पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे और बेटी ट्विटर पर आमने सामने क्यों आ गए हैं?
मामला प्रणब के ऊपर आने वाली एक किताब से जुड़ा है.
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the presidential years किताब को लेकर शर्मिष्ठा और अभिजीत ने पब्लिशर के लिए अलग-अलग बातें कही हैं. फोटो- Twitter
क्या कहा अभिजीत मुखर्जी ने?
कांग्रेस पार्टी से सांसद रह चुके अभिजीत मुखर्जी ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए. उन्होंने किताब के प्रकाशन पर आपत्ति जताई, और इस पर रोक लगाने को कहा. उन्होंने पब्लिकेशन हाउस को टैग करते हुए कहा कि प्रकाशन से पहले वह इस किताब को पढ़ना चाहते हैं. उन्होंने कहा,
"मैं किताब ‘The Presidential Memoirs’ के लेखक का बेटा, आपसे रिक्वेस्ट करता हूं कि इस संस्मरण का प्रकाशन रोक दिया जाए. साथ ही उन हिस्सों का भी, जो कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मेरी बिना लिखित अनुमति के चल रहे हैं. मेरे पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं. उनका बेटा होने के नाते मैं इस किताब को छापे जाने से पहले इसकी फाइनल कॉपी को पढ़ना चाहता हूं. मुझे भरोसा है कि अगर आज मेरे पिता जिंदा होते तो वो भी यही करते."क्या कहा शर्मिष्ठा मुखर्जी ने?
"उनका बेटा होने के नाते मैं आपसे निवेदन करता हूं कि बिना मेरी लिखित अनुमति के इसको प्रकाशित ना करें, जब तक मैं इसे पढ़ ना लूं. इस बारे में मैंने आपको एक विस्तृत चिट्ठी भेजी है. सादर- अभिजीत मुखर्जी."
अभिजीत बनर्जी के ट्वीट्स
प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भाई अभिजीत के ट्वीट्स का जवाब दिया. उन्होंने भी एक के बाद एक तीन ट्वीट किए और कहा कि किताब को प्रकाशित होने देना चाहिए. उन्होंने कहा,
"मैं इस संस्मरण के लेखक की बेटी, अपने भाई अभिजीत से आग्रह करती हूं कि हमारे पिता की आखिरी किताब के प्रकाशन में अनावश्यक अवरोध उत्पन्न ना करें. उन्होंने (प्रणब ने) इस किताब को बीमार पड़ने से पहले लिखा था. इसके फाइनल ड्राफ्ट में मेरे पिता के हाथ से लिखे गए नोट्स और टिप्पणियां हैं, जिनका पूरी सख्ती के साथ अनुसरण किया गया है."क्या कुछ लिखा है किताब में?
"जो विचार उन्होंने व्यक्त किए हैं, वो उनके हैं. कोई भी किसी सस्ती लोकप्रियता के लिए इसका प्रकाशन रोकने की कोशिश ना करे. यह हमारे दिवंगत पिता के लिए अन्याय होगा. और हां भाई किताब का नाम ‘The Presidential Memoirs’ नहीं बल्कि ‘The Presidential Years’ है".
कांग्रेस के टिकट पर दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ चुकीं शर्मिष्ठा ने भाई के जवाब में ये ट्वीट किए हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि जनवरी 2021 से ये किताब बिक्री के लिए उपलब्ध कराने की योजना है. पब्लिकेशन की ओर से किताब के कुछ अंश मीडिया में जारी किए गए हैं. किताब में कांग्रेस से जुड़ी कई खास बातें कही गई हैं. किताब में प्रणब की ओर से लिखा गया है कि पार्टी के कुछ लोग ऐसा मानते थे कि अगर 2004 में वह (प्रणब) पीएम बनते तो 2014 में करारी हार वाली स्थिति नहीं आती, लेकिन मैं इस राय से इत्तेफाक नहीं रखता हूं. मैं ये जरूर मानता हूं कि मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी ने अपनी दिशा खो दी थी.
आपको बता दें कि प्रणब मुखर्जी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे. वह इस बीमारी को मात देने में सफल रहे लेकिन अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण 31 अगस्त 2020 को उनका निधन हो गया था. वे देश के 13वें राष्ट्रपति थे.