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जज साहब पर आरोपी की ऑडी में टूर करने का आरोप लगा, अब बहुत महंगा पड़ रहा है

साथ ही पढ़ें, जजों से जुड़ी एक और खबर जो शर्मसार कर देगी.

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कोर्ट में कसम खाकर झूठ बोलने वाले के लिए सजा का प्रावधान किया गया है.
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अमित
23 दिसंबर 2020 (Updated: 23 दिसंबर 2020, 08:19 AM IST) कॉमेंट्स
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जज को समाज में सबसे ज्यादा सम्मान मिलता है. वजह, उसकी सत्यनिष्ठा और न्याय करने को लेकर उसकी आस्था. लेकिन दो ऐसी खबरें सामने आई हैं, जिन्होंने जजों की कौम को शर्मसार कर दिया है. एक-एक कर नज़र डालते हैं दोनों खबरों पर.
# पहली खबर
आरोपी की कार लेकर टूर पर चले गए जज साहब
प्रशांत जोशी. देहरादून में जिला जज हैं. उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सस्पेंड कर दिया है. वजह? प्रशांत जोशी पर आरोप है कि अपनी सरकारी कार होने के बावजूद वह एक मामले के आरोपी की ऑडी कार लेकर मसूरी कैम्प करने चले गए. प्रशांत जोशी को सस्पेंड करने का आदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल हीरा सिंह बोनाल की तरफ से जारी किया गया है. जिस आरोपी की ऑडी का इस्तेमाल करने का आरोप जोशी पर लगा है उसका नाम केवल कृष्ण सोनी है. सोनी पर राजपुर थाने में FIR  दर्ज है. उस पर धोखाधड़ी से जुड़ी अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज है.  इस संबंध में एक रिट याचिका (क्रिमिनल)भी विचाराधीन है. जज जोशी को फिलहाल रूद्रप्रयाग अटैच किया गया है. उन्हें आदेश है कि वह हाईकोर्ट की परमिशन के बगैर स्टेशन नहीं छोडे़ंगे.
मामले में हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए आरोपी जज को सस्पेंड कर दिया है.
मामले में हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए आरोपी जज को सस्पेंड कर दिया है.

# दूसरी खबर
नेपाल में महिला के साथ कमरे में पकड़े गए 3 जज बर्खास्त बिहार सरकार ने 21 दिसंबर को निचली अदालत के तीन जजों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया. तीनों जज जनवरी 2013 में नेपाल के काठमांडू में होटल के कमरे में एक महिला के साथ पकड़े गए थे. इसी घटना को लेकर तीनों जजों को बिहार सरकार ने सेवा से बर्खास्त कर दिया है. इनमें समस्तीपुर फैमिली कोर्ट के तत्कालीन जज हरी निवास गुप्ता, अररिया के चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट कोमल राम और अररिया के तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र नाथ सिंह शामिल हैं.
राज्य सरकार ने इसे लेकर एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है. इसमें साफ किया गया है कि बर्खास्त होने के बाद तीनों जज किसी भी प्रकार की सुविधा के हकदार नहीं होंगे. मामला 29 जनवरी, 2013 को सामने आया था. तब पटना हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले का स्वत: संज्ञान लिया था. कोर्ट ने जांच में तीनों जजों को दोषी पाया. जांच के बाद फरवरी 12, 2014 को हाई कोर्ट ने बिहार सरकार से तीनों जजों को बर्खास्त करने की अनुशंसा की थी.

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