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क्या मोदी सरकार OBC आरक्षण में 'आरक्षण' लाने वाली है?

OBC आरक्षण के मुद्दे पर छह साल पहले बनाए गए आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.

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report of commission set up to examine the sub-categorisation of OBCs submitted
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ PM मोदी. (फाइल फोटो: PTI)
2 अगस्त 2023 (Updated: 2 अगस्त 2023, 23:07 IST)
Updated: 2 अगस्त 2023 23:07 IST
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क्या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27% आरक्षण का फायदा सिर्फ इसी वर्ग की मजबूत जातियों तक सीमित है? क्या आरक्षण का पूरा लाभ देने के लिए OBC में सब-कैटेगराइजेशन यानी उप-वर्गीकरण की जरूरत है? इसी तरह की तमाम जानकारियां जुटाने के लिए एक आयोग बनाया गया था. लगभग छह साल पहले. दिल्ली हाई कोर्ट की रिटायर्ड चीफ जस्टिस जी. रोहिणी की अध्यक्षता में ‘रोहिणी कमीशन’. इस आयोग ने लंबे इंतजार के बाद आखिरकार अपनी रिपोर्ट देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंप दी है.

जस्टिस रोहिणी कमीशन का गठन अक्टूबर 2017 में किया गया था. यूं तो इस कमीशन को तब 12 हफ्ते में ही अपनी रिपोर्ट देनी थी. लेकिन समय-समय पर इसका कार्यकाल बढ़ाया गया. इस कमीशन को 14 बार एक्सटेंशन दिया गया. 31 जुलाई को कमीशन ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, कार्यकाल के आखिरी दिन. 

रोहिणी कमीशन क्यों गठित किया गया था?

इस पैनल को बनाने के पीछे की मंशा ये थी कि अन्य पिछड़ा वर्ग में 27% आरक्षण का लाभ इस वर्ग की सभी जातियों को समान रूप से मिले. ऐसी शिकायत रही है कि आरक्षण का लाभ OBC की सिर्फ मजबूत जातियां ही उठा रही हैं. ऐसे में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों के आरक्षण में कम प्रभुत्व वाली OBC जातियों की स्थिति देखने की जरूरत समझी गई. इसके लिए कमीशन को ये काम दिए गए थे,

- सेंट्रल OBC लिस्ट में शामिल जातियों के बीच आरक्षण लाभों के असमान वितरण की जांच करना.

- OBC में जातियों के उप-वर्गीकरण के तरीके तय करना.

- उप-वर्गीकरण के दायरे में आने वाली जातियों या समुदायों या उप-जातियों की पहचान करना.

- OBC की सेंट्रल लिस्ट का अध्ययन करना और किसी भी तरह के दोहराव, अस्पष्टता, विसंगति और वर्तनी या ट्रांसक्रिप्शन की गलती में सुधार करने के संदर्भ में सलाह देना.

इससे पहले, 2015 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने OBC को पिछड़ा, अधिक पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग जैसी तीन कैटेगरी में बांटने की सिफारिश की थी. NCBC ने यह भी सिफारिश की थी कि OBC कोटे का लाभ ज्यादातर प्रभावशाली समूह उठा रहे हैं, इसलिए OBC के अंदर अति पिछड़ा वर्गों के लिए सब-कोटा होना चाहिए.

हालांकि, रोहिणी कमीशन ने 31 जुलाई को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में क्या-क्या कहा है, इसकी आधिकारिक जानकारी अभी सामने नहीं आई है. लेकिन, इसकी राजनीतिक अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता है. खासकर तब जब 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. इसका लोकसभा चुनाव से पहले पार्टियों की चुनावी गणना पर सीधा असर पड़ सकता है. 

क्या BJP ओबीसी सब-कोटा के पक्ष में है?

चुनावी जानकार मानते हैं कि BJP ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के दम पर OBC वोटों पर अपनी पकड़ बढ़ाई है. PM मोदी खुद भी OBC से आते हैं. पार्टी ने OBC में गैर-प्रभुत्व वाली जातियों पर भी जोर देकर चुनावी लाभ उठाया है. इसीलिए कहा जाता है कि OBC उप-वर्गीकरण की कवायद OBC के सबसे पिछड़े लोगों को लुभाने की नीति का हिस्सा है.

अनुमानों के मुताबिक, भारत की 54 फीसदी आबादी OBC जातियों में आती है. ऐसे में कोई भी पार्टी सबसे बड़े वोटिंग वर्ग को परेशान करने का जोखिम नहीं उठा सकती. OBC वोट बैंक को साधने के लिए ही कई क्षेत्रीय दल जातिगत जनगणना की भी मांग उठाते रहे हैं. इस मांग पर कहा जाता है कि इससे पिछड़े वर्गों तक सरकारी योजनाओं का लाभ बेहतर तरीके से पहुंचाने में मदद मिलेगी. जबकि, इसके राजनीतिक मायने साफ हैं. बिहार में इसी साल जनवरी में जातिगत सर्वे भी शुरू किया गया था, जिसके खिलाफ कई याचिकाएं भी दायर की गई थीं. हालांकि, पटना हाई कोर्ट ने 1 अगस्त को सभी याचिकाएं खारिज कर दीं.

रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार क्या फैसला करेगी, ये अभी साफ नहीं है. इंडिया टुडे के राहुल गौतम की रिपोर्ट के मुताबिक OBC समुदाय के एक BJP सांसद ने बताया कि पार्टी 'सबका साथ, सबका विश्वास' के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि BJP सभी समुदायों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेगी. नाम न छापने की शर्त पर बोलते हुए BJP सांसद ने कहा कि पार्टी इस विषय की संवेदनशीलता को जानती है और इसलिए, वह देखेगी कि कोई भी समुदाय इससे नाराज न हो.

वीडियो: बीजेपी के सहयोगी ने चला आरक्षण वाला दांव, राजभर पर भी कही बड़ी बात

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