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750 स्कूली स्टूडेंट्स का बनाया सैटेलाइट ले जा रहा SSLV भटका, ISRO बोला- अब किसी काम का नहीं

SSLV D1 अर्थ ऑब्ज़रविंग सैटेलाइट EOS-02 और AzaadiSat को ले जा रहा था.

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ISRO
AzaadiSat ले जा रहे SSLV D1 की लॉन्च के दौरान की तस्वीर. (PTI)
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7 अगस्त 2022 (Updated: 7 अगस्त 2022, 18:55 IST)
Updated: 7 अगस्त 2022 18:55 IST
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इसरो (ISRO) का नया प्रक्षेपण अभियान फेल हो गया है. ये जानकारी इसरो ने दी है. इसरो ने बताया है कि नए स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च वेहिकिल (SSLV) के प्रक्षेपण के आखिरी स्टेज के दौरान कुछ डेटा लॉस देखा गया और उसके बाद वो गलत ऑर्बिट में चला गया. इसरो का कहना है कि सैटेलाइट को सर्कुलर ऑर्बिट में जाना था, लेकिन वो इलिप्टिकल ऑर्बिट में चली गई, और इस वजह से अब सैटेलाइट्स किसी काम की नहीं रह गई है.

इस रॉकेट का नाम SSLV D1 था. इसरो का ये नया रॉकेट है. SSLV D1, 145 किलोग्राम वजन का अर्थ ऑब्ज़रविंग सैटेलाइट EOS-02 और AzaadiSat को ले जा रहा था. AzaadiSat वो सैटेलाइट है, जिसे SpaceKidz India के 750 स्कूली लड़कियों ने स्वतंत्रता के 75 साल के जश्न के तौर पर बनाया गया था. इस सैटेलाइट का वजन 8 किलोग्राम था. SSLV D1 का टारगेट था कि इन दोनों सैटलाइट्स को पृथ्वी के निचले ऑर्बिट में प्रवेश कराया जाए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इसरे के चेयरपर्सन डॉक्टर एस सोमनाथ ने कहा,

'हमें मिशन के अंतिम चरण में कुछ डेटा लॉस हो रहा था. हम डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं. और, हम जल्द ही उपग्रहों के साथ-साथ SSLV की स्थिति का आंकलन कर जवाब देंगे.'

इसरो के चेयरमैन ने आगे कहा,

'SSLV D1 की पहली उड़ान अभी पूरी हुई है. सभी चरणों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक रहा है. हम इस समय मिशन के नतीजे का निष्कर्ष निकालने के लिए डेटा का विश्लेषण करने की प्रक्रिया में हैं कि क्या सैटेलाइट ने एक स्थिर ऑर्बिट में जगह बनाई है या नहीं.'

इसरो की तरफ से जारी किए गए बयान में बताया गया है कि सैटेलाइट को 356 किलोमीटर के सर्कुलर ऑर्बिट में लॉन्च करना था, लेकिन वो ‘356 गुणा 76’ किलोमीटर के इलिप्टिकल ऑर्बिट में प्रवेश कर गई.

इससे पहले SSLV D1 को श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से 7 अगस्त को, सुबह 9 बजकर 18 मिनट पर लॉन्च किया गया. बताया जा रहा है कि ये शुरुआती तीन स्टेज तक एक सामान्य रॉकेट की तरह बर्ताव कर रहा था. लेकिन तीसरी स्टेज के बाद कोस्टल फेज़ में उसकी तय ट्राजेक्टरी (रास्ते) में बदलाव देखा गया. VTM इग्निशन और सैटेलाइट इंजेक्शन में भी तय समय से डिले देखा गया.

बताया जा रहा कि मिशन के 738 से 788 सेकेंड के बीच जिस दौरान सैटेलाइट, रॉकेट से अलग हो रहे थे, पूरे मिशन कंट्रोल रूम में सन्नाटा पसर गया था.

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