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प्रयागराज : आफरीन ने कहा, मुसलमानों का घर गिरने पर उन लोगों को सुख मिलता है

अपने इस इंटरव्यू में और क्या कहा आफ़रीन फातिमा ने?

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Afreen Fatima and her house in Allahabad
आफरीन फातिमा और उनका तोड़ा गया घर. (फोटो: ट्विटर/पीटीआई)
16 जून 2022 (Updated: 16 जून 2022, 14:10 IST)
Updated: 16 जून 2022 14:10 IST
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शुक्रवार, 10 जून को जुमे की नमाज के बाद प्रयागराज में हुई हिंसा के आरोप में स्थानीय कार्यकर्ता मोहम्मद जावेद की दो मंजिला इमारत को प्रशासन ने जमींदोज कर दिया था. आरोप था कि मकान का कुछ हिस्सा गलत तरीके से बनाया गया था. बाद में पता चला कि ये घर उनकी पत्नी के नाम पर था, जिसे उनके पिता ने गिफ्ट किया था. लेकिन प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने जावेद के नाम पर नोटिस जारी कर ये कार्रवाई की थी.

इसे लेकर पहली बार मोहम्मद जावेद की बेटी और जेएनयू छात्रा आफरीन फातिमा की बात सामने आई है. आफ़रीन ने कहा है कि जिस घर को गिराया गया, परिवार की यादें घर से जुड़ी थीं. घर नहीं टूटा, पेड़-पौधे सब टूटे.

मकतूब मीडिया नाम की एक समाचार एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में आफ़रीन फातिमा ने कहा, 

'उस घर में मेरी छोटी बहन पैदा हुई थी. इस तरह मेरा घर मेरी छोटी बहन के उम्र जितना पुराना था. वो हमारा अपना एक 'स्पेस' (खास जगह) था, जहां हम अपने खास पलों को व्यतीत करते थे. जहां हम आजाद रहते थे. हम खूब मस्ती करते थे. एक दूसरे (परिवार के बीच) से खूब लड़ते भी थे. मेरी मां को पौधों का बहुत शौक है. जब वे हमारे घर को गिरा रहे थे, उसके साथ ही उन्होंने हमारे पौधों को भी जमींदोज कर दिया. हमने अपनी आखों से ये सब देखा.'

आफरीन फातिमा ने बताया कि उनके घर में 500 से अधिक पौधो वाले गमले लगे थे. उन्होंने कहा,

‘हमारे घर में 500 से अधिक गमलें थे, जिसमें तरह-तरह के पौधे लगाए गए थे. ये उन पौधों के लिए भी काफी तकलीफदेह रहा होगा. मैं ये भी सोचती हूं कि पौधे भी उन लोगों को बद्दुआ दे रहे हैं, ऐसा सोचकर एक तरह की शांति मुझे मिलती है.'

उन्होंने कहा कि देश की हालत ऐसी हो गई है कि अब मुसलमानों को कुछ करने की भी जरूरत नहीं है, बिना इसके ही उन्हें प्रताड़ित किया जाता है. आफरीन ने कहा कि अगर इलाहाबाद में कोई प्रदर्शन न होता, तब भी उनके पिता को फंसाया जाता, क्योंकि वे शहर में बढ़ती कट्टरता, असहुष्णता के खिलाफ आवाज उठा रहे थे.

मुस्लिमों की तकलीफ में उन्हें मजा आता है! 

आफरीन फातिमा ने कहा कि ऐसे धर्म संसद भी हुए हैं जहां सीधे नरसंहार करने तक का आह्वान किया गया है. मुसलमानों को सजा देना या दूसरे शब्दों में कहें तो मुसलमानों को प्रताड़ित करने आनंद उठाने जैसी घटनाएं अब हर जगह देखने को मिलता है. 

उन्होंने आगे कहा,

‘हिंदुत्ववादी कट्टरपंथियों को इसमें मजा आता है, जब मुसलमानों का घर गिरता है तो उन्हें सुख मिलता है. वे चाहते हैं कि दिन रात टीवी पर मुसलमानों के खिलाफ भड़काया जाए, उन्हें बर्बर और वहशी बताया जाए. ये इनका आनंद उठाने का तरीका है. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे. हम उन्हें ये सुख नहीं देंगे. हम एक बूंद भी आंसू नहीं बहाएंगे.'

जेएनयू छात्रा ने कहा कि जहां तक मुसलमानों की बात है तो ये समुदाय बेहद मजबूत है, हमारे सामने जो भी दिक्कतें आएंगी, उसका हम डटकर सामना करेंगे.

कौन हैं आफरीन?

आफरीन फातिमा प्रयागराग के करैली की रहने वाली हैं. उन्हें साल 2018 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) विमेन्स कॉलेज का प्रेसिडेंट चुना गया था. वहां वो बीए लैंग्वेज में पढ़ती थीं. इसके बाद साल 2019 में उन्होंने JNU में एडमिशन लिया.

साल 2019 के JNU स्टूडेंट्स यूनियन के चुनाव में वह स्कूल ऑफ लैंग्वेज एंड कल्चरल स्टडीज़ से काउंसर पद के लिए चनी गईं थी. इस चुनाव में आफरीन को BAPSA (बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन) का सपोर्ट मिला था.

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