6 जून 2016 (Updated: 6 जून 2016, 01:01 PM IST) कॉमेंट्स
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दुनिया टॉपरों की दुश्मन क्यों हुई ?
इस बार बिहार में रिजल्ट बहुत कम आया है. आधे से ज्यादा बच्चे फेल हो गए हैं. फिर भी महान 'विशुन राय कॉलेज' के बच्चे, सारे बच्चे, फर्स्ट क्लास पास हुए हैं. ढेर सारे टॉपर भी हैं. 2012, 2013, 2014 , 2015 में भी इस स्कूल के बच्चे टॉप किये थे.
वहां तक ठीक है. पर जांच में पता चला कि इस बार के टॉपर की कॉपी बदल दी गई थी. एक ही नंबर की दो कॉपियां लायीं गई और खेल हो गया. कैमरा-वैमरा सब देखते रहे और धुआं-धुआं हो गया.
बिहार बोर्ड ने 'विशुन राय स्कूल' की कॉपियां सबसे सुरक्षित सेंटर पर भेजी थी. पर उस समय ये नहीं बताया था कि किसके लिए सुरक्षित था. अब पता चला.
गुप्त सूत्रों की बात
शिक्षा को सुधारने के लिए बिहार सरकार ने नई स्कीम चलायी थी. प्राइवेट स्कूल-कॉलेज को पइसा दिए जाने की बात थी. हर फर्स्ट क्लास लाने वाले बच्चे के लिए स्कूल को 4000 रुपए, सेकंड क्लास के लिए 3000. फिर से कहते हैं. बच्चे को नहीं, स्कूल को. तो माननीय 'बच्चा राय' जो कि विशुन राय स्कूल के मालिक हैं अपना जुगाड़ भिड़ा दिए. बच्चों का करियर बन ही रहा है. साथ-साथ अपना भी बन जाए तो क्या हरज. ये भी तो जनसेवा ही है जी.
तो बिहार में बहार हैबिहार में सबकी बहार है. टॉपर तो गरदा किये ही हैं, अफसर भी हुनर दिखा रहे हैं कि हम भी कम नहीं है. इस मामले की जांच करने के लिए बिहार बोर्ड ने अपना एक आयोग बना लिया. हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज हैं. उनको पकड़ लाये हैं. उधर राज्य सरकार अपना एक अलग बोर्ड बना चुकी है. उसमें सरकारी अफसर हैं. 'वो लोग ज्यादा काबिल हैं'. ये साबित करना है. आखिर बिहार में 'एतना ' कड़ाई के बाद ई कइसे हो गया जी? वीडियो कैमरा लगवाए थे स्कूल-स्कूल घूम घूमकर .
एक थोड़े कम टॉपर ने नाम न बताने की शर्त पर हमसे बात की. गुस्से में था. बोला- पहिले आपस में फरिया लें. तब बात करें हमसे. टॉप कइले हैं. मजाक है. परीक्षा खत्म, भूल गए. अब का? चुनाव के बाद तुम लोग याद रखता है जी? बोल देते हो, जुमला था. हमारा भी जुमला था. हम लें तोहार इंटरव्यू? बताओ, अकाउंट में केतना पइसा आएगा?
यह स्टोरी 'दी लल्लनटॉप' के साथ जुड़े ऋषभ श्रीवास्तव ने लिखी है