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नेपाल में राजशाही आंदोलन चलवा रहा भारत, एक्सपोज कर देंगे- बोले पीएम केपी शर्मा ओली

Nepal: बीते कुछ समय से पूर्व राजा Gyanendra Shah पूरे देश में धार्मिक यात्राएं कर रहे हैं. इस बीच Nepali Congress, CPN-UML और CPN-Mao पूर्व राजा के खिलाफ मोर्चा बनाने में जुटी हैं.

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Nepal PM kp Oli claims India role in pro monarchy movement
नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली (PHOTO-AajTak)
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मानस राज
24 मार्च 2025 (Published: 12:40 PM IST) कॉमेंट्स
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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने भारत को लेकर बड़ा दावा किया है. उनका दावा है कि नेपाल में हुए 'राजशाही आंदोलन' में भारत की भूमिका काफी अहम थी. उनके अनुसार भारत ने इस आंदोलन के दौरान नेपाल की राजशाही को सपोर्ट किया. केपी ओली इसे अपने देश की संप्रभुता पर हमले की तरह पेश करते हैं.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए केपी ओली की पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पीएम ओली इस बार संसद में भारत को 'एक्सपोज़' करेंगे. दरअसल तीन दिन पहले नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी 'नेपाल-UML' की एक मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग में पार्टी के वो सभी लोग मौजूद थे, जो वर्तमान सरकार में किसी पद को संभाल रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इसी मीटिंग के दौरान केपी ओली ने राजशाही आंदोलन में भारत की कथित भूमिका और उसे एक्सपोज़ करने की बात कही. पार्टी सूत्रों के अनुसार, वो 26 मार्च को संसद में इस मुद्दे पर सदन को संबोधित करेंगे.

इस सबके बीच रविवार, 23 मार्च को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने गोरखा के मनकामना मंदिर में पूजा-अर्चना की. साथ ही नुवाकोट में उनका भव्य स्वागत किया गया. नेपाल में राजनीतिक पार्टियां पूर्व में रही राजशाही के विरोध में उतर रही हैं. पूर्व राजा के खिलाफ देश की तीन सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियां एक संयुक्त मोर्चा बनाकर मोर्चा खोले हुए हैं. हालांकि, इन तीनों पार्टियों में सबसे बड़ी साझेदार नेपाली कांग्रेस ने संयुक्त मोर्चा बनाने से इनकार कर दिया. नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा मोर्चा बनाना चाहते हैं, पर वो सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-माओवादी के साथ जुड़ने से बच रहे हैं.

(यह भी पढ़ें: फ्रांस के दो लोग साइकिल से नेपाल जा रहे थे, गूगल मैप ने ऐसा घुमाया, बरेली के एक गांव में पहुंच गए)

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया है कि अंदर ही अंदर शेर बहादुर देउबा ये मोर्चा बनाने के पक्ष में हैं. लेकिन पार्टी की प्रदर्शन मूल्यांकन समिति ने इस विचार को खारिज कर दिया है. सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-माओवादी के साथ इस मोर्चे को लेकर पार्टी सहमत नहीं है. हालांकि, सभी का मकसद एक ही है कि किसी तरह पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को गिरफ्तार करवाया जा सके.

बीते कुछ महीनों को देखें तो नेपाल में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदला है. पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पूरे देश में जाकर लोगों से मिल रहे हैं. लोग पूर्व राजा के समर्थन में सड़कों पर भी उतर रहे हैं. उनकी मांग है कि नेपाल में राजशाही वापस हो और ज्ञानेंद्र शाह फिर से राजा बनें. केपी ओली इसी का आरोप भारत पर लगा रहे हैं.

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