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'पाकिस्तान के आतंकी कैंप बन गए, वो बांग्लादेश आने लगे... ', पूर्व पीएम के बेटे ने भारत को किया अलर्ट

सजीब वाजेद जॉय (Sajeeb Wazed Joy) ने कहा है, 'बांग्लादेश में आतंकी प्रशिक्षण शिविर स्थापित हो चुके हैं. अलकायदा के वांटेड एक्टिविस्ट वहां एक्टिव हैं और पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर वहां सार्वजनिक कार्यक्रमों में स्पीच दे रहे हैं.' और भी कई बड़े दावे उन्होंने किए हैं.

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Sheikh Hasina son sajeeb wazed joy md yunus bangladesh
सजीब वाजेद जॉय पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे और सलाहकार हैं. (इंडिया टुडे, फाइल फोटो)
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आनंद कुमार
18 दिसंबर 2025 (Updated: 18 दिसंबर 2025, 04:26 PM IST)
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बांग्लादेश (Bangladesh) में आम चुनाव का ऐलान हो चुका है. फरवरी में वहां नई सरकार चुनी जाएगी. लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) की पार्टी अवामी लीग इसमें हिस्सा नहीं ले पाएगी, क्योंकि उनकी पार्टी को बैन कर दिया गया है. शेख हसीना के बेटे और सलाहकार सजीब वाजेद जॉय (Sajeeb Wazed Joy) ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर इस्लामी शासन स्थापित करने का आरोप लगाया है. साथ ही बांग्लादेश के मौजूदा हालात को भारत के लिए एक गंभीर खतरा बताया है.

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सजीब वाजेद ने अवामी लीग को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

 यह याद रखना जरूरी है कि अवामी लीग को हमेशा करीब 40 फीसदी वोट मिलते रहे हैं. हमारे हजारों कार्यकर्ता हैं. आधी आबादी के समर्थन को ऐसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. वह बांग्लादेश की राजनीति में एक अहम ताकत बनी रहेगी. हम लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे. अभी नहीं तो बाद में जरूर वापस आएंगे.

बांग्लादेश में भविष्य की राजनीति को आकार देने में सेना की भूमिका पर किए गए सवाल के जवाब में सजीब वाजिद ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इसमें सेना की कोई भूमिका है. सेना तो बस मूकदर्शक है. 54 साल के वाजिद अमेरिका में रहते हैं. और उनकी मां शेख हसीना ने तख्तापलट के बाद भारत में राजनीतिक शरण ली है. 

बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने 23 नवंबर को 2024 के छात्र विद्रोह में हुई हत्याओं के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है. इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सजीब वाजिद ने कहा, 

मैं नियमित तौर पर अपनी मां से फोन पर बात करता हूं. एक बार दिल्ली जाकर उनसे मिल भी चुका हूं और दोबारा जाने की योजना बना रहा हूं. मेरा संदेश बिल्कुल साफ है. मेरे परिवार के खिलाफ दिए गए फर्जी फैसलों को पूरी दुनिया के सामने लाना. और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान मोहम्मद यूनुस सरकार में कमजोर होते लोकतांत्रिक मूल्यों की ओर दिलाना.

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से शेख हसीना को बांग्लादेश डिपोर्ट करने की अपील की है. इस मुद्दे पर अपनी राय देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे ने कहा कि किसी भी कानूनी प्रत्यर्पण के लिए नियमों का पालन करना जरूरी होता है. लेकिन बांग्लादेश में इसकी भारी कमी है. उन्होंने बताया,

 मेरी मां को तो अपने वकील तक को वहां भेजने का मौका नहीं दिया गया. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि भारत को इस दिशा में कुछ करने की जरूरत है.

बांग्लादेश की अंतिरम सरकार और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकी को सजीब वाजिद ने भारत के लिए खतरा बताया है. उन्होंने कहा, 

हमारी सरकार ने भारत की पूर्वी सीमाओं को सभी तरह के आतंकी खतरे से सुरक्षित रखा. इससे पहले बांग्लादेश का इस्तेमाल भारत में उग्रवाद फैलाने के एक अड्डे के तौर पर किया जाता था. एक बार फिर से वैसी ही स्थिति बन सकती है. बांग्लादेश में आतंकी प्रशिक्षण शिविर स्थापित हो चुके हैं. अलकायदा के वांटेड एक्टिविस्ट वहां एक्टिव हैं और पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर वहां सार्वजनिक कार्यक्रमों में स्पीच दे रहे हैं. इसलिए भारत के लिए खतरा बहुत गंभीर और स्पष्ट है.

शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद दिए गए इंटरव्यूज में सजीब वाजिद ने बांग्लादेश को एक असफल इस्लामी राज्य बनने के रास्ते पर जाता हुआ बताया था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा,

 यूनुस सरकार ने जमात-ए-इस्लामी और दूसरे इस्लामी दलों को देश में खुली छूट दे रखी है. बांग्लादेश में इन दलों को कभी भी पांच फीसदी से ज्यादा वोट नहीं मिले, लेकिन सभी प्रोग्रेसिव और उदारवादी दलों को प्रतिबंधित करके यूनुस सरकार इस्लामी ताकतों को सत्ता में स्थापित करने की कोशिश कर रही है.

अभी कुछ दिनों पहले भारत सरकार ने ढाका के उच्चायुक्त को तलब किया था. नई दिल्ली ने बांग्लादेश में सुरक्षा के बिगड़ते हालात और भारतीय उच्चायोग को धमकी देने वाले चरमपंथी तत्वों की गतिविधियों पर गहरी चिंता जाहिर की थी. 

वीडियो: शेख हसीना के मौत की सज़ा पर UN क्यों विरोध कर रहा, भारत का पक्ष क्या है?

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