22 दिसम्बर को ईसपुर गांव की बक्शो देवी डिस्ट्रिक्ट लेवल के स्कूल एथलेटिक्स टूर्नामेंट में दौड़ रही थी. 5 हजार मीटर की दौड़. हिमाचल की सर्दी. पैर में जूते नहीं. खिलाड़ियों वाले कपड़े भी नहीं. फिर भी दौड़ी. नंगे पैर दौड़ी थीं. दौड़ते-दौड़ते पेट में दर्द उठा. दर्द क्योंकि पित्ताशय में पथरी है. तब भी दौड़ती रही और जिले भर के दौड़ने वालों को हरा अव्वल आई.
ये बक्शो देवी है. हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के ईसपुर गांव में रहती है. नौवीं कक्षा में पढ़ती है. नौ साल पहले उसके पापा चल बसे . मम्मी हैं,थोड़ी-बहुत खेती के काम करती हैं. कुछ मवेशी हैं उनका दूध बेच लेते हैं. महीने के 1300 रूपए की आमदनी है. फिर भी बच्चों को पढ़ा रही हैं.
बक्शो की कहानी और फोटो फेसबुक तक पहुंची. लोगों ने पढ़ी,किसी ने 11 हजार कि मदद कि तो किसी ने विदेश से 33 हजार भेजे. सोलन के एक डॉक्टर ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बक्शो को कहानी देखकर उसकी पथरी के इलाज का खर्च उठाने की पेशकश की है.
इस सबके बीच सबसे खास जो रहीं. वो बक्शो और उसकी मां की बातें. बक्शो से जिनने पूछा उन्हें बताया - पी.टी. ऊषा बनना चाहती हूं.
वही मेरी प्रेरणा हैं. बक्शो की मां जीत से खुश हैं, कहती हैं. लड़कियां, लड़कों से किसी भी मामले में कम नहीं होतीं.