चेहरा बता रहा था मारा है भूख ने, लोग कह रहे हैं कुछ खा के मर गया
ये सरकारी हिसाब है, 50 ग्राम खाना मुर्दे के पेट से निकले तो मौत भूख से नहीं मानी जाती है.
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फोटो - thelallantop
50 ग्राम खाना जिंदा रखने के लिए काफी होता है. ये तो नहीं मालूम. पर इतना मालूम है कि इससे नेताओं का पेट भर गया है. बीएसपी, बीजेपी और कांग्रेस वालों को पेट. स्टेट की अखिलेश यादव सरकार को घेरने लगे. कहा, 'मामले में राज्य सरकार असंवेदनशील है. हड्डियों का ढांचा बन चुके श्रीकांत की मौत भूखे रहने की वजह से हुई. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्ट को झुठलाने की कोशिश की जा रही है.'बता दें कि हैदरगढ़ के पकरिया गांव में रविवार को श्रीकांत की मौत हो गई थी. गांव और फैमिली वालों ने कहा, 'श्रीकांत ने दो दिन से खाना नहीं खाया था. शरीर एकदम पीला पड़ चुका था.' श्रीकांत की मां कल्याणी ने कहा, 'कुछ रोज तक हमने श्रीकांत को आटा घोलकर पिलाया.' डीएम भी यही बात कह रहे हैं. बोले- श्रीकांत गरीब तो था, पर मौत भूख से नहीं हुई. श्रीकांत गांव के पास ही मजदूरी करता था. पैर में चोट लगने की वजह से मजदूरी बंद थी. कुछ रोज गांव वालों ने खाना खिलाया. बाद में इस पर लोगों ने ध्यान देना बंद कर दिया. मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा, 'हमने रिपोर्ट मंगवाई है. मदद की जाएगी. भूख से मौत का कोई मामला अब तक संज्ञान में नहीं आया है. '