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ये शॉर्ट फिल्म घरेलू हिंसा का वो चेहरा दिखाती है, जिस पर लोग बात नहीं करते

नंदिता दास की इस फिल्म का नाम है - लिसन टू हर.

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यूट्यूब पर सात मिनट की ये फिल्म दिखाती है कि घरेलू हिंसा किस तरह अलग-अलग तरीकों से की जाती है. बीन तरफ लिखा हुआ है- फुस्फुसाओं, बोलो, चीखो- तुम्हारी आवाज़ सुनी जाएगी. ये फिल्म के अंत में लिखा हुआ आता है. (तस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट)
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1 जून 2020 (Updated: 1 जून 2020, 11:30 AM IST) कॉमेंट्स
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नंदिता दास. एक्ट्रेस हैं. 'फायर' और 'बवंडर' जैसी फिल्में की हैं. डायरेक्टर भी हैं. 2018 में इनकी डायरेक्ट की हुई फिल्म 'मंटो' आई थी. अब इन्हीं की एक शॉर्ट फिल्म यूट्यूब पर रिलीज हुई है. नाम है लिसन टू हर. यानी ‘उसकी सुनो’. फिल्म घरेलू हिंसा पर आधारित है. लेकिन इसमें एक बात है, जो इस मुद्दे पर बनी कई फिल्मों से हटकर है. ये फिल्म घरेलू हिंसा के कई चेहरे दिखाती है.
फिल्म में नंदिता का किरदार एक कामकाजी महिला का है. घर पर बैठी वो मीटिंग निपटा रही है. बीच-बीच में उसका बच्चा और उसका पति उसे परेशान करते हैं. पति भी बैकग्राउंड में ऑफिस का काम निपटा रहा है, ऐसा दिखाया गया है. लेकिन रह-रहकर नंदिता को कुछ न कुछ काम करने को कहता रहता है. कभी कॉफ़ी बनाने को, तो कभी दरवाज़ा खोलने को. वो काम निपटाते हुए ये सारी चीज़ें भी करती जा रही हैं.
Nandita नंदिता का किरदार घर से ऑफिस का कम कर रहा है. लेकिन बीच-बीच में उसे अपने बच्चे को भी देखना है, अपने पति की डिमांड्स भी पूरी करनी है. (तस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट)

इसी बीच एक फोन आता है, जिस पर एक सिहरती हुई आवाज़ आती है. महिला किसी NGO की तलाश में फोन कर रही है. नंदिता रॉन्ग नंबर कहकर फोन काट देती हैं. वापस फोन आता है और उस तरफ से आई आवाज़ नंदिता को कंपाकर रख देती है.
फिल्म में घरेलू हिंसा का डराने वाला रूप तो दिखाया गया ही है, जो अक्सर ख़बरों में देखने और पढ़ने को मिलता है. लेकिन उसके अलावा एक हिंसा और है, जो चुपचाप झेली जाती है. जिस पर कोई बात नहीं करता. वो हिंसा जो इस फिल्म में नंदिता के किरदार के साथ हो रही है.
Nandita 4 नंदिता पुलिस को फोन लगाने की कोशिश करती है. उन्हें बताती है  कि उस औरत के साथ क्या हुआ. लेकिन वहां से भी टका-सा जवाब ही आता है. (तस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट)

पल-पल उस पर चीखता, हुक्म झाड़ता पति बैकग्राउंड में होते हुए भी कितना पावरफुल है, ये फिल्म देखते ही समझ आ जाता है. हिंसा सिर्फ शरीर नहीं झेलता. पुलिस का रवैया भी कैसा है, ये कहने की ज़रूरत नहीं. आम तौर पर ऐसी शिकायतें अक्सर आती हैं कि घरेलू हिंसा के मामलों में पुलिस भी आपसी समझौते पर जोर देती है. फिल्म का अंत एक ऐसी जगह होता है, जहां नंदिता का किरदार अपनी आवाज़ ढूंढने की कोशिश करता हुआ दिखाई देता है.
फिल्म यहां देख लीजिए. ज्यादा नहीं, कुल सात मिनट की है.

नंदिता दास ने 'ऑडनारी' को दिए इंटरव्यू में बताया कि ऐसे मामलों में महिलाएं शिकायत क्यों नहीं करतीं जल्दी. उन्होंने कहा,
इन मामलों में लोग अक्सर विक्टिम पर हावी हो जाते हैं. उससे कहते हैं, अरे तुम अपने पति के खिलाफ जा रही हो. घर की इज्ज़त बाहर लेकर जा रही हो. उस पर इतना दबाव डाल देते हैं कि वो डर जाती है. सोचती है मैं कुछ नहीं कहूंगी. मार खा लूंगी, लेकिन लोगों को या अपने मां-बाप को नहीं बताऊंगी. मैं यूट्यूब कमेंट्स देख रही थी, उसमें कई यंग लड़कियों ने ये बात भी कही कि कई बार मम्मी-पापा खुद कहते हैं कि चुपचाप सहो. और लोग भी सहते हैं, तो तुम भी सहो. 
नंदिता ने ये भी कहा कि आज के समय में भी हम इन्हीं चीजों से डील कर रहे हैं. जब औरतें स्पेस में जा रही हैं, तब हम इस पर अटके हुए हैं. हमें आज भी कहना पड़ रहा है कि भई मत मारो अपनी औरतों को. कितने लोग हैं, जिन्होंने बताया कि उनके घर में काम करने वाली डोमेस्टिक हेल्प कह रही हैं कि उन्हें काम पर वापस आने दिया जाए. जब उनसे कहा गया कि लॉकडाउन है, मत आओ. तो उनका जवाब था कि उन्हें घर से बाहर निकलना है, क्योंकि उन्हें घर पर मार पड़ रही है.
भारत में घरेलू हिंसा
हाल में ही रिपोर्ट आई थी कि लॉकडाउन की वजह से कई लोग अपने हिंसक पार्टनर्स/परिवार के सदस्यों के साथ घर में बंद होने को मजबूर हैं. इस वजह से उनके ऊपर होने वाली हिंसा भी बढ़ गई है. नेशनल कमीशन फॉर विमेन के अनुसार, 23 मार्च से लेकर 16 अप्रैल के बीच कमीशन के पास 239 शिकायतें आईं. मेल और वॉट्सऐप के ज़रिए. आम दिनों के मुकाबले ये संख्या दोगुनी है.
18 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और आम आदमी पार्टी की सरकार को निर्देश दिए कि घरेलू हिंसा से लड़ने के लिए टॉप लेवल की मीटिंग बुलाई जाए और लॉकडाउन के दौरान विक्टिम्स को सुरक्षित रखा जाए.
Violence India Today 750 लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी देखी गई है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)

ये मुद्दा सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में चिंता का विषय बना हुआ है. फ्रांस में लॉकडाउन के बाद घरेलू हिंसा के मामलों में 36 फीसद छलांग आई. ये सिर्फ पेरिस के आंकड़े हैं. वहां की सरकार ने घोषणा की कि जो भी लोग घरेलू हिंसा का शिकार हो रहे हैं, उनके लिए सरकार होटल के कमरों में रहने का इंतजाम करेगी. कमरों के पैसे देगी. जब तक मामला बेहतर तरीके से हैंडल नहीं हो जाता.
वहीं UK में लॉकडाउन के बाद के तीन हफ़्तों में अभी तक 14 महिलाएं और दो बच्चे मारे जा चुके हैं, घरेलू हिंसा में. ये रिपोर्ट वहां के काउंटिंग डेड विमेंस प्रोजेक्ट के रिसर्चर्स ने जारी की.


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