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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद - हिंदू राष्ट्र नहीं, राम राज्य चाहिए

'हिंदू राष्ट्र से सिर्फ हिंदुओं की गोलबंदी होगी. इसकी जगह राम राज्य की अवधारणा पर आगे बढ़ना चाहिए, जहां सभी के साथ न्याय हो, चाहे वो कोई भी हो.'

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swami avimukteshwaranand in chhindwara
शंकराचार्य ने ध्रुवीकरण पर भी अपनी बात रखी. (फोटो: आजतक)
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मनीषा शर्मा
25 मई 2023 (Updated: 25 मई 2023, 03:32 AM IST) कॉमेंट्स
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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हिंदू राष्ट्र की मांग पर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि हिंदू राष्ट्र से सिर्फ हिंदुओं की गोलबंदी होगी. इससे उन लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं हो पाएगी, जिसकी हम कामना करते हैं. इसकी जगह राम राज्य की अवधारणा पर आगे बढ़ना चाहिए, जहां सभी के साथ न्याय हो, चाहे वो कोई भी हो. 

आजतक से जुड़े पवन शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक शंकराचार्य दो दिन के प्रवास पर 25 मई को छिंदवाड़ा पहुंचे. वहां उन्होंने एक मंदिर की आधार शिला रखी. फिर पत्रकारों से बातचीत की. हिंदू राष्ट्र के सवाल पर उन्होंने कहा,

‘हम लोगों के यहां गोलबंदी ही राजनीति है. बीच में एक लाइन खींच दी जाती है. बाद में देखा जाता है कि ये व्यक्ति हमारे गोल (पाले)  में है कि नहीं है. अगर वो हमारे गोल में है, तो बिल्कुल अच्छा है. चाहे वो कैसा भी हो. और अगर हमारे गोल में नहीं है, तो बहुत खराब है. चाहे कैसा भी हो. यह एक व्यवहार का तरीका हम लोगों ने बना रखा है. तो ऐसी परिस्थिति में, जब देश में गोलबंदी ही राजनीति के रूप में ख्यात हो गई हो...राजनीति शब्द बहुत ऊंचा है. हमारे यहां नीति शब्द बहुत ऊंचा है. धर्म के समान है. और राजनीति माने राजा के द्वारा पालन की जाने वाली नीति. जो राजनीति शब्द पहले था, जिसका महाभारत और रामायण में प्रयोग किया गया है, अगर वो राजनीति हो, तब अलग बात है. आजकल तो वो राजनीति है नहीं. आजकल तो गोलबंदी है, जिसे घ्रुवीकरण कहा जाता है.

जो ये गोलबंदी वाली राजनीति है, आप इसमें एक शब्द लेकर आते हैं - हिंदू राष्ट्र. हिंदू राष्ट्र का मतलब है, हिंदुओं की गोलबंदी.अब हिंदू-हिंदू के नाम पर गोलबंदी होगी. अब स्वाभाविक है, कि गोलबंदी होगी तो जो हिंदू नहीं होगा उसके साथ परायेपन का व्यवहार हो जाएगा. हम जब ये सोचते हैं, तब सिहर उठते हैं. क्योंकि हम इस तरह से व्यवहार नहीं करते.

हमारे यहां यह माना गया है कि राजा के लिए जितनी भी प्रजा है, वह सब उसके पुत्र जैसे होने चाहिए. और हमारे यहां के राजाओं ने इसी आदर्श का पालन किया है. सबके भले का ख्याल किया है. सब का कल्याण कैसे हो, विश्व का कल्याण कैसे हो... हम तो अब भी यही नारा लगाते हैं. हमारे आचार्यों-राजाओं ने इसी आदर्श की बात की है. जब गोलबंदी होगी, तो ये नहीं हो सकेगा.  इसलिए हमारा यह कहना है कि हिंदू राष्ट्र से क्या हम उस लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे, जिस लक्ष्य को हमारे पूर्वजों ने प्राप्त किया था, जिसकी हम सदा से कामना करते हैं? शायद नहीं. क्योंकि गोलबंदी का जमाना है हिंदू के नाम पर गोलबंदी हो जायेगी. 

हिंदू राष्ट्र की बात क्यों आई है? क्योंकि अभी धर्म निरपेक्ष राज्य है उससे लोगों का मोहभंग हो रहा है. और मोहभंग हो रहा है इसलिए हिंदू राष्ट्र की मांग कुछ लोग कर रहे है. बाकी लोग आकर्षित हो रहे है. ऐसी परिस्थिति में अगर हम हिंदू राष्ट्र की बात को मानते हैं तो गोलबंदी शुरू होगी. अगर हम लोगों को अपना राज्य स्थापित करना ही है, तो हमे रामराज्य की बात करनी चाहिए. राम राज्य की विशेषता यह है कोई अपना पराया नही होता है वहां पर सबके साथ न्याय होता है. रामराज्य न्याय का राज्य है. उसमें भाई-भतीजावाद नहीं था. उसमें जातिवाद, विद्वेष नहीं था.’

शंकराचार्य ने आगे कहा कि उन्होंने कोई भी बात राजनीति की दृष्टि से नहीं कही है. 

वीडियो: हिंदू मंदिर पर इस्लामिक झंडा लगा हुआ कब्जा? सच ये निकला

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