बीती 26 मई को नरेंद्र मोदी सरकार के 9 साल पूरे हुए. बहुत सारे संगठनों नेअपने-अपने आग्रहों के तईं इन 9 सालों की विवेचना की. आर्थिक मोर्चे से जुड़ी एकख़बर आई है, जो सरकार के इन 9 सालों को फिर से कटघरे में खड़ा करती है. सरकार का हीएक आंकड़ा कहता है कि बीते साल दस सालों में क़रीब पौने तीन लाख सरकारी नौकरियां कमहुई हैं. राहुल गांधी ने बाक़ायदा आंकड़ों के साथ ट्विटर पर सरकार को घेरा. कहा, हरसाल 2 करोड़ रोज़गार का झूठा वादा करने वालों ने नौकरियां बढ़ाने की जगह, 2 लाख सेज़्यादा खत्म कर दीं! पलट कर सरकार ने उनके आंकड़ो को ग़लत बता दिया. अपना आंकड़ादे दिया. दोनों तरफ से हो रही आंकड़ेबाज़ी के बीच सच क्या है? क्या वाक़ई सरकार नेसरकारी कंपनियों में रोज़गार कम किए हैं? क्या वाक़ई सरकार इन कंपनियों कोप्राइवेटाइज़ करना चाहते हैं, जैसा कांग्रेस इशारा कर रही है?