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जिसे तन्मय जोक कहते हैं, उसे हम लोग हिंदी में छिछोरापन कहते हैं

तन्मय वाले जोक बदल कर तन्मय पर चिपका दीजिए, FoE वाले मित्र गुस्सा हो जाते हैं.

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31 मई 2016 (Updated: 31 मई 2016, 03:44 PM IST)
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12063849_10154000973628523_3016795975285929075_nनवीन चौधरी की दो खासियतें हैं. पहली ये कि वो आर्यादित्य के पापा हैं, दूसरी ये कि वो हैंडसम हैं. बाबा बनना चाहते हैं, अभी पापा बन पाए हैं. 12 साल से मार्केटिंग के पेशे में है. ब्लॉगर हैं, ऐसा खुद का दावा है. ट्विटर हैंडल @naveen1003 पर चौड़ में एक्टिव रहते हैं. इनके पास एक DSLR भी है. दोस्ती बढ़ाने की एक वजह ये भी हो सकती है. 

“तन्मय भट्ट को देख के लगता है कि वो नर हिप्पोपोटेमस और मादा मानव के संपर्क से पैदा हुआ है.”

बुरा लगा? अरे जोक था… अच्छा दूसरा सुनो.“तन्मय के मां-बाप पांच नहीं तो तीन हज़ार साल के तो होंगे ही. जॉन स्नो मर गया, वो कब….???”

ये भी बुरा था? क्यों? अरे तीसरी दुनिया के पिछड़े बाशिंदों तुम  Humour को कब समझोगे बे? बचकाने चुटकुलों पर हंसने वालों कॉमेडी वो होती है जिसमें तुम किसी के शरीर का मजाक उड़ाओ, किसी के मां बहन को स्टेज पर खड़े होकर गाली दो. इसे कहते हैं फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन. इसे कहते है हाई-क्लास स्टैंड अप कॉमेडी. आपकी शक्ल देख कर लग नहीं रहा कि आप सहमत हैं. यार वैसा ही तो जोक था जैसा तन्मय ने लता जी और सचिन पर मारा. दरअसल मैं भी आपकी तरह तीसरी दुनिया का पिछड़ा हुआ बाशिंदा हूं और अपने ही लिखे जोक से सहमत नहीं हूं. अभी का टाइम ऐसा है कि सबके पास ओपिनियन है, मेरे पास भी. सबके पास उस ओपिनियन को देने के लिए सोशल प्लेटफार्म है. पर आप हम तो यहीं तक रह गए पर तन्मय के पास उससे आगे Snapchat था, ज्यादा नया सोशल प्लेटफार्म तो उनका बेहूदा स्टेटमेंट को जोक समझा जाना चाहिए. दरअसल मुझे तन्मय की तथाकथित कॉमेडी से उतनी तकलीफ नहीं, जितनी उसकी इस वाहियात लाइनों को फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन (FoE) और कॉमेडी कहने वालों से है. उन्हीं में से एक को मैंने ये ऊपरवाला जोक सुनाया तो बोला कि तुम पर्सनल हो रहे हो. मेरी समझ में नहीं आया कि वही शरीर और मरने वाला तन्मय का FOE मार्का जोक मैंने लता जी की जगह उस पर बोल दिया बुरा क्या हो गया. FoE वाले मित्र गुस्सा हो गए हैं. पहली बार इस तरह के चैनल्स में TVF का एक वीडियो Gangs of Social Media देखा था जो हंसा-हंसा के लोटपोट कर गया. एक दोस्त ने कहा कि AIB देख और मजेदार है. मैंने देखा और यकीन मानिए उस दोस्त की इज्जत मेरी नज़रों में गिर गयी. जो वीडियो मैंने देखा था उसमें गालियां तो नहीं थी पर कंटेंट निहायत ही घटिया दर्जे का था. मैंने उसके बाद AIB को नहीं देखा. मैं सचिन को गॉड नहीं मानता और हिंदुस्तान का ऐसा विरला पीस हूं जिसे क्रिकेट में इंटरेस्ट नहीं. लेकिन इस सब के बाद कॉमेडी के नाम पर सचिन को लता जी को मरने को कहते नहीं एक्सेप्ट कर सकता. मैं कोई आदर्शवादी किस्म का आदमी नहीं जो गाली से परहेज करे या नॉन-वेज जोक को न पढ़े. मैं अपने दोस्तों को गाली देता हूं, पर पब्लिक प्लेटफार्म पर नहीं. मैं अश्लील जोक पढता हूं, हंसता हूं, फॉरवर्ड करता हूं और जब दोस्तों की महफ़िल हो तो रस लेकर सुनाता भी हूं. इसलिए मुझे AIB के अश्लील कमेंट पर कभी गुस्सा नहीं आया. AIB roast के कुछ हिस्सों whatsapp पर मिले थे और मैंने मजे लेकर देखे थे. वीडियो देखने से पहले मुझे लगा था कि फिर से पब्लिक कुछ अश्लील जोक नहीं झेल पाई होगी. पर जब वीडियो देखा तो बहुत घटिया लगा, गुस्सा कम आया घृणा सी ज्यादा आई कि कैसे आप अपनी पब्लिसिटी के लिए सचिन जैसे खिलाड़ी की आड़ लेकर लता मंगेशकर जैसी वरिष्ठ कलाकार को गाली दे रहे हैं, उनके मरने की इच्छा कर रहे हैं और ऊपर से लिखते हैं कि “I love Sachin, I love lata ji. Have fun.” ब्लडी A**hole, Where is the fun in it? जो समझदार लोग हमें बताने लगे हैं . Take it easy boy, उनपर एक पर्सनल जोक मार दीजिये फिर देखिये. ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि लता मंगेशकर या सचिन पर कोई कॉमेडी स्क्रिप्ट लिखी गयी हो. टीवी पर एक सुगंधा मिश्रा आती है जो अक्सर लता मंगेशकर की मिमिक्री करती है. न वो उनके मरने की बात करती है, न ही उनकी शकल की. फिर भी हंसी आती है. सचिन की मिमिक्री में सचिन के कद का मजाक नहीं उड़ाते फिर भी हंसी आती है. सिर्फ लता जी और सचिन ही क्यों, रेडियो पर अरविन्द केजरीवाल को लेकर कॉमेडी show आते हैं उनको सुनिए. आप अरविन्द के फैन हों या विरोधी, हंसी आ जाएगी पर मजाल है कि उसमें वाहियात शब्द इस्तेमाल हुए हों. NDTV पर गुस्ताखी माफ़ देख लीजिए या आज तक पर So Sorry – मोदी, राहुल, सोनिया सब पर कार्टून बनाते है पर कभी पर्सनल नहीं होते. लोग मुस्कुराते हैं शेयर करते हैं. अगर आप तन्मय के इस वीडियो की बुराई करते हुए भी इसे बुरा ‘जोक’ कह रहे हैं तो आप असल में ‘जोक’ ही नहीं ‘बुरे जोक’ की भी इन्सल्ट कर रहे हैं. जिसे तन्मय और उनके 5-6 साथी जोक कहते हैं उसे हम लोग हिंदी में छिछोरापन कहते हैं. जोक का स्तर तन्मय या उसके ग्रुप के 5-6 छिछोरे किस्म के लोगों की स्क्रिप्ट से बहुत ऊपर हैं. हम आप भड़कते रहें पर तन्मय की तो दुकान चल गई. उसे फर्क नहीं पड़ता. बेहतर तरीका है कि ऐसे तथाकथित जोक्स वाले चैनल को Unsubscribe करके चैन से सोया जाए. जाते-जाते तन्मय के कुछ और जोक Twitter से लाया हूं आपके लिए. पसंद आए तो शेयर करिएगा नहीं तो तू कॉमेडी क्या जाने चू**, गां*. गालियों का बुरा मत मानना. जोक था जोक. Tanmay tweets
खत्म हो गया, आगे बढ़ें, और पढ़ें  - लोग मार्केटिंग वालों से पूछते हैं, सेल्समैन बनने के लिए लाखों खर्च क्यों किए?

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