'वाइफ नॉर्थ इंडियाना' रसम के ऐड पर बवाल, इंटरनेट पर भिड़ गए लोग!
सोशल मीडिया इस ऐड को लेकर बंटा हुआ है. किसी को ये नॉर्थ-साउथ इंडिया के लोगों के लिए अपमानजनक लगा, तो वहीं किसी को ये मल्टीकल्चरल मैरिज को प्रोत्साहन देनेवाला लगा.
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कर्नाटक के बेंगलुरु में एक ऐड को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. ऐड है रसम पेस्ट का. रसम एक फेमस साउथ इंडियन डिश है. विवाद एक पोस्टर को लेकर हो रहा है, जिसमें एक व्यक्ति की तस्वीर के साथ प्रश्नवाचक वाक्य लिखा है - "Wife North Indiana??." और नीचे जवाब में लिखा है - "Rasam in seconds!"
पहली दफा देखें तो लगेगा कि इसमें क्या विवाद. कोई डिश सेकंड्स में बनाकर तैयार कर सकते हैं तो इसमें किसी को क्या आपत्ति? दरअसल, ऐड के मायने निकलते हैं कि ‘उत्तर भारतीय पत्नी? तो सेकेंड्स में रसम तैयार कीजिए’. सोशल मीडिया पर लोग इसे सेक्सिस्ट और अपमानजनक बता रहे हैं. हालांकि, कुछ को ये ऐड काफी क्रिएटिव भी लगा.
लोग क्या कह रहे?तेजस दिनकर नाम के एक यूज़र ने X पर इस ऐड की एक तस्वीर शेयर करते हुए ऐड के प्रति नाराजगी जताई.
उन्होंने लिखा,
"आज का ये ऐड जो सेक्सिस्ट है, साथ ही साथ उत्तर और दक्षिण भारत दोनों के लिए अपमानजनक है."
गुरुवार, 4 जनवरी को तेजस ने ये तस्वीर शेयर की. तब से इस पर सैकड़ों लोगों की प्रतिक्रियाएं आई हैं. लोगों के मत बंटे हुए हैं. कुछ लोगों को ये ऐड नागवार गुजरा है तो कुछ को लगता है कि ये ऐड उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों के बीच शादी को प्रोत्साहित करता है.
स्तूति नाम की यूजर ने लिखा,
इस टैगलाइन में तीन शब्द हैं, जो अलग-अलग कारणों से आपत्तिजनक हैं.

एक अन्य यूजर ने कटाक्ष किया,
मेरी सहानुभूति है, इसमें (ऐड में) क्या लॉजिक है?

एक यूज़र ने लिखा,
“कुछ लोगों को ये बुरा लग रहा है. जबकि कुछ लोग एक फूड प्रोडक्ट के ऐड को एक से अधिक संस्कृतियों के बीच शादी (Multi Cultural Marriages) के लिए मददगार मान रहे हैं.”

ऐसा ही कुछ एक दूसरे यूज़र ने लिखा,
“ये ऐड कम से कम इंटर-रिलीजनल शादी को प्रोत्साहित कर रहे हैं.”

एक और यूज़र लिखते हैं,
"मुझे नहीं लगता कि कौन उत्तर/दक्षिण/पूर्व/पश्चिम का भारतीय इस ऐड का बुरा मानेगा. मुझे व्यक्तिगत तौर पर तो ये ऐड फनी और क्रिएटिव लगा. मैं तो सौ फीसदी इंदिरा का ये रसम पेस्ट खरीदूंगा."

एक और यूज़र कहते हैं,
"समाज सेक्सिस्ट (लिंगवादी) है. इसीलिए मार्केट और ऐड की स्ट्रैटेजीज उसी तरह की हैं. अपनी ऊर्जा समाज को बदलने में लगाएं, कॉरपोरेट ऐड्स को बदलने में नहीं."

कुछ यूजर्स ने ऐड का मतलब भी स्पष्ट करने की कोशिश की. एक ने लिखा,
"ये ऐड अनुचित हो सकता है. लेकिन ऐड खुद में जातिवादी या लिंगवादी नहीं है. ये सिर्फ भारत के सम्मिलित सांस्कृतिक अनुभव को दिखाता है. जहां कुछ उत्तर भारतीय महिलाएं हो सकता है कि दक्षिण भारतीय व्यंजनों से ठीक से परिचित ना हों. मीडिया (जनसंचार के माध्यम) का काम सिर्फ एक आदर्श समाज को दिखाना नहीं है."

ये सही भी है कि भारत जैसे देश में खाने से लेकर बोली और पहनावे तक विविधताओं का भंडार है. इन विविधताओं को आत्मसात करने के लिए और कम से कम संतुलन बैठाने के लिए मानसिकता संकीर्ण नहीं होनी चाहिए. ये किसी भी तरह के समाज में सामंजस्य बिठाने के लिए एक जरूरी शर्त है. इस ऐड का दूसरा पहलू भी है. ऐड देखकर ये सवाल उठाया जा सकता है कि क्या रसम या कोई भी दूसरा खाना बनाना सिर्फ पत्नियों का काम है. इस सवाल का जवाब कम से कम हम बेशक ना में ही देंगे.

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