"...भारतीय पुरुषों में कुछ दिक्कत है", शशि थरूर को ऐसा क्यों कहना पड़ा?
शशि थरूर ने कहा कि उन्हें गर्व है कि केरल की महिलाएं अन्याय के ख़िलाफ़ खड़ी हैं. राज्य के #MeToo आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं. उत्पीड़न की रिपोर्ट जारी करने में देरी की गई है, उसके लिए केरल की सत्तारूढ़ CPI(M) सरकार की आलोचना भी की.

मलयालम सिनेमा उद्योग में ऐक्ट्रेसेज़ के ‘सुनियोजित’ यौन उत्पीड़न के कई मामले रिपोर्ट हुए हैं. केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने इस मसले पर खुल कर बात की है. NDTV को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि हमारे समाज के रवैये में बदलाव की ज़रूरत है, ख़ासतौर पर महिलाओं के प्रति. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया है कि अगर भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध रुक नहीं रहे, तो मतलब पुरुषों में ही कुछ ‘समस्या’ है.
शशि थरूर ने कहा कि इतनी सारी महिलाओं का शिकायत के साथ सामने आना एक अच्छा क़दम है. जेंडर की बराबरी की दिशा में एक ज़रूरी कदम है. कांग्रेस सांसद ने कहा,
"मुझे लगता है कि हमारे समाज की तहों से कई बातें निकलकर सामने आ रही हैं… ये हमेशा से चला आ रहा है, लेकिन अब 2012 की निर्भया त्रासदी और अब 2024 के आरजी कर अस्पताल में बलात्कार और हत्या के बाद से इस पर बात की जा रही है.
12 साल हो गए. कुछ भी नहीं बदला! हर दिन जब मैं अख़बार उठाता हूं, तो कोई न कोई घटना होती है... किसी महिला के साथ मारपीट, कॉलेज की छात्रा, बच्ची या अधेड़ उम्र की महिला. अगर हम अब तक इस समस्या का समाधान नहीं कर पाए हैं, तो भारतीय पुरुषों में कुछ समस्या ज़रूर है."
अपनी तरफ़ से कांग्रेस सांसद ने सुझाव दिया कि स्कूली बच्चों के लिए जेंडर सेंसटिव निर्देश लागू किए जाने चाहिए.
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चूंकि मामला उनके राज्य का ही है, सो उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि केरल की महिलाएं अन्याय के ख़िलाफ़ खड़ी हैं. राज्य के #MeToo आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं. उत्पीड़न की रिपोर्ट जारी करने में देरी की गई है, उसके लिए केरल की सत्तारूढ़ CPI(M) सरकार की आलोचना भी की.
बीती 28 अगस्त को मलयालम फ़िल्म उद्योग के संघ एसोसिएशन ऑफ़ मलयालम मूवी एक्टर्स (AMMA) के चेयरपर्सन मोहनलाल ने इस्तीफ़ा दे दिया था और संघ को भंग कर दिया. थरूर के मुताबिक़, इतना काफ़ी नहीं. उन्होंने संघ की आलोचना की, कि इस्तीफा देने वाले लोग एक ऐसे शोषक सिस्टम का हिस्सा थे.
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सांसद शशि थरूर ने समाधान की दिशा में भी बात की. कहा कि वर्कप्लेस पर महिलाओं के लिए बेहतर सुविधाओं और सुरक्षा उपाय होने चाहिए. विशेषकर फ़िल्म उद्योग में, जहां उन्हें अक्सर बुनियादी सुविधाओं की कमी होती है. कहा कि किसी भी वर्कप्लेस पर उत्पीड़न कभी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और एक सुरक्षित और सम्मानजनक कामकाजी माहौल महिलाओं का अधिकार है.
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