जीने के लिए सूअर का दिल लगवाने वाले दूसरे शख्स की मौत, पहले व्यक्ति का क्या हुआ?
58 साल के लॉरेंस फॉसेट को सूअर का दिल लगाया गया था. 20 सितंबर को उनकी हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी हुई थी. पहले महीने उनकी हालत ठीक लग रही थी. लेकिन फिर हार्ट रिजेक्शन के संकेत दिखने लगे और 30 अक्टूबर को उनकी मौत हो गई.

जिंदा रहने के लिए सूअर का दिल लगवाने वाले दूसरे शख्स की भी मौत हो गई है. अमेरिका में इस साल सितंबर महीने में एक इंसान के शरीर में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट (Pig Heart Transplant) किया गया था. ये दुनिया का दूसरा ऐसा हार्ट ट्रांसप्लांट था, जिसमें जेनेटिकली मॉडिफाइड एक सूअर का दिल किसी इंसान में लगाया गया हो. ये सर्जरी अमेरिकी राज्य मैरीलैंड में हुई थी. यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर में 58 साल के लॉरेंस फॉसेट के शरीर में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट किया गया था. लेकिन 30 अक्टूबर को उनकी मौत हो गई.
सर्जरी के 40 दिन बाद मौतयूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन ने बताया,
“सर्जरी के बाद लॉरेंस फॉसेट में सुधार हुआ था. उनकी फिजिकल थेरेपी चल रही थी. वो परिवार के साथ वक्त बिता रहे थे. पत्नी ऐन के ताश खेल रहे थे. हाल के दिनों में, उनके हार्ट ने रिजेक्शन के शुरुआती लक्षण दिखाना शुरू कर दिया. इंसानों अंगों के ट्रांसप्लांट में भी ये चुनौती रहती है. मेडिकल टीम की पूरी कोशिश के बावजूद लॉरेंस फॉसेट को बचाया नहीं जा सका. उनकी 30 अक्टूबर को मौत हो गई.”
लॉरेंस फॉसेट 14 सितंबर, 2023 को यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर में एडमिट हुए थे. इस दौरान वो हार्ट फेल के अंतिम स्टेज में थे. फॉसेट की मेडिकल कंडीशन के चलते उनके शरीर में किसी इंसान का दिल ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता था. इसलिए उनके शरीर में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट करने का फैसला लिया गया. इस प्रयोग के लिए आधिकारिक मंजूरी लेनी होती है.
यहां देखें- तारीख: कैसे हुई थी भारत में हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी की शुरुआत?
15 सितंबर, 2023 को अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने फॉसेट के शरीर में सूअर का दिल लगाने की इमरजेंसी मंजूरी दी. उन्हें 20 सितंबर, 2023 को जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर का हार्ट लगाया गया. यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के मुताबिक हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद सब ठीक लग रहा था. सर्जरी के बाद पहले महीने के दौरान ट्रांसप्लांट किए गए हार्ट ने अच्छे से काम किया. फॉसेट के शरीर में इस हार्ट के लिए रिजेक्शन का कोई संकेत नहीं था. लेकिन बाद में उन्हें दिक्कत होने लगी.
इंसान के शरीर में सूअर का दिलदरअसल, इंसानी शरीर आसानी से दूसरों के अंग एक्सेप्ट नहीं करता है. वो उसे रिजेक्ट कर देता है. रिजेक्शन का ये काम शरीर का इम्यून सिस्टम करता है. इसीलिए ट्रांसप्लांटेशन का काम आसान नहीं है, खासकर इंसान के शरीर में किसी दूसरे जानवर का अंग लगाना. जानवरों के अंगों को इंसानों में ट्रांसप्लांट करना, जेनोट्रांसप्लांटेशन (xenotransplantation) कहलाता है.
जेनोट्रांसप्लांटेशन के रिसर्च में जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअरों के अंग फोकस में रहे हैं. इसकी वजह सूअरों और इंसानों में थोड़ी फिजियोलॉजिक समानता होना है. मतलब शारीरिक अंगों के काम करने के तरीके में समानता होना. यहां जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर का मतलब जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए लैब में तैयार किए गए सूअरों से है. जेनेटिक मॉडिफिकेशन इसलिए ताकि इंसान का शरीर सूअर के दिल को एक्सेप्ट कर सके. जानवर का दिल लगाए जाने पर शरीर की प्रतिक्रिया एक तरह से नियंत्रित रहे और शरीर उस दिल को रिजेक्ट न करे.
लॉरेंस फॉसेट की सर्जरी के बाद पहले महीने इस तरह के रिजेक्शन का कोई संकेत नहीं मिला था. वो अपनी फिजिकल थेरेपी में लगे हुए थे. लेकिन फिर लॉरेंस फॉसेट के शरीर में ट्रांसप्लांट किए गए हार्ट के लिए रिजेक्शन के साइन दिखने लगे. लॉरेंस फॉसेट हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद करीब 6 हफ्ते तक जीवित रहे और 30 अक्टूबर को उनकी मौत हो गई. लॉरेंस फॉसेट नेवी में थे. वो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के लैब टेक्निशियन भी रहे.
सूअर के दिल से पहला हार्ट ट्रांसप्लांट
जेनेटिकली मॉडिफाइड पिग का हार्ट पहली बार 7 जनवरी, 2022 को एक इंसान के शरीर में लगाया गया था. ये सर्जरी भी यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर में हुई थी. 57 साल के डेविड बेनेट को एक टर्मिनल हार्ट डिजीज था यानी दिल की एक गंभीर बीमारी थी. इनका दिल काम करने लायक नहीं रह गया था. इसलिए हार्ट ट्रांसप्लांट कराना बहुत जरूरी था. लेकिन दिक्कत ये भी थी कि बेनेट को किसी इंसान का दिल नहीं लगाया जा सकता था. उन्हें जेनेटिकली मॉडिफाइड एक सूअर का दिल लगाया गया. डेविड बेनेट का हार्ट ट्रांसप्लांट तो हो गया था, लेकिन लगभग दो महीने में 8 मार्च, 2022 को उनकी मृत्यु हो गई थी.

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