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क्या है सरदाई, जिससे प्रदर्शनकारी किसानों को ताकत मिल रही है?

दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों के लिए हर रोज तैयार की जाती है ये

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दिल्ली की सीमा पर डटे किसान सरदाई घोटते हुए. उनका कहना है कि इससे एनर्जी मिलती है. (फोटो - आजतक)
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मयंक
7 दिसंबर 2020 (Updated: 7 दिसंबर 2020, 11:54 AM IST) कॉमेंट्स
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दिल्ली बॉर्डर पर पिछले 12 दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे, चाहे छह महीने ही क्यों न लग जाएं. कुछ लोग मज़ाक में पूछ रहे थे कि ये किसान खाते-पीते क्या हैं, जो इतनी मज़बूती से टिके हुए हैं. इसका एक राज पता चल गया है. ये है सरदाई, जिसका सेवन आंदोलनकारी किसान कर रहे हैं. क्या होती है सरदाई, आइए बताते हैं. दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए सरदाई बनाने की तस्वीरें सोमवार को सामने आईं. इस बारे में एक किसान गुरमेज सिंह ने बताया-
"हम लोग धरने पर बैठे किसानों के लिए इसी प्रकार से हर रोज सरदाई बनाते हैं. इससे एक तरफ ठंड के मौसम में गर्माई मिलती है, तो आंदोलन जारी रखने की एनर्जी भी मिल रही है."
किसानों ने ये भी बताया कि युद्ध के समय सैनिकों को भी ये सरदाई दी जाती थी ताकि उनमें एनर्जी बनी रहे. युद्ध ठीक से लड़ा जा सके. यहां भी उसी तरह की सरदाई लोगों को बनाकर पिलाई जा रही है. ये भी हमारे लिए किसी जंग से कम नहीं है. धरने पर बैठे आंदोलनकारियों के लिए हर रोज ये पेय बनाया जा रहा है. क्या होता है ये सरदाई? सर्दियों में खुद को गरम रखने के लिए हम और आप भले ही कई तरह के ड्रिंक्स का इस्तेमाल करते हों, लेकिन पंजाब में  खालिस देसी ड्रिंक सरदाई फेमस है. ये सर्दियों में पिया जाने वाला स्पेशल ड्रिंक है. इसे बनाने के लिए बादाम, पिस्ता, खसखस, काली मिर्च, इलायची आदि को पीसकर डाला जाता है. किसानों के मुताबिक़, इससे शरीर में गर्मी आती है. ये काफी ताकत देता है क्योंकि इसमें काफी पौष्टिक चीजें मिलाई जाती हैं. प्रदर्शनकारी किसानों की क्या हैं मांगें? कुछ महीने पहले केंद्र-सरकार ने तीन कानून पास किए थे, इनमें खेती और उपज से जुड़े कई अहम प्रावधान शामिल थे. इन्हीं में से कुछ नियमों के विरोध में किसान ये प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का आरोप है कि इस कानून के जरिए उनका हक़ मारकर कॉर्पोरेट कंपनियों को दिए जाने की तैयारी है. किसानों की मांगों में MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को जारी रखना, बिजली बिल के कानूनों में बदलाव ना करना, पराली जलने को लेकर 1 करोड़ के जुर्माने के प्रावधान को ख़त्म करना और पराली जलाने के कारण जेल में बंद किये गए किसानों को रिहा करना भी शामिल हैं. किसानों का कहना है कि जब तक उनकी ये मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वे सड़कों से नहीं हटेंगे. इन्हीं मांगों को लेकर किसान पिछले 12 दिनों से धरने पर हैं. किसानों की सरकार से 5 बार बातचीत हो चुकी है, जिसका अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है. अपनी मांगों के समर्थन में किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है. इसके एक दिन बाद, 9 दिसंबर को किसानों और सरकार के बीच अगली बातचीत प्रस्तावित है.

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