किसानों से बात करने के लिए आगे आए नितिन गडकरी, कही ये बड़ी बातें
अन्ना हजारे क्या किसान आंदोलन में शामिल होने वाले हैं?
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किसानों को लेकर कई बड़ी बातें कही हैं. फोटो- ट्विटर/PTI
"अगर बातचीत नहीं होती है तो गलतफहमी पैदा होती है, विवाद होते हैं और बहस होती है. अगर बातचीत होती है तो मुद्दे हल हो जाएंगे, पूरी बात खत्म हो जाएगी, किसानों को न्याय मिलेगा, उन्हें राहत मिलेगी. हम किसानों के हित में काम कर रहे हैं.""हम उचित बदलावों के लिए तैयार हैं" नितिन गडकरी ने कहा कि हमारी सरकार किसानों को समझाने का प्रयास कर रही है, बातचीत के लिए रास्ता निकालने की कोशिशें की जा रही हैं. उन्होंने कहा,
"मैं विदर्भ से आता हूं. दस हजार से अधिक गरीब किसान सुसाइड कर चुके हैं. इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. किसानों और किसान संगठनों के द्वारा जो सुझाव सही हैं, हम उन सभी बदलावों के लिए तैयार हैं."आंदोलन में शामिल होंगे अन्ना? समाजसेवी अन्ना हजारे क्या किसान आंदोलन में शामिल होने वाले हैं? इस सवाल के जवाब में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ने कहा,
"मुझे नहीं लगता कि अन्ना हजारे जी इसमें शामिल होंगे. हमने किसानों के खिलाफ कुछ नहीं किया है. किसानों को मंडी में अपनी उपज बेचने का अधिकार है, व्यापारियों को या कहीं और. जहां भी वो चाहें."https://twitter.com/nitin_gadkari/status/1338502354316845057 बातचीत पर जोर नितिन गडकरी ने किसानों के साथ बातचीत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि किसानों के साथ नाइंसाफी नहीं होगी. सरकार किसानों के जो भी अच्छे सुझाव हैं, उन्हें कानून में समाहित करेगी. किसानों को इन कानूनों के समझना चाहिए क्योंकि कुछ लोग किसानों को भ्रमित करने की कोशिशें कर रहे हैं. उन्होंने कहा,
"मेरे यहां ऑर्गेनिक खेती होती है. मैं अपनी सब्जियां मार्केट रेट से अधिक पर बेचता हूं और आठ प्रतिशत कमीशन भी बचता है, जो बिचौलियों को जाता था. नागपुर के संतरे फेमस हैं. हमने किसानों को सपोर्ट किया तो संतरा दुबई में अच्छे दामों पर बेचा गया. किसान को फायदा होना ही चाहिए. हम किसानों के बारे में सोचेंगे या बिचौलियों के कल्याण की सोचेंगे?"गडकरी ने कहा कि अगर अधिक भाव मिल रहा है तो मंडी में बेचो. जहां अधिक भाव मिल रहा है, वहां बेचो. किसान खुद तय करे कि वो कहां बेचना चाहता है. इस मामले में यही हो रहा है लेकिन कुछ लोग किसानों को भ्रमित कर रहे हैं. फार्मेसी वाला दवा के रेट तय करता है, होटल वाला खाने-पीने के रेट तय करता है, रेलवे और एयरलाइन्स टिकट के रेट तय करते हैं लेकिन किसान अपनी फसल के रेट नहीं तय करता. उन्होंने कहा कि अगर किसान हर बिंदू पर बात करने के लिए तैयार है तो सरकार भी तैयार है. "नक्सली की फोटो आंदोलन में क्यों?" नितिन गडकरी ने कहा,
"महाराष्ट्र में एक गढ़चिरौली जिला है जिसमें नक्सल मूवमेंट चलती है. वहां नक्सलियों को समर्थन करने वाला एक शख्स जेल में है. कोर्ट ने भी उसको जमानत नहीं दी. उसके फोटो आंदोलन में कैसे दिखाई दिए? इन लोगों का किसान आंदोलन से क्या संबंध है? किसान बात करें, भारत सरकार बातचीत के लिए तैयार है. जिस पॉइंट पर किसान को आपत्ति है, वो बदलेंगे... हम किसानों के लिए कमिटेड हैं. ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे किसान को नुकसान हो."केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विदर्भ में जमीन बंजर पड़ी है. वहां कोई किसान को कहे कि मैं सब करूंगा और आपको पैसे भी दूंगा तब? कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग गलत है क्या? कोई टैक्सी में बैठता है तो मालिक थोड़े ही बन जाता है? पेप्सी ने एक प्रोजेक्ट डाला था. आलू का भाव वो बाजार से ज्यादा देते थे तो किसान उनको बेचता था. हमें कोई आपत्ति नहीं है कि किसान मंडी में बेचे. किसान को पूरा अधिकार है.