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3 महीने में 11 हजार केस, तेजी से फैल रही मम्प्स बीमारी, कैसे करें बचाव?

केरल में बच्चों में मम्प्स बीमारी तेज़ी से फैल रही है. पिछले 3 महीनों में 11 हज़ार से ज़्यादा केसेस सामने आए हैं. आइए जानते हैं कि आमतौर पर बुखार से शुरू होने वाली इस बीमारी से कैसे बचाएं बच्चों को? क्या हैं इसके लक्षण और बचाव के तरीके क्या हैं?

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Mumps disease is spreading in children know how to prevent it
मम्प्स एक संक्रामक बीमारी है जो वायरस के कारण फैलती है. (सांकेतिक फोटो)
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सरवत
26 मार्च 2024 (Updated: 26 मार्च 2024, 03:29 PM IST) कॉमेंट्स
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मम्प्स. कभी इसका नाम सुना है? हो सकता है बचपन में सुना हो. क्योंकि स्कूल टाइम में बच्चों को ये बीमारी खूब होती थी. एक बच्चे को होती थी तो उससे औरों को फैलती थी. इसमें कानों के पास सूजन हो जाती थी. मुंह खोलने, खाने में बड़ा दर्द होता था. लेकिन पिछले कुछ समय से ये बीमारी केरल में खूब फैल रही है. पिछले 3 महीने में 11,000 से ज़्यादा मामले सामने आए हैं. 10 मार्च को ही एक दिन में 190 मामले रिपोर्ट किए गए. डॉक्टर से जानिए कि मम्प्स बीमारी क्यों होती है? इसके मामले एकदम से क्यों बढ़ रहे हैं? इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचाव व इलाज के तरीके क्या हैं?

मम्प्स क्यों होती है?

ये हमें बताया डॉक्टर तनु सिंघल ने. 

 Dr. Tanu Singhal - Best Paediatrics Doctor in Mumbai
डॉ. तनु सिंघल, कंसल्टेंट, संक्रामक रोग, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल

मम्प्स बीमारी एक वायरस के कारण होती है. इसे RNA वायरस कहते हैं. इस वायरस का संक्रमण हवा के द्वारा होता है. अगर किसी इंसान को मम्प्स है और वो छींकता, खांसता या किसी के पास सांस लेता है तो ये वायरस हवा में आ जाता है. जब कोई उस वायरस को सांस के ज़रिए अंदर लेता है तो उसे भी इन्फेक्शन हो जाता है. 

मम्प्स के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

आजकल मम्प्स के मामले काफ़ी बढ़ रहे हैं. इसका एक कारण है MMR (मीज़ल्स, मम्प्स, रूबेला) वैक्सीन नहीं लेना. गवर्नमेंट प्रोग्राम के तहत लोगों को MR (मीज़ल्स, रूबेला) वैक्सीन दी जाती है. ये केवल मीज़ल्स और रूबेला से बचाती है. लेकिन प्राइवेट सेक्टर में MMR वैक्सीन दी जाती है. MMR वैक्सीन न लेना भी मम्प्स के मामले बढ़ने का एक कारण हो सकता है. 

इसके लक्षण क्या हैं?

आमतौर पर बुखार से शुरुआत होती है, ये हल्का या तेज़ हो सकता है. हर उम्र के इंसान को ये बीमारी हो सकती है. लेकिन ज़्यादातर मामले बच्चों और किशोरों में देखे जाते हैं. बुखार के बाद थूक की ग्रंथियों में सूजन आ जाती है. अगर पैरोटिड ग्रंथि में सूजन है तो कान के आगे सूजन होगी. अगर सबमांडिबुलर ग्रंथि में सूजन है तो ये जबड़े के नीचे सूजन देखी जाती है. इस सूजन की वजह से दर्द होता है. मुंह खोलने और खाना खाने में दिक्कत हो सकती है.

हालांकि, अच्छी बात ये है कि ज़्यादातर मरीज़ 5-7 दिनों में ठीक हो जाते हैं और सूजन भी चली जाती है. इसके बाद पूरी उम्र मम्प्स की समस्या नहीं होती लेकिन कुछ लोगों में कॉम्प्लिकेशन देखने को मिलता है. सीरियस कॉम्प्लिकेशन में मेनिनजाइटिस हो जाता है. इसमें उल्टियां और सिरदर्द होता है. इसके लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है. पैंक्रियाटाइटिस हो सकता है, जिसमें पैंक्रियास में सूजन आ जाती है. इससे बहुत तेज़ पेट दर्द होता है. ऑर्काइटिस भी हो सकता है. इसमें टेस्टिस की स्वेल्लिंग की वजह से दर्द होता है. आगे जाकर इनफर्टिलिटी भी हो सकती है. 

मम्प्स से बचाव करना है तो MMR  (मीज़ल्स, मम्प्स, रूबेला) वैक्सीन लें
मम्प्स से बचाव और इलाज के तरीके क्या हैं?

मम्प्स से बचने के लिए MMR वैक्सीन लें. इलाज लक्षणों के आधार पर होता है. पेशेंट को पैरासिटामोल दी जाती है. आइबुप्रोफ़ेन दी जाती है. साथ ही ज़्यादा पानी पीने के लिए कहा जाता है. कॉम्प्लिकेशन के बारे में आगाह किया जाता है. जैसे सिर, पेट या अंडकोश की थैली में दर्द हो तो डॉक्टर से संपर्क करें. ये बीमारी फैलती है इसलिए अगर किसी इंसान को मम्प्स हैं तो उसे तब तक बाहर नहीं जाना चाहिए, जब तक वो ठीक न हो जाए. परिवारवालों को MMR वैक्सीन भी दी जा सकती है ताकि वो भी इस बीमारी से बचे रहें. ज़रूरी है कि अगर आपके आसपास किसी को मम्प्स हों, तो उससे थोड़ा दूरी बना लें क्योंकि ये बीमारी फैलती है. मास्क भी ज़रूर पहनें. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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