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क्या आपको यही लग रहा है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' सिर्फ पहलगाम का बदला है?

Operation: 2016 में उरी अटैक के बाद भी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी, 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर एयरफोर्स ने एयर स्ट्राइक की थी. लेकिन इस बार पाकिस्तान जितना रुआसा है, उतना पहले नहीं दिखा.

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Operation Sindoor
'ऑपरेशन सिंदूर' पाकिस्तान पर भारत का सबसे बड़ा हमला है.
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सौरभ
7 मई 2025 (Updated: 7 मई 2025, 10:51 PM IST) कॉमेंट्स
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अगर अब तक आप सिर्फ इस बात पर गर्व कर रहे हैं कि भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करके पहलगाम हमले का बदला ले लिया है, तो आपकी जानकारी अधूरी है. गौर करें तो, 2016 में उरी अटैक के बाद भी सेना ने PoK में सर्जिकल स्ट्राइक की थी, 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर एयरफोर्स ने एयर स्ट्राइक की थी. लेकिन बीती रात के हमले के बाद पाकिस्तान जितना परेशान है, उतना पहले नहीं दिखा. वजह है, इस बार इस बार आतंकियों के ठिकानों को जितना नुकसान हुआ, उतना पहले नहीं हुआ.

सेना ने 7 मई को रात 1 बजकर 51 मिनट पर जब 'ऑपरेशन सिंदूर' की खबर सार्वजनिक की तो लिखा- ‘पहलगाम का बदला पूरा हुआ.’ पर सुबह 10 बजे तक सेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई तो स्पष्ट हुआ कि कहानी सिर्फ इतनी भर नहीं है. हम सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस की कुछ बातों को कोट करते हैं, आप उसी से समझ जाएंगे कि बदला सिर्फ पहलगाम का नहीं लिया गया है.

- मरकज़ सुभानअल्लाह, बहावलपुर: IB से 100 किलोमीटर दूर है. ये आतंकी आका मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वॉर्टर था. यहां पर आतंकियों की भर्ती और उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी. सेना की कार्रवाई में इसे पूरी तरफ से नेस्तानाबूत कर दिया गया है. इस हमले में मसूद के परिवार के करीब 10 लोग मारे गए हैं.

- मरकज़-ए- तैयबा, मूरीदके: अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) से इसकी दूरी 25 किलोमीटर से कम है. 2008 के मुंबई हमले के आतंकियों को यहीं से ट्रेन किया गया था. अजमल कसाब और डेविड हेडली को भी इसी कैंप में ट्रेनिंग दी गई थी.

- महमूना जाया कैंप, सियालकोट: अंतरराष्ट्रीय सीमा से 18 किलोमीटर से कम दूरी पर स्थित था. हिजबुल का बहुत बड़ा कैंप था. यह जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आतंक फैलाने का केंद्र था. 2016 में पठानकोट एयरबेस पर किया गया आतंकी हमला, इसी कैंप में प्लान और डायरेक्ट किया गया था. ऑपरेशन सिंदूर में इसे भी तबाह कर दिया गया है.

- सर्जल कैंप, सियालकोट: यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर की दूरी पर है. सांबा-कठुआ के सामने. मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के चार जवानों की हत्या में जो आतंकी शामिल थे, उनकी ट्रेनिंग इसी कैंप में हुई थी. उनका भी बदला ले लिया गया है.

- गुलपुर कैंप, कोटली: LoC से 30 किलोमीटर दूर है. यह कैंप लश्कर का बेस कैंप था. यह जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी में लगातार आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था. 20 अप्रैल 2023 को पुंछ में और 9 जून 2024 को तीर्थ यात्रियों को बस हमले में शामिल आतंकियों को यहीं से ट्रेन किया गया था.

- सवाई नाला कैंप, मुजफ्फराबाद: PoJK में लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) से 30 किलोमीटर दूर है. यह लश्कर का ट्रेनिंग सेंटर था. 20 अक्तूबर 2024 को सोनमर्ग में हुए आतंकी हमले, 24 अक्तूबर 2024 को गुलमर्ग में हुए हमले और 22 अप्रैल 2025 पहलगाम हमले के आतंकियों ने इसी ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण लिया था. इसे तबाह कर इन हमलों का भी बदला लिया गया है.

यानी 6-7 मई की रात भारतीय सेना ने जो कार्रवाई की उसमें सिर्फ पहलगाम का बदला नहीं लिया गया. इस बार सेना ने 2016 के पठानकोट एयरबेस हमले से लेकर 2008 के 26/11, मुंबई हमले का भी बदला ले लिया है.

वीडियो: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में मची तबाही, सामने आए कई वीडियो

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