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ओडिशा पुलिस के पास कबूतरों का 'डिपार्टमेंट' है, वजह जानकर दिल खुश हो जाएगा

पुलिस वाले कबूतरों का दिन रात खयाल रखते हैं.

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Pigeon service continues in Odisha, only one in the world
इस कबूतर सर्विस पर आपकी क्या राय है? (फोटो- PTI)
7 मई 2023 (Updated: 7 मई 2023, 21:53 IST)
Updated: 7 मई 2023 21:53 IST
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'कबूतर जा जा जा, कबूतर जा जा जा... पहले प्यार की पहली चिट्ठी, साजन को दे आ...'

'मैंने प्यार किया' फिल्म से असद भोपाली का लिखा और राम लक्ष्मण का कम्पोज किया हुआ ये गाना आपने सुना ही होगा. 1989 में आई इस फिल्म ने कबूतरों को फेमस कर दिया. उस दौर में मोबाइल फोन, इंटरनेट, और चैट के कोई जरिए थे नहीं. तो चिट्ठियों का ही सहारा हुआ करता था. और इस काम में कबूतर को डाकिए की तरह इस्तेमाल किया जाता था. ये तो हुई मोहब्बत या दोस्ती की बात. अब जंग की जान लीजिए. पहले और दूसरे विश्व युद्ध में भी कबूतरों ने सेना तक संदेश पहुंचाने का काम किया. यानी कुल मिलाकार इन्हें सिर्फ पक्षी तो नहीं कहा जा सकता.

पर वक्त के साथ टेक्नोलॉजी बढ़ती गई, और कबूतरों की जरूरत कम होती गई. पोस्टल सर्विस शुरू होने के बाद इनकी जरूरत लगभग-लगभग ख़त्म ही हो गई. कबूतर से चिट्ठी भेजना बीते कल की बात बनकर रह गया. इससे पहले उन्हें संरक्षित किया जाता था. पर आपको ये जानकर हैरानी और दिलचस्पी दोनों होगी कि हमारे देश में एक राज्य ऐसा भी है, जहां अब तक कबूतरों को इस काम के लिए बचाया जा रहा है. ये काम ओडिशा में हो रहा है. कटक के तुलसीपुर थाने में अब भी कबूतरों का संरक्षण किया जाता है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस अधिकारी एसएम रहमान बताते हैं,

“इस बात में कोई शक नहीं है कि ये चीज़ बहुत कम हो गई है. इंटरनेट और बाकी जरियों के आने की वजह से ऐसा हुआ है. अगर सब कुछ फेल हो जाता है कभी, बाढ़ आ जाती है या युद्ध हो जाता है, और बाकी चीज़ें फेल हो जाती हैं, तो भी कबूतर कभी फेल नहीं होंगे. ये इकलौता ऐसा दोस्त है जो संदेश पहुंचा देगा.”

इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक और अधिकारी ने बताया,

“इसकी हेरिटेज वैल्यू और इसका इतिहास देखते हुए, हम सरकार से मांग करेंगे कि इस सर्विस को चालू रखें. ये दुनिया की इकलौती पीजन सर्विस है. भले थोड़ा कम कर दीजिए. इस कबूतरों को रेगुलरली उड़ने देना चाहिए. और इसे टूरिस्ट्स को भी दिखाना चाहिए.”

एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने इन कबूतरों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा,

“मैं और मेरा स्टाफ, सुबह 6 बजे आते हैं. आकर जांच करते हैं कि उनका स्वास्थ्य कैसा है. उसके बाद हम स्वस्थ कबूतरों को बाहर घूमने के लिए छोड़ देते हैं.”

एक हवलदार ने बताया कि उन्हें इस काम में बहुत खुशी मिलती है. बचपन से ही मुझे कबूतरों में दिलचस्पी थी.

एसएम रहमान ने आगे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़ा एक किस्सा भी बताया. उन्होंने कहा,

“1948 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संबलपुर आए थे. वो पीजन सर्विस देखना चाहते थे और उसे टेस्ट करना चाहते थे. उनके सामने अंग्रेज़ी में एक मैसेज लिखा गया और एक कबूतर के जरिए कटक भेजा गया. वो पीजन प्रधानमंत्री के कटक पहुंचने से पहले मैसेज के साथ कटक पहुंच गया था. नेहरू ने खुद वो मैसेज देखा और ओडिशा की पीजन सर्विस की तारीफ की. वो खुश हुए और उन्होंने इसे जारी रखने का सुझाव दिया था.”

समाचार एजेंसी ने तुलसीपुर थाने का एक वीडियो शेयर किया है. इसमें दिख रहा है कि कैसे पुलिस वाले इन कबूतरों का खयाल रख रहे हैं. और चोट लगने पर इसका इलाज भी वही करते हैं.

वीडियो: जनाना रिपब्लिक: Indian Matchmaking पर महिला-विरोधी होने के आरोप क्यों लगे?

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