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दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान प्रस्तावना में शामिल 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवाद' पर क्या कह दिया?

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि जिन लोगों ने इमरजेंसी लगाई, वे आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं.

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Dattatreya Hosabale
RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले. (फाइल फोटो- India Today)
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सौरभ
26 जून 2025 (Updated: 26 जून 2025, 12:11 AM IST) कॉमेंट्स
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद अब RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने भी भारत के संविधान की प्रस्तावना में शामिल 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों पर अपनी राय दी है. उन्होंने सीधे-सीधे तो नहीं कहा कि इन शब्दों को प्रस्तावना से हटा देना चाहिए, लेकिन उनकी बात को इसी संकेत के रूप में देखा जा रहा है. दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि ये दोनों शब्द आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़े गए थे, लेकिन इन पर कभी चर्चा नहीं हुई.

RSS के मुखपत्र ऑर्गेनाइज़र की खबर के मुताबिक दत्तात्रेय ने कहा,

आपातकाल के दौरान संविधान में दो शब्द — 'धर्मनिरपेक्ष' (Secular) और 'समाजवादी' (Socialist) — जोड़े गए, जो मूल प्रस्तावना (Preamble) का हिस्सा नहीं थे. बाद में इन्हें हटाया नहीं गया और इस पर कोई बहस भी नहीं हुई कि ये शब्द बने रहने चाहिए या नहीं. इस पर चर्चा होनी चाहिए. ये दो शब्द डॉ. आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान में नहीं थे. आपातकाल के समय देश में न तो संसद सही ढंग से चल रही थी और न ही न्यायपालिका की स्वतंत्रता. फिर भी ये दो शब्द जोड़ दिए गए. इसलिए इस विषय पर विचार और बहस होना जरूरी है.

दत्तात्रेय होसबोले ने 26 जून को नई दिल्ली स्थित आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक सभा को संबोधित किया. उन्होंने इसी दौरान संविधान में 42वें संशोधन पर सवाल उठाए. होसबोले ने कांग्रेस पर तीखे हमले बोले.

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उसे 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल के लिए सार्वजनिक माफी की मांगनी चाहिए.

दत्तात्रेय होसबोले ने 25 जून 1975 को घोषित आपातकाल को याद करते हुए कहा कि उस समय हजारों लोगों को जेल में डाला गया, उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया और न्यायपालिका तथा मीडिया की स्वतंत्रता को बुरी तरह दबा दिया गया. उन्होंने कहा कि उस दौर में जबरन नसबंदी जैसे कठोर कदम भी उठाए गए, जिससे आम जनता को काफी कुछ झेलना पड़ा.

उन्होंने कांग्रेस नेताओं को निशाने पर लेते हुए कहा,

जिन लोगों ने ये काम किए, वे आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं. लेकिन आज तक उन्होंने माफी नहीं मांगी. माफी मांगिए!

इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 42वें संशोधन पर सवाल उठाए थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आदित्यनाथ ने 25 जून को कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द जोड़ना ‘भारत की आत्मा पर हमला’ था.

वीडियो: मोदी सरकार ने बिन बताए संविधान से सेक्यूलर, सोशलिस्ट शब्द हटाए? इस आरोप में कितना दम?

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