The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Ram Mandir Pran Pratishtha What did Foreign Media said about it

राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा, विदेशी मीडिया ने क्या कहा?

Ram Mandir प्राण प्रतिष्ठा समारोह में Pakistan के अखबार डॉन समेत क्या कुछ लिख रहा है विदेशी मीडिया?

Advertisement
Ram Mandir
अयोध्या राम मंदिर. (फोटो- आजतक)
pic
सौरभ
22 जनवरी 2024 (Updated: 22 जनवरी 2024, 03:49 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह (Ram Mandir Pran Pratishtha) की चर्चा देश भर में तो है ही, दूसरे देशों में भी है. दुनिया के तमाम बड़े अखबारों में राम मंदिर को लेकर लेख छापे जा रहे हैं. एक नज़र डालते हैं  कि अयोध्या के लिए दुनिया के दूसरे देशों के अखबार क्या लिख रहे हैं.

वॉशिंगटन पोस्ट

वॉशिंगनट पोस्ट (washington post) अमेरिका का डेली न्यूज़पेपर है. इसमें लिखा गया, राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को दशकों पुरानी हिंदू राष्ट्रवादी प्रतिज्ञा को पूरा करेगी. अप्रैल या मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं के बीच इसकी गूंज सुनाई देने की उम्मीद है.

आगामी लोकसभा चुनावों से पहले भारत के सबसे विवादास्पद धार्मिक स्थलों में से एक में मंदिर के उद्घाटन से मोदी को बड़ी गति मिलने की उम्मीद है. क्योंकि वह हिंदुओं, जिनकी आबादी लगभग 80 प्रतिशत है, उनकी धार्मिक भावनाओं के आधार पर अपनी सत्ता को रिकॉर्ड लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए बढ़ाना चाहते हैं.

TIME

टाइम मैग्जीन ने भी राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक स्पेशल स्टोरी की है. टाइम ने लिखा-  16वीं सदी की मस्जिद के खंडहरों के ऊपर राम मंदिर का विवादास्पद उद्घाटन मोदी, उनकी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और हिंदू राष्ट्रवादी समूहों का तीन दशक पुराना वादा है. और यह भारतीयों पर हिंदू वर्चस्व का अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक प्रमाण है.

बाबरी मस्जिद से जोड़कर हिंदू राष्ट्रवाद को भड़काने से भाजपा को फायदा हुआ और 2014 में अधिक बहुलवादी भारतीय कांग्रेस पार्टी को हटाकर सत्ता में आ गई. इसके बाद भाजपा ने लोकतांत्रिक भारत को हिंदू वर्चस्ववादी राज्य में बदलना शुरू कर दिया. 2019 में भाजपा की दूसरी राष्ट्रीय जीत के बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय - जिसकी स्वायत्तता को मोदी सरकार ने कम कर दिया है, ने अपना अंतिम निर्णय जारी किया जिसने बाबरी मस्जिद स्थल के भाग्य का फैसला किया. अदालत ने मस्जिद के विध्वंस को "कानून के शासन का घोर उल्लंघन" कहा, लेकिन फिर भी फैसला सुनाया कि मस्जिद के मलबे पर राम मंदिर बनाया जा सकता है. मोदी ने अगस्त 2020 में एक भूमि पूजन समारोह में मंदिर की आधारशिला रखी, और अपने हिंदू राष्ट्रवादी साथियों से घिरे अयोध्या मंदिर का अभिषेक करके भाजपा और अन्य हिंदू वर्चस्ववादियों ने 30 साल पहले जो शुरू किया था, उसे पूरा करेंगे.

डॉन

पाकिस्तान के सबसे बड़े अखबार डॉन ने लिखा कि सितारों से सजे इस कार्यक्रम में लोकप्रिय फिल्म अभिनेताओं, क्रिकेटरों और प्रमुख उद्योगपतियों के अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है. हालांकि, पहले जिसे बहुसांस्कृतिक सभ्यता का केंद्र माना जाता था उस अयोध्या के मुस्लिम निवासियों का कहना है कि हिंसा के डर से उन्होंने अपने बच्चों और महिलाओं को पड़ोसी शहरों में रिश्तेदारों के पास भेज दिया है.

स्थानीय मुस्लिम संगठन ने प्रशासन को याचिका दी है. उनकी मांग है कि बड़ी मुस्लिम आबादी वाले इलाकों के साथ-साथ अयोध्या के अन्य हिस्सों में कड़ी सुरक्षा और निगरानी हो, जहां 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस और सांप्रदायिक हिंसा देखी गई थी.

द गार्डियन

ब्रिटिश अखबार गार्डियन ने लिखा अप्रैल महीने तक भारत में चुनाव होने हैं. जिसमें मोदी और उनकी भाजपा, सरकार में तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश करेगी. मंदिर के उद्घाटन समारोह को, कुछ विश्लेषकों ने उनके चुनाव अभियान की अनौपचारिक शुरुआत के तौर पर बताया है. भाजपा का चुनावी एजेंडा हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं पर भारी पड़ने की संभावना है, जो भारत की आबादी का 80% हिस्सा है.

इस दौरान मोदी की धार्मिक भावनाएं सार्वजनिक हुईं. प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भगवान ने उन्हें "सभी भारतीयों के प्रतिनिधि" होने के लिए एक साधन के रूप में चुना और उन्होंने इसकी तैयारी के लिए 11 दिनों की "कठोर प्रतिज्ञा और बलिदान" शुरू कर दिया था.

2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से राम मंदिर के साथ सरकार की निकटता को संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता से दूर होते देखा जा रहा है. और साथ ही देश को हिंदू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में आंदोलन के रूप में भी देखा जा रहा है.

रॉयटर्स

दुनिया की सबसे बड़ी न्यूज़ एजेंसी ने गिनी जाने वाली रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा- अयोध्या में राम मंदिर में शिलान्यास समारोह को मुस्लिम और औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा सदियों की अधीनता के बाद हिंदू जागृति के तौर पर देखा जा रहा है. इसे मई में होने वाले आम चुनावों के लिए मोदी के चुनाव अभियान की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है.

 

वीडियो: राम मंदिर के दर्शन के लिए साइकिल पर असम से अयोध्या पहुंचे ये लोग

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स

Advertisement