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पार्थिव पटेल को अख़्तर से बचाने के लिए सहवाग ने वो किया, जिसे करने से वो खुद डरते थे

फिर सहवाग के साथ जो हुआ, उसे वो जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे.

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अपनी मासूम सूरत के खूब फायदे उठाए हैं पार्थिव पटेल ने.
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प्रवीण
9 मार्च 2022 (Updated: 9 मार्च 2022, 07:22 IST)
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18 साल बाद इंडियन टीम पाकिस्तान के दौरे पर थी. साल था 2004. इंडिया पांच मैच की वनडे सीरीज 3-2 से जीत चुकी थी. उसके बाद तीन टेस्ट मैच की सीरीज का तीसरा और निर्णायक टेस्ट था रावलपिंडी में. सीरीज 1-1 पर थी. पिछले दो टेस्ट मैच में सौरव गांगुली नहीं खेले थे. कप्तान थे तो टीम में वापसी पर किसी को बाहर बैठना था. इसलिए आकाश चोपड़ा को बाहर बिठाकर गांगुली वापस आए.
अब टीम के सामने चुनौती ये थी कि पाकिस्तान के धांसू बॉलिंग अटैक के सामने विरेंदर सहवाग के साथ ओपनिंग कौन करेगा. आकाश चोपड़ा की जगह किसे भेजा जाए? ऐसे में कप्तान सौरव गांगुली ने मासूम सी शक्ल वाले पार्थिव पटेल की तरफ इशारा किया. 18 साल के पार्थिव हड़बड़ा गए.
बोले- दादा मैं कैसे करूंगा. अखतर की गेंदें आग उगलती हैं. ऊपर से मोहम्मद सामी और फजल-ए-अकबर भी 140 से कम की गेंद नहीं फेंकते हैं. टीम के दूसरे प्लेयर्स ने पार्थिव को समझाया कि कर लो यार, टीम के हित में यही है.
17 साल की उम्र में टीम इंडिया में शामिल हुए थे पार्थिव पटेल.
17 साल की उम्र में टीम इंडिया में शामिल हुए थे पार्थिव पटेल.

मगर इसके आगे का जो किस्सा पार्थिव ने बताया वो बेहद मजेदार है. शो प्रजेंटर विक्रम साठे के शो 'वॉट द डक' में पार्थिव ने हंसते हुए कहा,
'मैंने एक शर्त रखी थी. कि अगर हमारी पहले बैटिंग आती है तो मैं ओपन करूंगा और अगर हमारी पहले फील्डिंग आई तो मैं विकेटकीपिंग करने के बाद ओपन नहीं कर पाऊंगा. गांगुली ये मेरी ये शर्त तुरंत मान ली औऱ बोले चलो ठीक है.'
अगली सुबह रावलपिंडी में टॉस हुआ. इंडिया टॉस जीत गई और ग्रीन विकेट होने के चलते पहले बॉलिंग करने का फैसला किया. इस पर पार्थिव ने कहा कि मैं बहुत खुश हुआ कि चलो कम से कम पाकिस्तान के बॉलिंग अटैक को तो नहीं फेस करना पड़ेगा. पहले ही दिन चाय तक पाकिस्तान की टीम ऑल आउट हो गई. एल बालाजी ने चार विकेट लिए थे.
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पार्थिव ने मासूम चेहरा बनाकर सहवाग से की थी एक गुजारिश जिसे सहवाग टाल नहीं पाए.

टीम पविलियन की ओर जा रही है. पार्थिव मस्ती में आगे-आगे चल रहे हैं. पीछे से आवाज आई- छोटू. ओपन करना पड़ेगा. ये आवाज सौरव गांगुली की थी. पार्थिव सन्न रह गए कि मुझसे प्रॉमिस किया गया था कि अगर पहले फील्डिंग आई तो ओपन नहीं करना होगा. मगर कप्तान की बात को कैसे टाल सकते थे. ड्रेसिंग रूम में सहवाग पैड बांध रहे थे. नटखट पार्थिव उनके पास जाकर बोले,
'वीरू भाई एक फेवर कर दो यार. सहवाग ने पूछा क्या? आप कम से कम स्ट्राइक ले लो. मुझसे शोएब को नहीं फेस किया जाएगा. आपको देखकर मुझे थोड़ी हिम्मत आएगी.'
सहवाग उस वक्त गजब फॉर्म में थे. मुल्तान में हुए पहले टेस्ट में 309 और दूसरे में 90 रन की पारी खेल चुके थे. मगर सहवाग का रिकॉर्ड रहा है कि वो स्ट्राइक नहीं लेते हैं. मतलब ये कि वो मैच की पहली गेंद नहीं फेस करते हैं. वो नॉन स्ट्राइकिंग एंड पर खड़े होते हैं. क्योंकि जब भी सहवाग ने स्ट्राइक ली वो जीरो पर आउट हो गए.
Patel-Sehwag
शोएब अख़्तर की 150 kph रफ्तार वाली गेंदों से डरे हुए थे पार्थिव. मगर सहवाग को अपनी बलि देनी पड़ी थी.

मगर पार्थिव पटेल का मासूम सा चेहरा देख सहवाग ने पैड बांधते हुए कहा,
'देख तुझे पता है कि मैं स्ट्राइक नहीं लेता हूं. क्योंकि मेरा रिकॉर्ड इसमें खराब रहा है. फिर भी तू बोल रहा है तो मैं स्ट्राइक पर जाऊंगा. तू चिंता मत कर.'
अब सहवाग और पार्थिव पटेल की जोड़ी रावलपिंडी में ओपनिंग करने उतरी. गेंद रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख्तर के हाथ में थी और सामने थे विरेंदर सहवाग. नॉन स्ट्राइकिंग एंड पर खड़े पार्थिव यही दुआ कर रहे थे कि कहीं सहवाग पहली गेंद पर आउट न हो जाएं, नहीं तो मेरा तो करियर खत्म हो जाएगा. लेकिन उनकी दुआ कबूल नहीं हुई.
पहली गेंद और सहवाग आउट!
अब पार्थिव पटेल के सामने सिचुएशन थी- मरता क्या नहीं करता. तो झेला शोएब अख्तर को. साथ में राहुल द्रविड़ थे जिन्हें देख-देख कर पार्थिव ने अपनी पारी खेली. दोनों के बीच 129 रनों की साझेदारी हुई. पार्थिव उस मैच में 69 बनाकर आउट हुए. आज ये क्रिकेटर अपनी इस पारी को करियर की सबसे यादगार ओपनिंग पारी मानता है. बाद में राहुल द्रविड़ ने 270 रन की पारी खेली और इंडिया वो मैच पारी और 131 रनों से जीता था.


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