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हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर 2017 बना 'आधार'

तमगा दिया है ऑक्सफर्ड डिक्शनरी वालों ने.

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ऑक्सफर्ड का पहला हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर बन गया है आधार.
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सौरभ
27 जनवरी 2018 (Updated: 27 जनवरी 2018, 12:30 PM IST) कॉमेंट्स
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आधार. नाम तो सुना ही होगा. नहीं सुना तो आप पक्का हिंदुस्तान के वासी नहीं हो. क्योंकि हिंदुस्तान में रहने वाला शायद ही कोई आदमी होगा जो इस शब्द को ना जानता हो. जो किसी ना किसी तरह से इस आधार शब्द से टकराया ना हो. अखबारों में पढ़ा ना हो, मीडिया पर चर्चा ना देखी हो. चाय की दुकान पर बहस न की हो. अरे आप तो इसे जेब में लेकर भी चलते हैं कि न जाने कहां जरूरत पड़ जाए.  इसी पॉपुलरिटी का ही नतीजा है कि आधार हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर 2017 बन गया है. ये तमगा उसे दिया है ऑक्सफर्ड डिक्शनरी ने. इसकी घोषणा 27 जनवरी को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में की गई.
आधार के वर्ड ऑफ द ईयर बनने का फंडा
ऑक्सफर्ड ने वर्ड ऑफ द ईयर चुनने के लिए सीधे लोगों से सुझाव मांगे थे. सो कई वर्ड आए भी. सबसे ज्यादा कंपटीशन खैर नोटबंदी, विकास और आधार के बीच था. अब आप सोंच रहे होंगे कि चर्चा में तो सारे ही शब्द थे. नोटबंदी का नाम देखकर तो कई लोग भावुक भी हो सकते हैं. मगर बाजी आधार ने मारी. इसकी वजह है उसका लगातार सालभर चर्चा में बने रहना. जैसे आधार का मामला 2017 में चार-पांच बार तो अकेले सुप्रीम कोर्ट में ही पहुंचा. अब आधार को लेकर लोगों के मन में इतने सवाल और कन्फ्यूज़न हैं. सो इसे गूगल भी हौंक के किया गया. फिर इसपर जोक्स भी कसके बने. सोशल मीडिया पर लोगों ने इसकी जमकर मौज ली.
आधार कार्ड.
आधार कार्ड.

फिर ये मामला अब भी चर्चा में ही है. संविधान बेंच आधार के मसले पर सुनवाई कर ही रही है. सो 2018 में भी इसके चर्चा में बने रहने की उम्मीद है. लोग तो वैसे भी इसे नहीं भूल सकते. हर जरूरी सुविधा में तो आधार की जरूरत होती है. फिर इस पर राजनीति तो लगातार हो ही रही थी. हो रही है औऱ होती रहेगी. जब कांग्रेस सरकार के समय इस आधार पर काम शुरू हुआ तो बीजेपी बवाल कर रही थी. अब मोदी का राज है तो कांग्रेस विरोध कर रही है. सो पॉलिटिक्स भी पर्याप्त है. और इन्हीं सब फैक्टरों ने आधार को ताज पहनवा दिया.
चुना किन लोगों ने, ये भी जान लो
1. कृतिका अग्रवाल- पेशे से वकील और कई भाषाओं की जानकार हैं.
2. सौरभ द्विवेदी- पत्रकार और thelallantop.com के संपादक. माने कि हमारे सरपंच.
3. मलिका घोष - ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया की सीनियर एडिटोरियल मैनेजर हैं.
4. नमिता गोखले - पेशे से लेखक, पब्लिशर और फेस्टिवल डायरेक्टर हैं. 16 किताबें लिख चुकी हैं. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की को-फाउंडर और को-डायरेक्टर हैं.
5. पूनम निगम सहाय - झारखंड के रांची में स्थित रांची यूनिवर्सिटी में असोसिएट प्रोफेसर हैं.
वीडियो देखें-

ऐसे चुना गया हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर
# ऑक्सफर्ड हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर को चुनने के लिए सीधा आम लोगों से सुझाव मांगे गए थे. वो भी खाली भारत नहीं बल्कि दुनिया भर के हिंदी भाषी लोगों से. माने आप ही लोगों से. इसके लिए बाकायदा एक पेज बना था, जिस पर सुझाव दिए जाने थे. 29 नवंबर इसकी लास्ट डेट थी.
कुछ ऐसी दिख रही थी सुझाव देने वाली विंडो.
कुछ ऐसी दिख रही थी सुझाव देने वाली विंडो.

आम लोगों की ओर से आए सुझावों में से सही और सटीक शब्द चुनने के लिए एक खास पैनल बनाया गया था(ऊपर नाम पढ़े आपने). इस पैनल को ही मिलकर आए हुए हजारों शब्दों में से एक शब्द फाइनल करना था. जोकि फाइनल हो गया है. माने आधार. इसका नतीजा ये होगा कि अब जल्द ही आधार ऑक्सफर्ड की हिंदी डिशनरी में भी दिखाई देगा.


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