों को जबरन घर से बाहर निकाल रही है. ताजा जानकारी ये है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आफरीन फातिमा और उनके पिता मोहम्मद जावेद के समर्थन में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. 

प्रयागराज हिंसा: पुलिस ने अब तक 5000 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज

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