चैनिंग टैटम, क्या आप मेरे साथ डेट पर चलेंगे?
कार्ली फ्लैशमैन बोल नहीं पाती. ऑटिस्टिक है. लेकिन उसके पास बहुत सारी कहानियां हैं. अब टेक्नोलॉजी की वजह से वो अपना सपना जी रही है.
Advertisement

credit: facebook
"चैनिंग टैटम, मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं. मैं 21 साल की लड़की हूं, जिसे ऑटिज्म है. क्या आप मेरे साथ डेट पर चलेंगे?"हॉलीवुड का बहुत मशहूर ऐक्टर. चैनिंग टैटम. उसकी फैन 21 साल की एक लड़की. नाम है कार्ली फ्लैशमैन. कैनेडा में रहती है. उसका सपना और सबसे बड़ा डर था, चैनिंग टैटम उसके सामने बैठा हो. सपना पूरा हुआ. डर भी साथ-साथ आया. कार्ली ने चैनिंग टैटम का इंटरव्यू लिया. और इंटरव्यू में अपने फेवरेट ऐक्टर को बताया कि वो उससे कित्ता प्यार करती है. कार्ली का बचपन से सपना था किसी टॉक-शो की होस्ट बनने का. हीरो- हीरोइनों का इंटरव्यू लेने का. उनसे बातें करने का. लेकिन कार्ली बोल नहीं सकती. वो ऑटिस्टिक है. साथ में उसके दिमाग़ के बोलने वाले सेंटर में कुछ प्रॉब्लम है. जब कार्ली 2 साल की थी, तब उसकी इस कंडीशन का पता चला था. लेकिन जब 21 साल की कार्ली ने अपने फेवरेट स्टार का इंटरव्यू लिया. वो हर उस लिमिटेशन से आगे निकल गई जो आदमी को खुद को चैलेंज करने से रोकती है. जो लिमिटेशन ये कहती है कि अगर आप बोल नहीं सकते तो आप टॉक-शो होस्ट नहीं बन सकते. या अगर आप 'नार्मल' से अलग हो तो आप ज़िन्दगी में कुछ नहीं कर सकते. चैनिंग कार्ली से मिलकर बहुत खुश हैं. पूरे इंटरव्यू के दौरान हंसे जा रहे हैं. जाते-जाते वो कार्ली के सिर पर पुच्ची करते हैं. 3-4 बार. देखकर एकदम awwww वाली फीलिंग आ जाती है. https://www.youtube.com/watch?v=a34qMg0aF6w
ऑटिज्म: खान फ्रॉम द एपिग्लोटिस
ऑटिज्म एक तरह की मेंटल कंडीशन है. जैसे माय नेम इज खान का रिजवान खान. खान फ्रॉम द एपिग्लोटिस. शाहरुख़ का रिजवान खान वाला रोल अगर याद है तो ऑटिज्म समझना काफी आसान है. फिल्म में जब रिजवान पीले रंग की कोई चीज़ देखता था तो एकदम से घबरा जाता था. उसकी अपनी ही दुनिया थी. जो बात एक बार दिमाग़ में बैठ जाती थी. जब तक ना पूरी कर ले, वही दोहराता रहता था. ऑटिस्टिक लोगों के लिए अक्सर नए लोगों से दोस्ती कर पाना मुश्किल होता है. अक्सर ऐसे लोग अपनी ख़ुशी, प्यार, तकलीफ नहीं जता पाते. भीड़ और बहुत सारे अनजान लोगों के बीच तो अक्सर ये असहज हो जाते हैं. ज़रूरी नहीं होता कि हर ऑटिस्टिक इंसान एक जैसा हो. हर किसी में इसके इफ़ेक्ट अलग-अलग हो सकते हैं. जिसमे ये कंडीशन बहुत गहरी होती है. उनके कुछ दिमागी फंक्शन पूरी तरह से डेवेलप नहीं हो पाते. जैसे बोल पाना. या अपने हाथ और पैरों का सही तरीके से इस्तेमाल कर पाना. कार्ली का ऑटिज्म भी ऐसा है. वो कभी बोल नहीं पाई.वौइस् ऑफ़ कार्ली:
जब कार्ली 2 साल की थी. उसके डॉक्टर ने डिटेक्ट कर लिया था कि वो ऑटिस्टिक है. कार्ली के पापा आर्थर उसके बचपन में बहुत परेशान रहते थे. वो अपनी बच्ची को समझना चाहते थे. लेकिन कार्ली या तो बिलकुल चुपचाप रहती थी. या चिल्लाकर रोती रहती थी. वो अपनी बात किसी को समझा ही नहीं पाती थी. पापा मम्मी उससे बात करना चाहते थे. उसकी प्रॉब्लम समझना चाहते थे. लेकिन समझ ही नहीं पाते थे कि वो क्या कहना चाह रही है. कोई तरीका ही नहीं समझ आता था उनको कि अपनी बच्ची की मदद कैसे करें. एक दिन कार्ली बहुत जोर-जोर से रो रही थी. करीब 10 बरस की थी. घर वाले और उसके थेरेपिस्ट समझ ही नहीं पा रहे थे कि उसको क्या तकलीफ है. फिर कार्ली ने कंप्यूटर पर तीन शब्द लिखे.HELP TEETH HURTये तीन शब्द क्या थे, कार्ली और उसके परिवार वालों के लिए नई संभावनाएं थीं. तीन शब्दों में कार्ली ने अपनी प्रॉब्लम बता दी थी. उसको अपनी बात समझाने का नया तरीका मिल गया था. कंप्यूटर पर टाइप करके कार्ली अब लोगों को अपनी बातें समझाने लगी. उसके 15वें बर्थडे पर उसके पापा मम्मी ने उसको गिफ्ट में दिया iPad. इसके बाद कार्ली को नई आवाज़ मिल गई. अब कार्ली लिखती हैं और टेक्स्ट-टू-वौइस् फैसिलिटी की वजह से वो सामने वाले से बातें कर पाती है. वो जो ऐप यूज़ करती है वो है ProLoQuo2Go. कार्ली का पर्सनल असिस्टेंट है होवार्ड. उसने कार्ली के लिए एक डायलर और एक स्पीकर फ़ोन भी ले लिया था. अब वो अपने दोस्तों को कॉल भी कर सकती है. कार्ली के पापा आर्थर ने एक किताब लिख डाली. वौइस् ऑफ कार्ली. इस किताबी का लास्ट हिस्सा खुद कार्ली ने लिखा है. ये किताब कार्ली की जर्नी की कहानी है. साथ में इस हिम्मत की निशानी भी जो हर वक़्त हमें अपनी सीमाओं से आगे बढ़कर मेहनत करने के लिए इंस्पायर करती है. टेक्नोलॉजी ने जब कार्ली को आवाज़ दे दी. अब वो सोशल मीडिया पर भी बहुत एक्टिव हो गई है. फेसबुक और ट्विटर के ज़रिए. कार्ली खुद कहती है:
अब ये लड़की अपने हर सपने को ढेर सारी हिम्मत से पूरा कर रही है. उनको जी रही है. वाकई कोई भी लिमिट इस लड़की को बांध नहीं सकती. https://www.youtube.com/watch?v=GiYCL27msikमुझे ऑटिज्म है. लेकिन सिर्फ ये ऑटिज्म मुझे डिफाइन नहीं करता. मैं इस ऑटिज्म से बढ़कर हूं.