हिजाब पर आ गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, दोनों जजों ने क्या कहा?
15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्लासरूम में हिजाब पहनने की मांग को खारिज कर दिया था. फिर मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट को फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

हिजाब विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court on Karnataka Hijab Controversy) ने गुरुवार, 13 अक्टूबर को विभाजित फैसला सुनाया है. जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ इस मामले पर एकमत नहीं हो पाई और केस बड़ी बेंच को रेफर कर दिया है. मामले पर कोई ठोस फैसला ना आने के चलते फिलहाल हिजाब बैन जारी रहेगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फैसला सुनाते हुए बेंच ने कहा कि मामले को उचित निर्देशों के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के सामने रखा जाना चाहिए. मामले पर 11 सवाल तैयार करते हुए जस्टिस हेमंत गुप्ता ने इस मामले को 9 जजों की बेंच के पास भेजने की राय दी है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सुधांशु धूलिया ने कहा कि हिजाब पहनना निजी पसंद का मामला है. उन्होंने कहा-
विवाद के समाधान के लिए धार्मिक प्रथाओं का मुद्दा जरूरी नहीं था. कर्नाटक हाई कोर्ट ने वहां गलत रास्ता अपनाया. ये मामला अनुच्छेद 15 से जुड़ा है. ये पसंद की बात है और कुछ नहीं.
उन्होंने आगे कहा-
मेरे लिए सबसे ऊपर लड़कियों की शिक्षा है. सभी को पता है कि लड़कियों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में. वो स्कूल जाने से पहले घर के काम में मदद करती हैं. कई अन्य मुश्किलें भी हैं. क्या हम उनके जीवन को बेहतर बना रहे हैं?
15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्लासरूम में हिजाब पहनने की मांग को खारिज कर दिया था. फिर मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट को फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. वहां जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने लगातार 10 दिनों तक मामले की सुनवाई की और फिर 22 सितंबर को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
शीर्ष अदालत में दलीलों के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश कई वकीलों ने जोर देकर कहा था कि मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने से रोका गया तो उनकी शिक्षा खतरे में पड़ जाएगी क्योंकि वो कक्षाओं में जाना बंद कर सकती हैं. उस वक्त कुछ अधिवक्ताओं ने यह भी तर्क दिया था कि मामले को पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा जाए.
खबर है कि सुप्रीम कोर्ट की 2 सदस्यीय पीठ में शामिल जज जस्टिस हेमंत गुप्ता 16 अक्टूबर को रिटायर होने जा रहे हैं इसलिए 13 अक्टूबर को फैसला दिया गया है.
स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर बैन लगाने के सरकार के फैसले को लेकर कर्नाटक में खूब विवाद देखने को मिला था. राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिकाएं लगाईं गईं थीं. 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्लासरूम में हिजाब पहनने की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि हिजाब, इस्लामी आस्था या धार्मिक अभ्यास का हिस्सा नहीं है.
देखें वीडियो- हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'चुन्नी और पगड़ी से हिजाब की तुलना नहीं हो सकती'

.webp?width=60)

