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रिलायंस से सरकार ने मांगे 24,500 करोड़ रुपये, आखिर देनदारी का ये मामला है क्या?

RIL ONGC Govt case: विवाद की शुरुआत साल 2013 में हुई जब ONGC को शक हुआ कि उसके KG-डी5 और जी-4 ब्लॉक का क्षेत्र रिलायंस के KG-डी6 ब्लॉक से जुड़ा हुआ है. और उसके हिस्से की गैस निकाली जा रही है. सरकार के नोटिस पर रिलायंस ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.

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oil ministry demands 2.81 billion dollar from reliance industries limited after high court judgement
रिलायंस को सरकार ने भेजा 24,500 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस.(तस्वीर:PTI)
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शुभम सिंह
4 मार्च 2025 (Updated: 4 मार्च 2025, 06:31 PM IST)
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भारत सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और उसकी साझेदार फर्म को 2.81 अरब डॉलर (24,500 करोड़ रुपये) का डिमांड नोटिस भेजा है. नोटिस दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद जारी किया गया है. मामला रिलायंस के प्राकृतिक गैस के उत्पादन और बिक्री से हुई मुनाफे के संबंध में है. रिलायंस ने भी इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

मामला क्या है?

कृष्णा-गोदावरी यानी (KG) बेसिन में कच्चे तेल और गैस की खान है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, विवाद की शुरुआत साल 2013 में हुई जब ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) को शक हुआ कि उसके KG-डी5 और जी-4 ब्लॉक का क्षेत्र रिलायंस के KG-डी6 ब्लॉक से जुड़ा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, ONGC को आभास हुआ कि केजी-डी5 ब्लॉक की सीमा से जु़ड़े इलाके में रिलायंस ने कम से कम चार कुओं को खोदकर उसके संसाधनों का दोहन किया है.

इसके बाद सरकार ने 2016 में ONGC के आसपास के क्षेत्रों से केजी-डी6 ब्लॉक में ट्रांसफर हुई गैस की मात्रा के लिए रिलायंस और उसके पार्टनर कंपनियों से 1.55 अरब डॉलर (13,528 करोड़ रुपये) की मांग की. रिलायंस ने इसका विरोध किया और मामला इंटरनेशनल कोर्ट तक पहुंचा. जहां साल 2018 में इंटरनेशनल आर्बिट्रेटर ने रिलायंस के पक्ष में फैसला सुनाया. कहा गया कि रिलायंस इस मुआवजे का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं है.

भारत सरकार ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी. जहां सिंगल जज की बेंच ने मई, 2023 में रिलायंस के पक्ष में फैसला सुनाया. लेकिन 14 फरवरी, 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस रेखा पल्ली और जस्टिस सौरभ बनर्जी की बेंच ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. बेंच ने रिलायंस और उसके पार्टनर के खिलाफ फैसला सुनाते हुए सिंगल जज के आदेश को खारिज कर दिया. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने फैसले के बाद डिमांड नोटिस रिलायंस को भेजा है.

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने अब अपनी मांग बढ़ाकर 2.81 अरब डॉलर कर दी है.  यह कदम नए कानूनी घटनाक्रम और गैस माइग्रेशन मामले के पुनर्मूल्यांकन को आधार बनाते हुए उठाया गया है.

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'डिमांड नोटिस टिकने लायक नहीं'

देश की सबसे बड़ी प्राइवेट सेक्टर कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने बताया कि कंपनी को डिमांड नोटिस 3 मार्च, 2025 को प्राप्त हुआ है. कंपनी ने शेयर बाजार को जो सूचना भेजी थी उसमें इस डिमांड नोटिस की जानकारी दी गई है.

रिलायंस ने कहा,

“डिविजन बेंच के फैसले के बाद पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, बीपी एक्सप्लोरेशन (अल्फा) लिमिटेड और निको लिमिटेड (NECO) से 2.81 अरब डॉलर की मांग की है.”

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, RIL ने आगे कहा, “कंपनी को कानूनी  सलाह दी गई है कि बेंच का फैसला और यह डिमांड नोटिस टिकने लायक नहीं है. कंपनी को इस मामले में कोई वित्तीय देनदारी की उम्मीद नहीं है.”

रिलायंस हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए कदम उठा रही है. 

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