आसान भाषा में आज समझते हैं कि आखिर देश के विकसित शहरों में गिना जाने वालाबेंगलुरु, पानी के लिए क्यों तरस रहा है? बेंगलुरु. नाम सुनते ही जेहन में सबसेपहली तस्वीर क्या आती है? चमचमाती सड़कें, गगनचुंबी इमारतें, उच्च स्तर काइन्फ्रास्ट्रक्चर, आईटी कंपनियों का पसंदीदा शहर. कमाल का मौसम, अच्छा AQI. इस शहरको भारत का 'सिलिकॉन सिटी' कहा जाता है. भारत में सबसे ज्यादा स्टार्टअप्स इसी शहरमें हैं. माने कुल मिलाकर ग्रोथ और डेवलपमेंट के मामले में देश का सबसे उन्नत शहर.लेकिन फिलहाल ये शहर पानी जैसी मूलभूत आवश्यकता की कमी से जूझ रहा है. सबसे पहले जानिए बैंगलोर को कितने पानी की जरूरत है? #बेंगलुरु की जरूरतें?(कार्ड बनेगा)-बेंगलुरु की कुल आबादी करीब एक करोड़ चालीस लाख के आसपास है. -रोजाना पानी की खपत या यूं कहें की जरूरत 260 से 280 करोड़ लीटर प्रतिदिन है. -इसमें करीब 170 करोड़ लीटर पानी कावेरी नदी से आता है. बाकी जरूरतों के लिए यहाँके निवासी बोरवेल पर निर्भर हैं. - वर्तमान समय में सिर्फ 100 से 120 करोड़ लीटर पानी की सप्लाइ हो रही है. -माने इस वक्त जरूरत से लगभग 150 करोड़ लीटर पानी कम मिल रहा है. -बेंगलुरु के तीन हजार से ज्यादा बोरवेल सूख चुके हैं. -पूरे कर्नाटक में सूखे की वजह से 236 में से 223 तालुके प्रभावित हुए हैं.