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शीशे में आंखें चेक कीं तो दिखे अलग-अलग रंग, क्या ये बीमारी है?

हेट्रोक्रोमिया जन्म के समय से भी हो सकता है और एक कंडीशन के कारण भी.

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heterochromia
हेट्रोक्रोमिया के मामले भारत में कम पाए जाते हैं.
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11 सितंबर 2023 (Updated: 11 सितंबर 2023, 17:41 IST)
Updated: 11 सितंबर 2023 17:41 IST
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आपको पता है हमारा शरीर परफेक्ट्ली सिमेट्रिकल नहीं होता. यानी शरीर का लेफ्ट और राइट साइड एकदम एक जैसा नहीं होता. साइज़ में थोड़ा बहुत 19-20 का फ़र्क होता है. तभी आपको अपनी एक आंख छोटी और दूसरी आंख बड़ी लगती है. पर अगर आप अपनी आंखों के रंग पर गौर करें, तो दोनों आंखों का रंग एकदम एक जैसा होता है. भूरी तो दोनों भूरी. काली तो दोनों काली. पर कभी-कभी इन दोनों के रंगों में भी फ़र्क होता है. एक भूरी तो दूसरी काली. एक भूरी तो दूसरी हरी.

हमें सेहत पर मेल आया नंदन का, जिनके यहां कुछ महीने पहले ही एक बेटा पैदा हुआ है. जन्म के बाद ही घरवालों ने नोटिस किया कि उसकी आंखों के रंग में थोड़ा फ़र्क है. कुछ महीने बाद बात पक्की हो गई. घरवाले डर गए कि कहीं कोई बीमारी तो नहीं है. कहीं इसकी वजह से उसकी आंखों की रोशनी पर तो असर नहीं पड़ेगा. डॉक्टर को दिखाया तो पता चला उसे हेट्रोक्रोमिया (Heterochromia) नाम की एक कंडीशन है. इसमें दोनों आंखों का रंग अलग होता है. नंदन चाहते हैं हम अपने शो पर इस कंडीशन के बारे में बात करें और लोगों को सही जानकारी दें. चलिए डॉक्टर से जानिए हेट्रोक्रोमिया क्यों होता है?

दोनों आंखों का रंग अलग क्यों होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर विजय माथुर ने.

(डॉक्टर विजय माथुर, सीनियर कंसल्टेंट, शार्प साइट आई हॉस्पिटल्स)

> हेट्रोक्रोमिया (Heterochromia) एक बहुत ही रेयर आंखों की कंडीशन है.

> हेट्रोक्रोमिया एक लैटिन शब्द है. हेट्रो का मतलब होता है ‘अलग’ और क्रोमिया का मतलब होता है ‘रंग’.

> हेट्रोक्रोमिया का मतलब हुआ अलग-अलग रंग.

> ये दो तरह का होता है, कॉन्जेनिटल और एक्वायर्ड.

> कॉन्जेनिटल हेट्रोक्रोमिया (Congenital Heterochromia) जन्मजात होता है. ये भी दो तरह का होता है.

> इसमें या तो दाईं या बाईं आंख अलग रंग की होती है या एक ही आंख में दो अलग-अलग रंग होते हैं.

> ये बचपन से होता है और काफ़ी रेयर होता है. इसमें घबराने की कोई बात नहीं है.

> भारत में ये कंडीशन और भी ज़्यादा रेयर है.

> विदेशों में ये कंडीशन ज़्यादा कॉमन है.

> इसका कोई भी बचाव का तरीका या अलग से इलाज करने की ज़रूरत नहीं होती

> अब बात करते हैं एक्वायर्ड हेट्रोक्रोमिया (Acquired Heterochromia) के बारे में.

> इसका मतलब है बचपन से जो आंखों का रंग था, उसमें बदलाव आना. ऐसा आंखों की कुछ बीमारियों में होता है.

> एक बीमारी है जिसे फ्यूक्स हेटरोक्रोमिक इरिडोसाइक्लाइटिस (Fuchs Heterochromic Iridocyclitis) कहते हैं.

> इसका कारण आजतक पता नहीं चल पाया है. ये बीमारी भी बहुत रेयर होती है.

> एक्वायर्ड हेट्रोक्रोमिया, फ्यूक्स हेटरोक्रोमिक इरिडोसाइक्लाइटिस जैसी बीमारियों में हो सकता है.

> इसका भी अलग से कोई बचाव नहीं होता.

> अगर आंखों में आईरिस (आंखों के जिस हिस्से में रंग होता है) या किसी और हिस्से का रंग बदलते हुए दिखे तो आंखों के डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं.

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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