CAA कब से लागू होगा, BJP नेता कैलाश विजयवर्गीय ने बताया
पिछले साल इस कानून का जमकर विरोध हुआ था.
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बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा जनवरी 2021 से CAA लागू होने की संभावना. (फोटो- ट्विटर)
भारतीय जनता पार्टी के नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि केंद्र सरकार जनवरी 2021 से CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून लागू कर सकती है. विजयवर्गीय ने कहा कि संभावना है नरेंद्र मोदी सरकार बांग्लादेश और पाकिस्तान के शरणार्थियों को जनवरी 2021 से नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है.
पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में पहुंचे कैलाश विजयवर्गीय ने ये ये बयान दिया. पार्टी के ओर से आयोजित कार्यक्रम 'आर नोय अन्याय' मतलब और अधिक अन्याय नहीं अभियान के मौके संवाददाताओं से कहा कि पड़ोसी देशों से हमारे देश में आने वाले शरणार्थियों को नागरिकता देने के ईमानदार इरादे से सीएए पास किया है. उन्होंने आगे कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल में बड़ी शरणार्थी आबादी को नागरिकता देने की इच्छुक है.
24 परगना जिले के बारासात दौरे की जानकारी कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर भी दी. उन्होंने तस्वीरों के साथ लिखा-
"बारासात (पश्चिम बंगाल) के पूर्बो मंडल से आज #AarNoiAnnay अभियान शुरू किया गया. गृहसंपर्क के साथ लोगों से सीधे बातचीत की गई और उन्हें #BJP की नीतियों से अवगत कराया गया."
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली TMC सरकार पर शरणार्थियों के प्रति सहानुभूति नहीं रखने का आरोप लगाया. TMC ने विजयवर्गीय के बयान पर क्या कहा कैलाश विजयवर्गीय के बयान प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ TMC नेता और राज्य सरकार में मंत्री फिरहाद हक़ीम ने कहा कि बीजेपी पश्चिम बंगाल के लोगों को बेवकूफ बनाने का काम कर रही है. फिरहाद हाकिम ने कहा कि नागरिकता से भाजपा का क्या मतलब है? अगर मातु नागरिक नहीं हैं, तो वे साल-दर-साल विधानसभा और संसदीय चुनावों में कैसे मतदान करते हैं? हकीम ने आगे कहा कि भाजपा को पश्चिम बंगाल के लोगों को बेवकूफ बनाना बंद करना चाहिए. क्या है CAA CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून पिछले साल 11 दिसंबर 2019 को भारत की संसद से पास हुआ था. इस कानून की मदद से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के वो लोग जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर लिया था, उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी. क्यों हुआ था विरोध इस कानून में मुस्लिम धर्म के लोगों को शामिल नहीं किया गया है. इस कानून के विरोधियों का कहना है कि इसमें सिर्फ गैर मुस्लिम लोगों को नागरिकता देने की बात कही गई है, इसलिए ये धार्मिक भेदभाव वाला कानून है जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. सरकार का कहना है कि चुकी ये तीनों देश इस्लामिक हैं इसलिए वहां मुस्लिमों के साथ भेदभाव धार्मिक उत्पीड़न के अंदर नहीं आ सकता.बारासात (पश्चिम बंगाल) के पूर्बो मंडल से आज #AarNoiAnnay अभियान शुरू किया गया। गृहसंपर्क के साथ लोगों से सीधे बातचीत की गई और उन्हें #BJP की नीतियों से अवगत कराया गया। pic.twitter.com/9BhfMhLEnX
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) December 5, 2020