15 जून 2016 (Updated: 15 जून 2016, 05:57 PM IST) कॉमेंट्स
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पहलाज निहलानी और नियमों पर चलने वाला उनका सेंसर बोर्ड (केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड). इतना नियमों पर चलते हैं कि बताया नहीं जा सकता. अनुराग कश्यप व उनके दोस्तों की निर्माण कंपनी फैंटम व अन्य ने मिलकर उड़ता पंजाब बनाई. अभिषेक चौबे ने निर्देशन किया. करीना कपूर, शाहिद कपूर, आलिया भट्ट और दिलजीत दोसांझ ने मुख्य भूमिकाएं कीं. ये पंजाब में ड्रग्स की बेहद गंभीर समस्या का सच्चा रूप प्रस्तुत करती है साथ ही समाज के सामने एक विकल्प भी देती है जो आमतौर पर फिल्में नहीं देती.
हाल तक सेंसर की ओर से फिल्म को लटकाए रखने की काफी कोशिशें हुईं जिसका दावा प्रोड्यूसर कर चुके हैं. इसे पास नहीं किया गया ए सर्टिफिकेट मांगने पर भी. फिर 89 कट लगाने को बोला गया. ले-देकर निर्माता बॉम्बे हाई कोर्ट के पास गए और कोर्ट ने सिर्फ एक कट को मंजूर करते हुए फिल्म पास कर दी. अब ये रिलीज होने को है.
उससे ठीक दो दिन पहले फिल्म को लीक कर दिया गया है, बहुत सी टॉरेंट साइट्स और कई अन्य साइट्स पर जहां से सीधे डाउनलोड कर सकते हैं. कर दिया गया है इसीलिए लिख रहा हूं क्योंकि ये फिल्म का वही प्रिंट है जो सेंसर बोर्ड के समक्ष सर्टिफिकेशन के लिए जमा करवाया गया था. इस प्रिंट में सेंसर बोर्ड लिखा है और टाइम कैप्स्यूल भी चल रहा है. ये किसने लीक किया है इसका तो कोई साक्ष्य नहीं है लेकिन ये स्पष्ट है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी CBFC के तंत्र के भीतर से ही ऐसा हुआ है.
दो संभावनाएं हैं:1. इसे पहलाज निहलानी ने लीक किया है: क्योंकि अनुराग कश्यप कह चुके हैं कि पहलाज उन्हें फूटी आंख पसंद नहीं करते. आज सुबह फेसबुक पर अनुराग ने एक वीडियो शेयर किया था. साथ ही लिखा था 'हा हा.' ये पहलाज, सेंसर, अनुराग, रोहित शेट्टी व अन्य निर्माताओं की पैरोडी थी. इसमें कहा गया है कि क्रिएटिव लोगों को बेड़ियों में डालोगे तो वो क्रांति बन जाती है. इसी वीडियो में गैंग्स ऑफ वासेपुर-2 के क्लाइमैक्स में जैसे फैजल सैकड़ों गोलियों से रामाधीर सिंह को खोद देता है, वैसे ही अनुराग के हुलिए वाला पहलाज के हुलिए वाले को खोद देता है.
अनुराग कह भी चुके हैं कि वे न तो पहलाज से मिलते हैं, बात करते हैं. आज पहलाज टीवी पर ये कहते भी नजर आए कि सिर्फ फैंटम वाले ही रूल फॉलो नहीं करते, बालाजी जैसे बाकी स्टूडियो करते हैं.
ये थ्योरी हो सकती है कि जब वे उड़ता पंजाब में न तो अपनी मर्जी से कट लगवा पाए, न उसे रिलीज होने से रोक पाए तो उसके अपने पास पड़े प्रिंट को रिलीज करवा दिया. ये सिर्फ थ्योरी है ये याद रखें. बाकी आपका दिमाग. फिल्म इंडस्ट्री वाले भी पहलाज जी को एक किस्म का control freak कहते हैं.
2. सेंसर के किसी और सदस्य ने ऐसा किया है: ऐसा भी बहुत संभव है क्योंकि केतन मेहता द्वारा निर्देशित मांझी: द माउंटेन मैन को भी अगस्त 2015 में रिलीज से पहले लीक कर दिया गया था. ये प्रिंट भी वो वाला था जो सेंसर के समक्ष जमा करवाया गया था सर्टिफिकेशन पाने के लिए.
ये बर्दाश्त के काबिल नहीं:
एक फिल्म को बनाने में गर्भ में रखकर बच्चा पैदा करने से ज्यादा ताकत, धैर्य और अस्तित्व लगता है. ये जीवन-मरण का प्रश्न होता है. एक फिल्म बनाने में ऐसे ही सैकड़ों लोग शामिल होते हैं. रिलीज से पहले उसका रचनाकार कितना लाचार हो जाता है इसे हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में उड़ता पंजाब के निर्देशक अभिषेक चौबे की मायूसी और डर की स्वीकारोक्ति में देखा जा सकता है. इसे माई नेम इज़ खान की रिलीज से पहले करण जौहर के चेहरे पर देखा गया. विश्वरूपम की रिलीज से पहले कमल हसन के चेहरे पर देखा गया. और अगर आप उस फिल्म को रिलीज से पहले लोगों के बीच उछाल दें तो रचनाकार बर्बाद हो चुका होता है. मांझी को भयंकर आर्थिक नुकसान इस वजह से झेलना पड़ा.
CBFC और उसके लोगों को जब कोई फिल्म सर्टिफिकेट पाने के लिए दी जाती है तो पूरी गोपनीयता में. कि कभी भी उसे अन्य जगह वितरित न किया जाए. अब ये गोपनीयता कैसे टूटी इसकी जांच होनी चाहिए.
माननीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली जी को पूरी कठोरता से इस प्रैक्टिस को बंद करना चाहिए और अब तक इस लीकेज के जितने मामले हुए हैं उन्हें लेकर कोई कड़ा कदम उठाना चाहिए. वे पहलाज निहलानी को लेकर भी बहुत शांति बरत चुके हैं. उन्होंने राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को मुंबई का काम दे रखा है जो फिल्म उद्योग से मिलकर भी गए. लेकिन उड़ता पंजाब के वक्त वे मौन रहे. अब भी जब इतनी बुरी बात हुई है तो उनसे उम्मीद नहीं है कि वे मौन रहेंगे. वे आर्मीमैन और ओलंपियन की पृष्ठभूमि से आए हैं और उनसे इतनी तो उम्मीद की जाती है कि इस बार अपना अनुशासन दिखाएं और निशाना भी लगाएं. वे दोषियों को न सिर्फ लताड़े बल्कि उन्हें बर्खास्त करें.
ये आप आने वाली पीढ़ी के समक्ष कैसे उदाहरण स्थापित कर रहे हैं, देख लेवें. क्या सेंसर बोर्ड में अराजकता बढ़ती ही चली जाएगी? दिल्ली तक क्या वो आवाज नहीं पहुंचती जो विदेशी फिल्म महोत्सवों में गॉसिप का कारण बन रही है. भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की छवि विश्व के फिल्म में जगत में अच्छी नहीं बन रही है ये आप देख लेवें.
ये हरकत बहुत दुखद और शर्मनाक है! फिलहाल फिल्म के निर्माता संबंधित टॉरेंट साइट्स को नोटिस भेजकर फिल्म को उतरवा रहे हैं. इन साइट्स पर ऐसा नजर भी आ रहा है. बाकी को भी नोटिस भेजे जा रहे हैं ऐसा ज्ञात हुआ है.