दिल्ली के बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों के ऊपर पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है. तकरीबन 11 धाराओं में FIR दर्ज की गई है.
क्या है मामला?
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर 27 नवम्बर को प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बैरिकेड तोड़कर जबरन दिल्ली में प्रवेश करने का प्रयास किया था. इस दौरान किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले दागे. और लाठी चार्ज किया. कथित रूप से किसानों की तरफ से भी पथराव किया गया, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी ज़ख़्मी हो गए थे. अब इसी का एक मामला अलीपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज कर लिया गया है. IPC की जिन धाराओं के तहत FIR दर्ज हुई है वो ये हैं:
186: लोक सेवक के काम में बाधा डालना
353: एक सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने/डराने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना
332 : लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाना
323 : जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुंचाना
147/148/149: बलवा या उपद्रव करना
279 : लोकमार्ग पर जल्दबाजी और लापरवाही से कोई भी गाड़ी चलाना
337 : किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, चोट पहुंचाना
188 : लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा
269 : ऐसा कार्य करना जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो (कोविड-19 की गाइडलाइंस की अवहेलना)
किसान प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?
किसानों से जुड़े तीन नए कानूनों की वजह से. किसानों का मानना है कि ये कानून उनके हित में नहीं हैं और कॉर्पोरेट घरानों को मनमानी के लिए रास्ता देते हैं. किसान कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र न होने की वजह से भी नाराज़ हैं. इन कानूनों की वापसी को लेकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के किसान 'दिल्ली चलो' मार्च कर रहे हैं. उन्हें दिल्ली बॉर्डर पर रोका गया है. उन्हें रोकने के लिए बड़ी संख्या में फोर्स की तैनाती की गई है. किसानों की मांगों का पंजाब और राजस्थान की कांग्रेसी सरकारों ने समर्थन किया है. वहीं हरियाणा और उत्तर प्रदेश की बीजेपी की सरकार किसानों को भरोसा दिलाने में कामयाब नहीं हो पाई हैं.
दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में 30 से ज्यादा संगठन शामिल बताए जा रहे हैं.