यूपी: छुट्टी के लिए टीचर्स को देनी पड़ती है घूस, विभागीय जांच में हुआ खुलासा
500 रुपए से लेकर दो हजार तक ली जाती है घूस.
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मुफ्त में ट्यूशन पढ़ाने वाले टीचर ने स्टूडेंट्स को इंजेक्शन लगाने शुरू कर दिए. बच्चों के घरवालों को पता चला तो उन्होंने ट्यूटर को पकड़कर पीटा और पुलिस को सौंप दिया. सांकेतिक तस्वीर (PTI)
अगर आपको छुट्टी चाहिए हो तो आप क्या करेंगे? जाहिर सी बात है अपने बॉस को छुट्टी के लिए मेल या लेटर लिखेंगे. स्कूल में थे तो एप्लीकेशन लिखते थे. लेकिन यूपी के स्कूलों की बात करें तो यहां छुट्टी के लिए आवेदन करते समय लेटर का वजन बढ़ाना पड़ता है. यानी छुट्टी के लिए अप्लाई करने के साथ-साथ आपको पैसा भी देना पड़ता है. और कितना पैसा देना है ये इस बात से तय होता है कि आप किस चीज के लिए छुट्टी ले रहे हैं. यानी कि छुट्टी की जितनी ज्यादा जरूरत हो उतना ज्यादा घूस देना होगा. तभी आपको छुट्टी मिल पाएगी.
हर छुट्टी का रेट फिक्स
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में अंदर ही अंदर चल रहे भ्रष्टाचार के इस खेल का भंडाफोड़ हुआ है एक फीडबैक सर्वे से. विभाग ने राज्य के कई जिलों में तैनात 12,733 टीचर्स से IVRS कॉल के जरिए फीडबैक लेने के लिए बात की. इस कॉल में टीचर्स से छुट्टी मिलने में होने वाली देरी को लेकर सवाल पूछे गए. 12,733 में से 1548 टीचर्स ने स्पष्ट रूप से शोषण की बात की और कहा कि बिना घूस दिए छुट्टी नहीं दी जाती है. चाहे वो मेडिकल लीव हो या फिर बच्चों की देखभाल के लिए ली जाने वाली छुट्टी हो, हर चीज के लिए घूस देनी पड़ती है. छुट्टी का रेट इस चीज से तय होता है कि छुट्टी की कितनी जरूरत है और छुट्टी कितनी लंबी है. हर तरह की छुट्टी का अलग रेट फिक्स है. नॉर्मल छुट्टी के लिए 500 से लेकर 1000 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से फिक्स है. शादी या दूसरे समारोह की छुट्टियों के लिए दोगुना यानी कि 2000 रुपए तक देना पड़ता है. अगर किसी नए-नए भर्ती हुए टीचर को शादी के लिए छुट्टी चाहिए तो फिर उसे डबल पैसा देना पड़ता है. जो टीचर छुट्टी के लिए पैसे नहीं देते हैं उनके एप्लीकेशन को लटका दिया जाता है.
इंडिया टुडे से बात करते हुए उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने भी छुट्टियां देने के मामले में भ्रष्टाचार की बात को स्वीकार किया. उन्होंने कहा,
विभाग में घूसखोरी का ये मामला हमारे संज्ञान में आया है. हमने कार्रवाई का आदेश दे दिया है. इसमें शामिल कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. ये रिपोर्ट विभाग द्वारा किए गए IVR सिस्टम पर आधारित फीडबैक सर्वे में सामने आई है. विभाग द्वारा निरंतर इसी तरह निगरानी की जाएगी और ये इस खेल में शामिल लोगों के लिए चेतावनी है.