कवि सम्मेलनों के मंच पर जब महिलाएं की गिनती न के बराबर होती थी. तब 26 साल की एकलड़की वीर रस की कविताएं पढ़कर अपनी पहचान बना रही थी. लेकिन इससे पहले कि दुनियाउसे कविताओं से जानती वो खुद ही खबर बन चुकी थी. 9 मई, 2003 को गोली मारकर उसकीहत्या कर दी जाती है. उसी के घर पर ही उसकी लाश मिलती है. उस लड़की का नाम थामधुमिता शुक्ला. और अखबारों की हेडलाइन बनी मधुमिता हत्याकांड में यूपी सरकार मेंमंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी का नाम आया. आज शो में जनेगें कि आखिर किस बिना परअमरमणि त्रिपाठी और उसकी पत्नी मधुमणि की बची हुई सजा माफ की गई है.