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एग्जाम से पहले पेट में गुड़गुड़ और घबराहट क्यों होती है?

एंग्जाइटी होने पर बॉडी स्ट्रेस हॉर्मोन रिलीज करती है, इस वजह से मांसपेशियों में तनाव-खिंचाव और दिल की धड़कन बढ़ने जैसी दिक्कते होती हैं.

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भागदौड़-टेंशन से भारी जिंदगी और खराब लाइफस्टाइल के कारण भी एंग्जाइटी की समस्या होती है.
19 सितंबर 2023
Updated: 19 सितंबर 2023 19:47 IST
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एंग्जाइटी (Anxiety) शब्द हाल फिलहाल में खूब सुनाई पड़ रहा है. कारण है भागदौड़ और टेंशन से भरी जिंदगी और खराब लाइफस्टाइल (bad lifestyle) से होने वाली दिक्कतें. आज हम इसके बारे में इसलिए बात कर रहें हैं क्योंकि हमारे व्यूअर रोहन ने सेहत पर मेल किया है. रोहन 12th क्लास में पढ़ते हैं. उनका कहना है कि अक्सर एग्जाम से पहले उनका पेट खराब हो जाता है और चक्कर आने लगता है. जबकि उन्होंने कुछ भी ऐसा नहीं खाया जिससे ये दिक्कत हो. 

रोहन की ये समस्या 12th में आने से और बढ़ गई है. कुछ समय पहले उन्होंने डॉक्टर को अपनी समस्या बताई. डॉक्टर ने उन्हें बताया कि पेट खराब और चक्कर आने की वजह खराब खाना नहीं बल्कि एग्जाम को लेकर उनका स्ट्रेस है. अब रोहन चाहते हैं कि हम अपने शो पर स्ट्रेस और एंग्जाइटी से शरीर को होने वाले नुकसान के बारे में बात करें. चलिए डॉक्टर से जानते हैं कि एंग्जाइटी के कारण तबीयत कैसे खराब हो जाती है.

एंग्जाइटी क्यों होती है?

ये हमें बताया डॉक्टर ज्योति कपूर ने.

(डॉ. ज्योति कपूर, फाउंडर-डायरेक्टर, सीनियर साइकेट्रिस्ट, मनस्थली)

- किसी भी व्यक्ति को एंग्जाइटी तब होती है, जब उसे ये लगता है कि कोई चीज उसे नुकसान पहुंचा सकती है.

- किसी भी खतरनाक परिस्थिति में जो हमें नुकसान पहुंचा सकती है, शरीर कुछ स्ट्रेस हॉर्मोन्स रिलीज करता है.

- इन हॉर्मोन्स के रिलीज होने से शरीर में कुछ बदलाव होते हैं ताकि खतरे से बचा जा सके.

- ऐसी स्थिति में जो लक्षण दिखते हैं उन्हें 'एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन' (Acute Stress Reaction) या 'एक्यूट एंग्जाइटी' (Acute Anxiety) कह सकते हैं.

- इसमें मांसपेशियों में तनाव और खिंचाव बढ़ना, दिल की धड़कन बढ़ना, सांस तेज होना या सांस लेने में दिक्कत महसूस करना, पेट गुड़गुड़ होना, बार-बार पेशाब और मल आना, मांसपेशियों में खिंचाव के कारण चक्कर आना और धुंधला दिखने जैसे लक्षण 'एक्यूट स्ट्रेस' में दिख सकते हैं

लंबे समय तक एंग्जाइटी होने पर कैसे लक्षण दिखते हैं?

- अगर लंबे समय तक एंग्जाइटी होती है, जैसे बॉर्डर पर खड़े सिपाही को हमेशा हमला होने का खतरा रहता है, ऐसे में नर्वस सिस्टम हर वक्त डिफेंस मोड में रहता है.

- इस परिस्थिति को 'हाइपर अराउजल' (Hyper Arousal) या 'हाइपर अलर्ट' (Hyper Alert) कहा जाता है.

- ऐसा होने पर मांसपेशियों का तनाव नॉर्मल से ज्यादा बना रहता है, धड़कन तेज हो सकती है.

- सांस लेने की रफ्तार कभी तेज कभी धीरे हो सकती है, इसे 'थोरैसिक ब्रीदिंग' (Thoracic Breathing) कहा जाता है.

- क्रॉनिक स्ट्रेस के वक्त बॉडी में कोर्टिसोल हॉर्मोन की मात्रा काफी ज्यादा होती है.

- इससे बाकी हॉर्मोन्स के स्तर में भी बदलाव आता है, जिस वजह से मेटाबॉलिज्म और इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है.

- शरीर की इम्यूनिटी शरीर पर ही हमला कर देती है जिससे खुजली और गठिया जैसी ऑटो इम्यून दिक्कतें हो सकती हैं.

- पेट में एसिड की मात्रा बढ़ सकती है, हजमा खराब हो सकता है, आंतों को मल निकालने में दिक्कत हो सकती है.

- ये सभी परेशानियां लंबे समय तक एंग्जायटी होने के कारण हो सकती हैं

एंग्जाइटी से शरीर को किस तरह का नुकसान होता है?

- लंबे समय से एंग्जायटी में रह रहे लोगों को हॉर्मोन्स की गड़बड़ी से होने वाली बीमारियां हो सकती हैं.

- जैसे की महिलाओं को एंग्जाइटी या स्ट्रेस से PCOS की समस्या हो सकती है.

- स्ट्रेस के कारण थायराइड, और डायबिटीज की समस्या हो सकती है. शरीर और कमर में दर्द, मांसपेशियों में जकड़न, सिर दर्द जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.

- आजकल ज्यादातर लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां लंबे समय तक स्ट्रेस या एंग्जाइटी में रहने के कारण होती हैं.

- एंग्जाइटी के कारण धड़कन कम-ज्यादा होने से युवाओं में ब्लड प्रेशर की बीमारी हो रही है.

- साथ ही महिला और पुरुष दोनों में ही फर्टिलिटी कम हुई है.

इलाज

- एंग्जाइटी से होनी वाली बीमारियों का इलाज दो चीजों पर निर्भर करता है.

- पहला, एंग्जाइटी से हुई बीमारी कितनी गंभीर है और कितने समय से है. दूसरा, एंग्जाइटी से हुई बीमारी बाहरी कारणों से हुई है या ये आनुवंशिक है.

- आमतौर पर एंग्जाइटी के कारण हुई बीमारी का इलाज उसी रोग से संबंधित डॉक्टर करता है.

- जैसे दिल की समस्या होने पर कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाएं और पेट की समस्या होने पर गैस्ट्रो एंड्रोलॉजिस्ट को दिखाएं. लेकिन जब ये पता चल जाता है कि एंग्जाइटी के कारण ये बीमारियां हो रही हैं तो ऐसे में एंग्जाइटी का इलाज करने से बाकी दिक्कतों का भी इलाज हो जाता है. साथ ही मरीज को तनाव कम करने वाली एक्सरसाइज़ और टेक्निक भी बताई जाती हैं. 

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: हेल्थ को लेकर ज़्यादा डरते हैं, लगता है हर बीमारी आपको है क्यों?

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