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अमेरिका की संसद में बोले मोदी, टेररिज्म का गढ़ भारत के पड़ोस में है

कहा, हम एशिया से अफ्रीका तक शांति चाहते हैं, इंडिया-अमेरिका के रिश्तों से हिचकिचाहट दूर हो गई है.

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आशीष मिश्रा
8 जून 2016 (Updated: 8 जून 2016, 05:25 AM IST) कॉमेंट्स
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वाशिंगटन दौरे के दूसरे दिन पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार को कैपिटल हिल पहुंचे. और अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. मोदी जी ने क्या-क्या कहा यहां पढ़ें. मोटी-मोटी बातें. अक्षरश: नहीं, लेकिन जो कहा. उसके मायने.


अमेरिका की संसद में बोलने का मौका मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है.

एक डेमोक्रेसी से दूसरी डेमोक्रेसी को भी ताकत मिलती है. सारे नागरिक समान हैं, ये अमेरिका की मूल भावना. अमेरिका वीरों का देश है.अमेरिका की डेमोक्रेसी पूरी दुनिया के लिए मिसाल है, डेमोक्रेसी में भरोसा ही भारत और अमेरिका को जोड़ती है.फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन हमारा मूल अधि‍कार है.जाति-धर्म में अनेकता के बाद भी भारत एक है.अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था अमेरिका और इंडिया नेचुरल एलाई हैं.जब मुंबई में हमला हुआ तो अमेरिका हमारे साथ खड़ा था, उसके लिए मैं ग्रेटफुल हूं.बी.आर. अंबेडकर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में कई साल बिताए थे. उनने अमेरिकी संविधान का गहराई से अध्ययन किया था.आजादी की 75वीं सालगिरह पर मेरी टू डू लिस्ट बड़ी लंबी है, 100 स्मार्ट सिटी बनानी हैं, एक अरब लोगों को ब्रॉडबैंड दिलाना है, 2022 तक भारत की इकॉनोमी को आत्मनिर्भर बनाना है.

इंडिया अमेरिका के रिश्तों से हिचकिचाहट दूर हो गई है.

अमेरिका में 3 करोड़ लोग योग करते हैं. योग दो देशों को जोड़ता है. और हमने तो अभी तक योग पर बौद्धिक संपदा वाला दावा भी नहीं किया है.

भारतवंशी आपके बेस्ट सीईओ, एकेडमिक्स, साइंटिस्ट्स, इकोनॉमिस्ट्स और डॉक्टर हैं, यहां तक की स्पेलिंग बी चैम्पियन भी.

भारत, एशिया से अफ्रीका तक शांति चाहता है.

जो भी इंसानियत में भरोसा रखते हैं, उन्हें एक साथ आना चाहिए. और आतंकवाद के खिलाफ एक स्वर में बोलना चाहिए.

नेपाल, मालदीव और श्रीलंका की त्रासदियों में सबसे पहले हम मदद के लिए आगे आए थे, यूएन की शांति सेना में हमारी हिस्सेदारी सबसे ज्यादा होती है.

आतंकवाद को धर्म से अलग करना पड़ेगा.

हमारा पास्ट पीछे छूट गया है, और भविष्य की नींव मजबूती से रखी जा चुकी है.

भारत में धरती माता के साथ सामंजस्य रखना हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा है.

मैं अमेरिकी संसद की तारीफ़ करना चाहता हूं, जिन्होनें अपनी पॉलिटिक्स के लिए आतंकवादियों को शह देने वालों को कड़ा संदेश दिया है.

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