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कर्नाटक में मुस्लिम व्यक्ति ने बनवाया मंदिर, गुजरात में मंदिर ने इफ्तार के लिए खोले दरवाजे

जहां आए दिन हमें सांप्रदायिक तनाव की खबरें देखने और पढ़ने को मिलती हैं, वहीं दूसरी तरफ इस बीच देश के दो राज्यों से सांप्रदायिक सद्भाव की ऐसी मिसाल देखने को मिली है, जिसके लिए हमारा देश हमेशा से जाना जाता रहा है.

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वरांडा वीर महाराज मंदिर में होगा रोजा इफ्तार (फोटो: इंडिया टुडे)
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जागृतिक जग्गू
9 अप्रैल 2022 (Updated: 9 अप्रैल 2022, 10:54 PM IST)
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नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela)ने एक बार कहा था कि लोग अगर नफरत करना सीख सखते हैं तो, वे प्यार करना भी सीख सकते हैं, क्योंकि नफरत के मुकाबले प्यार इंसानी दिल में स्वाभाविक रूप से आता है. एक तरफ, जहां आए दिन हमें सांप्रदायिक तनाव की खबरें देखने और पढ़ने को मिलती हैं, वहीं दूसरी तरफ इस बीच देश के दो राज्यों से सांप्रदायिक सद्भाव की ऐसी मिसाल देखने को मिली है, जिसके लिए हमारा देश हमेशा से जाना जाता रहा है.

एक तरफ जहां कर्नाटक में एक मुस्लिम व्यक्ति ने गणेश मंदिर का निर्माण कराया है, तो वहीं दूसरी तरफ गुजरात में एक सैंकड़ों साल पुराने मंदिर ने अपने दरवाजे रोजा और इफ्तार के लिए खोल दिए हैं. इन दो मामलों को देखकर नेल्सन मंडेला का ये कथन सच लगता है.

रिटायरमेंट के पैसों से बनवाया मंदिर

कर्नाटक (Karnataka) में एक जिला है चामराजनगर (Chamarajanagar). यहां के चिक्काहोल (Chikkahole) इलाके में रहते हैं पी रहमान. रहमान चिक्काहोल रिजर्वायर में गेट ऑपरेटर के पद पर काम करते थे. 2018 में वो रिटायर हो गए थे. चिक्काहोल रिजर्वायर के पास एक गणेश मंदिर है. न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, रहमान बताते हैं कि उनके रिटायर होने से कुछ महीने पहले ही इस मंदिर से भगवान गणेश की मूर्ति गयाब हो गई. स्थानीय लोगों और पुलिस ने मिलकर मूर्ति को काफी ढूंढा, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली. एक दिन अचानक रहमान को रात में सोते हुए एक सपना आया. सपना भी ऐसा आया जिसे रहमान भूल नहीं सके. रहमान बताते हैं कि उनके सपने में खुद भगवान गणेश आए और भगवान ने रहमान को उनका मंदिर बनाने के लिए कहा.

कुछ दिनों बाद रहमान रिटायर हो गए. रिटायरमेंट में उन्हें जो भी पैसा मिला, उसी से चिक्काहोल गांव में दूसरी जगह एक गणेश मंदिर बनवा दिया. रहमान बताते हैं,

"मैं 2018 में रिटायर हुआ था, तभी से गणेश भगवान मेरी जिंदगी में आए. जिस तरह हमारे लिए अल्लाह हैं, बिल्कुल उसी तरह दूसरों के लिए गणेश हैं. सबका खून लाल रंग का है, मुझे तो यहां कोई अंतर नजर नहीं आता."

रहमान ने न सिर्फ मंदिर बनवाया है, बल्कि उन्होंने मंदिर में रोज पूजा-पाठ करने के लिए एक पुजारी को भी रखा है, जिसे वे हर महीने अपनी पेंशन में से 4 हजार रुपए की सैलरी भी देते हैं.

इफ्तार के लिए मंदिर ने खोले दरवाजे

भाईचारे की दूसरी मिसाल गुजरात (Gujarat) के बनासकांठा (Banaskantha) जिले के दलवाना गांव ने पेश की है. इस गांव में 12 सौ साल पुराना वरंद वीर महाराज का एक मंदिर है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार, 8 अप्रैल को मंदिर की ट्रस्ट और ग्राम पंचायत ने फैसला किया कि गांव के मुसलमानों के इफ्तार करने के लिए मंदिर के दरवाजे खोल दिए जाएं.

Vir Maharaj Temple

वरंद वीर महाराज मंदिर (फोटो: गूगल मैप)

मंदिर के पुजारी पंकज ठाकुर का कहना है कि पहली बार ऐसा हुआ है जब मंदिर प्रांगण में इफ्तार का आयोजन किया जाएगा. पंकज ठाकुर कहते हैं,

"कई बार हिंदू और मुसलमानों के कई त्योहार एक ही दिन पड़ते हैं और हर बार हम एक-दूसरे की मदद करते हैं. हम सब सद्भावना और भाईचारे के साथ रहने में विश्वास रखते हैं. इस बार हमने रोजेदारों को इफ्तार के लिए मंदिर में आमंत्रित किया है. हमने इफ्तार करने के लिए पांच-छह तरह के फल, खजूर और शर्बत का इंतजाम किया है. हमारे गांव में करीब 100 मुसलमान भाइयों ने रोज रखा है. मैंने खुद स्थानीय मस्जिद के मौलाना को इफ्तार के लिए मंदिर में आमंत्रित किया है." 

मंदिर के इस फैसले से गांव के मुसलमान काफी खुश हैं. गांव के ही 35 वर्षीय वसीम खान बताते हैं कि इलाके में उनके गांव की हिंदू-मुसलमान भाईचारे की मिसाल दी जाती है. हमने भी कई हिंदू आयोजनों में मदद की है. मंदिर के इस फैसले ने हमें भावुक कर दिया है. वहीं गांव की सरपंच पिंकीबा राजपूत बताती हैं कि रामनवमी और होली जैसे त्योहारों में हमारे मुसलमान भाइयों ने हमारी काफी मदद की है. इस साल हमने सोचा है कि हम भी उनके लिए ऐसा ही कुछ करें. हमारा गांव देशभर के लिए भाईचारे की मिसाल है.

इस खबर के सामने आने के बाद वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवानी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में स्थित एक गांव ने ऐसी मिसाल पेश की है. देश को ऐसे ही प्यार, भाईचारे सौहार्द की जरूरत है.

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