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अचानक जी घबराता है और सांस फूलने लगती है, एंग्जायटी नहीं... ये है पैनिक अटैक! दोनों में फर्क जान लीजिए

लोग अक्सर एंग्जायटी और पैनिक अटैक के बीच कंफ्यूज़ रहते हैं. एंग्जायटी लंबे समय तक चलती है जबकि पैनिक अटैक अचानक से होते हैं. हालांकि, इनके लक्षण लगभग एक जैसे ही हैं.

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difference between anxiety and panic attack know causes symptoms and treatment
एंग्जायटी और पैनिक अटैक एक-दूसरे से बहुत ज़्यादा मिलते-जुलते हैं. (सांकेतिक फोटो)
11 जून 2024
Updated: 11 जून 2024 14:07 IST
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सिचुएशन वन. कल आपका एग्ज़ाम है. सबसे कठिन सब्जेक्ट का. आपका दिल तेज़ धड़क रहा है. घबराहट हो रही है. या आपको स्टेज पर कोई भाषण देना है. आपके हाथ-पैर फूल रहे हैं. पसीना आ रहा है. या आप एक कॉर्पोरेट मजदूर हैं और कल एक बड़े प्रोजेक्ट की डेडलाइन है. आप डर के मारे सो नहीं पा रहे. बहुत परेशान हैं. सिर में दर्द रहा है.

अब आते हैं सिचुएशन टू पर. कोई एग्जाम नहीं है. आप आराम से कॉलेज में हैं. स्टेज पर भाषण भी नहीं देना है. ऑफिस में प्रोजेक्ट की डेडलाइन बीत चुकी है और आपने सबसे बेस्ट परफॉर्म किया है. सब कुछ नॉर्मल है. लेकिन, तभी अचानक आपकी सांसें तेज़ चलने लगती हैं. दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगता है. आपका जी घबराने लगता है. सिर चकराने लगता है. हाथ-पैर सुन्न पड़ने लगते हैं. पेट में दर्द होने लगता है. सीने में भारीपन महसूस होता है. ऐसा लगता है जैसे जान जा रही हो.

घबराहट दोनों ही केस में हो रही है. लेकिन, सिचुएशन वन में वजह है एंग्जायटी. यानी आपकी ज़िंदगी में कुछ ऐसा चल रहा है, जिसका असर आप पर पड़ रहा है. सिचुएशन टू, की वजह है पैनिक अटैक. अचानक शुरू होने वाली घबराहट. कई बार बिना वजह. इसका असर भी देर तक रहता है. ये दोनों ही, यानी एंग्जायटी और पैनिक अटैक आम समस्याएं हैं.

हममें से कई लोग इनसे कभी न कभी जूझ चुके हैं. ये सिर्फ हमारे शरीर को ही तकलीफ नहीं देते. इनका हमारी मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ता है. इसलिए, आज डॉक्टर से जानेंगे कि एंग्जायटी और पैनिक अटैक क्या होते हैं? इनमें फर्क क्या है? दोनों के लक्षण क्या हैं? इनसे बचाव और इनका इलाज कैसे किया जा सकता है? 

एंग्जायटी और पैनिक अटैक के बीच फर्क क्या है?

ये हमें बताया डॉ. शांभवी जैमन ने.

डॉ. शांभवी जैमन, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट, फोर्टिस, गुरुग्राम

एंग्जायटी एक मानसिक अवस्था है, जिसमें धीरे-धीरे घबराहट और बेचैनी होती है. आमतौर पर अगर कोई अपने अभी के हालातों या भविष्य को लेकर परेशान हैं तो उसे इस तरह की घबराहट और बेचैनी हो सकती है. 

वहीं पैनिक अटैक अचानक से होने वाली मानसिक स्थिति है. इसमें अचानक बहुत डर, घबराहट या बेचैनी होती है. ऐसा लगता है कि सब कुछ खत्म होने वाला है. कुछ बहुत निगेटिव होने वाला है.

इनके लक्षण क्या होते हैं?

एंग्जायटी और पैनिक अटैक में बहुत सारे लक्षण महसूस हो सकते हैं. हालांकि, ज़रूरी नहीं है कि हर इंसान को इस तरह के लक्षण हों. कुछ लक्षण जो आमतौर पर देखे जाते हैं, वो हैं सिर का भारी होना. चक्कर आना. धुंधला दिखना. मुंह सूखना. गला सूखना. बहुत ज़्यादा ठंड या गर्मी महसूस होना. हाथ-पैरों का सुन्न पड़ जाना. ऐसा लगना जैसे सुई चुभ रही हो या चींटी काट रही हो. पेट में दर्द होना. मरोड़ उठना. बार-बार बाथरूम जाना. सीना भारी लगना. सांस लेने में दिक्कत होना. ये सारे लक्षण किसी को एंग्जायटी या पैनिक अटैक के दौरान हो सकते हैं. एंग्जायटी में इन लक्षणों की इंटेंसिटी कम होती है. वहीं पैनिक अटैक में ये लक्षण बहुत ज़्यादा बढ़ जाते हैं. ऐसा लगता है जैसे जान जा रही हो.

एंग्जायटी या पैनिक अटैक हों तो तुरंत किसी प्रोफेशनल की मदद लें
बचाव और इलाज

एंग्जायटी और पैनिक अटैक एक-दूसरे से बहुत ज़्यादा मिलते-जुलते हैं. इनके इलाज के लिए प्रोफेशनल मदद ज़रूरी है. जैसे काउंसलिंग या साइकोथेरेपी. इसमें एक साइकोलॉजिस्ट से बात की जाती है. वो समझते हैं कि आखिर आपके साथ क्या हो रहा है. इसके बाद वो आपकी इससे उबरने में मदद करते हैं. दूसरा और सबसे आम इलाज है दवाइयां. कई बार घबराहट या एंग्जायटी केमिकल्स के असंतुलन की वजह से होती है. इन केमिकल्स को संतुलित करने और उन्हें लेवल में लाने के लिए दवाइयां इस्तेमाल की जाती हैं. ये दवाइयां किसी भी साइकेट्रिस्ट या मनोविज्ञान विभाग के डॉक्टर से सलाह लेकर ली जा सकती हैं. कई बार थेरेपी और दवाइयां दोनों का ही इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, ये तभी पता चलेगा जब आप अपने साइकयाट्रिस्ट या किसी साइकोलॉजिस्ट से बात करेंगे.

अगर आपके साथ भी ऐसा होता है. बताए गए लक्षण आपको महसूस होते हैं तो तुरंत एक्सपर्ट से मिलें. अपने लक्षण, अपनी मानसिक स्थिति के बारे में उसे बताएं. इन्हें हल्के में न लें. समय पर उपचार ज़रूरी है वरना स्थिति गंभीर हो सकती है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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