16 जून 2016 (Updated: 16 जून 2016, 03:04 PM IST) कॉमेंट्स
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हिन्दुस्तानी मिडल क्लास बाप. समस्याएं कई होती हैं लेकिन एक समस्या जो सबसे गंभीर होती है वो है उसका लड़का. कहीं नाकारा निकल गया तो? नौकरी नहीं मिली तो? कभी कुछ किया नहीं तो? घर नहीं चला पाया तो? बुढ़ापे का सहारा नहीं बन पाया तो? इन्हीं सब चिंताओं से घिरा एक बूढ़ा होता बाप है. बेटे को घुड़कता है तो बेटा जवाब दे देता है. अजी जवाब क्या, लक्ष्मण रेखा खींच लेता है. अपने और बाप के बीच. और मन ही मन ठान लेता है कि करेगा तो अपने ही मन की करेगा. और करेगा भी ऐसा कि बाप भी याद करेगा कि कोई बेटा पैदा किया था.
बाप की एक और बहुत बड़ी समस्या है. घर का टीवी. ये भी हर मिडल क्लास घर की समस्या होती है. हर बाप की तरह ये बाप भी क्रिकेट का शौकीन है लेकिन टीवी साथ नहीं देता है. ऐसे में क्या हो? एक तो बेटे से अनबन, ऊपर से मैच देखने को नहीं सिर्फ सुनने को मिलता है.
लेकिन प्यार दोनों के बीच में अब भी भरपूर है. बेटा नया बिज़नेस शुरू करता है और बाप उसपे फ़क्र करना. लेकिन बोलती दोनों की बंद है. जैसे वनवास में हों. यही नाम है इस वीडियो का. वनवास.
कहानी है इस वनवास से निकलने की. दो दिलों को मिलाने की. हालांकि वो अलग कभी हुए ही नहीं थे. और हां, एक मां भी है. बहुत प्यारी. इस बाप-बेटे के बीच चल रही तकरार में फंसी दर्शक बनी हुई है. एकदम मेरी मां सी है. दावे के साथ कहता हूं, हर किसी को अपनी मां सी लगेगी.
नेटिव फ़िल्म्स के इस वीडियो में पियूष मिश्रा हैं. बाप बने हुए. स्क्रीन पर इन्हें देखने से अच्छा शायद ही कुछ और हो. बेटा है प्रबल पंजाबी. नाम नहीं मालूम होगा लेकिन चेहरा देखते ही पहचान जायेंगे. अबकी बार नाम याद कर लीजियेगा. एक बात और है. मैच की कमेंट्री सुनाई देती है आपको इस वीडियो में. वो आवाज़ है 'जिया हो बिहार के लाला' लिखने वाले वरुण ग्रोवर की. कान में पहुंचते ही आवाज़ समझ आ जाती है.
वीडियो देखकर दिल सीधे घर पहुंच जाता है. और घर की घंटी बजाने लगता है. याद आती है पापा की और उनसे की हुई सभी लड़ाइयों की. वीडियो देखते ही फ़ोन करने को जी चाहता है. मैं जा रहा हूं फ़ोन करने. वीडियो खतम होके आप भी कर लेना.
https://www.youtube.com/watch?v=t-d5hEewXtY