क्रिसमस तुलसी पूजन दिवस है तो बाकी त्योहार क्या हैं?
त्योहार टेक ओवर करने की हमारी स्ट्रैटजी के पीछे की वजह ये है.
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फोटो - thelallantop
सच मानो इस धरती पर देव मानुस लोग होते हैं. जो एक साथ दो त्योहार मनाते हैं. क्रिसमस को तुलसी पूजन. वैलेंटाइन को मातृ पितृ पूजन. दिन में घंटे सिर्फ 24 होते हैं नहीं तो ये हर त्योहार दो टाइप से मनाएं. जैसे बकरीद को बकरी पूजन दिवस. बैसाखी को विकलांग पूजन दिवस. जैसे जैसे तकनीक आगे बढ़ेगी और धर्म का दबाव बढ़ेगा. इन त्योहारों को भी टेक ओवर कर लिया जाएगा. फिकर नाट.इन सब मामलों में हम बहुत चूज़ी हैं. अभी अंग्रेजों वाले त्योहार चूज़ कर लिए हैं. हम अपने तरीके से बदला लेने पर यकीन रखते हैं. हम जानते हैं कि उन्होंने हम पर दो सौ साल राज किया. हमको गुलाम बनाकर रखा. हम अभी उनके बराबर ताकतवर नहीं हैं. अगर सीधे से टक्कर दे सकते तो उनको मसलकर भारत में मिला लेते. लेकिन वो दूर की कौड़ी है. फिलहाल उनके त्योहारों पर अपने जबरदस्ती वाले त्योहार थोपकर बदला लेंगे. हम अनारकली हो गए हैं और हमारी हीनभावना जिल्ले इलाही बादशाह अकबर. वो हमको जीने नहीं देना चाहती है. हमको डर है कि हमारे त्योहारों पर बाहरी पंजा न मार दें. हर महीने तीज, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी और एकादशी के अलावा बीसियों त्योहार हैं हमारे पास. सोचो अगर अंग्रेजों ने इनमें से आधे कब्जिया लिए, फिर तो वो एकदम से बड़े आदमी हो जाएंगे. हम उनको ऐसे बड़ा होता नहीं देख सकते. हम बचाव नहीं, अटैक के मूड में हैं. इससे पहले कि वो हमारे त्योहारों पर बुरी नजर डालें. हम उनके त्योहारों पर कब्जा कर लेते हैं. कल कोई बता रहा था कि दिवाली के बाद हो जाती है तुलसी की पूजा. किसी ने कहा जो सर्दियों में देवोत्थान एकादशी होती है उसमें सारे पेड़ पौधे पूज लिए जाते हैं. गन्ने से सूप बजाकर "ईश्वर आए दलिद्दर जाए" का नारा भी बुलंद कर देती हैं माताएं. इन सब लोगों को मालूम नहीं है कि तुलसी पूजन दिवस तो 25 दिसंबर को मनाया जाता है. ठीक क्रिसमस के दिन. क्रिसमस का भौकाल कम करने के लिए.
इसके अलावा एक वजह ये भी है. हम अपने यहां हर चीज का पूजन दिवस मनाते हैं. गोवर्धन पूजा, गौपूजा, मधुशाला पूजा, धरती पूजा, गांव की पूजा, नारी की पूजा, पीपल पूजा, बरगद पूजा, एवरीथिंग पूजा. बट हॉली बासिल की पूजा के लिए कोई दिन डिक्लेअर नहीं किया गया है शास्त्रों में. इसलिए व्हाट्सऐप शास्त्र ने इसका बीड़ा उठाया और हमारे बीच में फैला दिया.कुछ लोग मजाक उड़ा रहे हैं कि सैंटा गिफ्ट देने आ रहा है. तुमसे कुछ छीनने नहीं जो डर के मारे तुलसी पूजन में लग गए हो. उनको बताने का वक्त आ गया है कि ये डर नहीं, डर के आगे की जीत है. अब सब बदल जाएगा. जैसे हमने इस साल जीसस के जन्म दिन को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया, उसी तरह अगले साल से जीसस के मरण दिन को "मिहिर पूजन दिवस" के रूप में मनाएंगे. क्योंकि दोनों के मरने की एग्जैक्ट डेट इतिहासकारों को पता नहीं है. एकता कपूर को भी नहीं.