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इस आदमी में अम्बोरिश को भगवान दिखता है

जहां सौ रुपये का नोट खो जाए तो दोबारा नहीं मिलता, विरेश ने घर तक जाकर मैकबुक लौटा दिया.

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लल्लनटॉप
13 जून 2016 (Updated: 12 जून 2016, 05:23 AM IST) कॉमेंट्स
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कभी सड़क पर चलते-चलते जेब से 100 रुपये का नोट गिर जाए. तो याद आने पर वापस जा कर खोजने के बारे में सोचना भी बेवकूफी लगता है. और अगर आप मुंबई जैसे बड़े और भीड़-भाड़ वाले शहर में हों तो फिर तो कोई उम्मीद ही रह जाती है. ऐसे में किसी का मैकबुक एयर कहीं छूट जाए और फिर उसे वापस करने कोई घर तक आ जाए. यकीन नहीं होता न? लेकिन ऐसा सच में हुआ है, और मुंबई में ही.
पेशे से राइटर अम्बोरिश रॉय चौधरी छत्रपति शिवाजी टर्मिनल जाने वाली लोकल ट्रेन से उतरते वक़्त अपना बैग ट्रेन में ही भूल गए थे. जिसमे उनका मैकबुक एयर भी था. रात के 11 बजे के करीब अम्बोरिश वडाला पर उतर गए. फिर उन्हें अपने बैग का ध्यान आया. हैरान, परेशान पहले तो उन्होंने रेलवे पुलिस में शिकायत दर्ज की. लेकिन पुलिस के ट्रेन में खोजबीन कर लेने पर भी कुछ हाथ नहीं लगा. तब अम्बोरिश ने इस पूरी घटना के बारे में ट्वीट किया. फिर भी कुछ पता नहीं चल सका.
जब वे मैकबुक वापस मिलने की उम्मीद छोड़ चुके थे, तब उन्हें घर बैठे ही उनका लैपटॉप बैग वापस मिल गया. हुआ ये कि रेलवे कर्मचारी विरेश नरसिंह केले को ट्रेन की सफाई करते वक़्त अम्बोरिश का बैग दिखा. उन्होंने लैपटॉप खोल कर नाम देखा. फिर बैग के एक कोने में पड़े एक लिफ़ाफ़े से उन्हें अम्बोरिश के घर का पता मिल गया. और विरेश ने पनवेल से अम्बोरिश के घर तक की दूरी तय कर, लैपटॉप सहित उनका बैग वापस किया. बाद में अम्बोरिश ने फेसबुक पर जानकारी दी कि विरेश रेलवे कर्मचारी नहीं हैं. वो एक कैटरिंग सर्विस के लिए काम करते हैं. https://twitter.com/amborish/status/741514956529631232?ref_src=twsrc%5Etfw अम्बोरिश ने फेसबुक पर पोस्ट किया कि वे नास्तिक हैं, लेकिन विरेश की वजह से आज भगवान पर उनका विश्वास कायम हो गया. उनके लिए तो विरेश ही भगवान के रूप में आए थे. उन्होंने मुंबई के बारे में भी अम्बोरिश की सोच बदल दी. अम्बोरिश ने विरेश की फोटो के साथ फेसबुक पर लिखा कि अब तो वो दोनों दोस्त बन चुके हैं. उन्होंने पहले विरेश को पैसे देने की कोशिश की. जब विरेश ने इंकार कर दिया तो उन्होंने रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु से उन्हें पुरस्कृत करने की अपील की. ट्विटर और फेसबुक पर बहुत सारे लोगों ने उनका सपोर्ट करते हुए विरेश को पुरस्कृत करने की मांग की. तब से हर तरफ विरेश केले की ईमानदारी के चर्चे हो रहे हैं. और होने भी चाहिए, न ऐसे लोग रोज- रोज मिलते हैं, और न ही ऐसे वाकये रोज होते हैं. tweet1

 ये स्टोरी दी लल्लनटॉप के साथ इंटर्नशिप कर रही पारुल ने की है.

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