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कहानी मटका किंग के मर्डर की, और 60 लाख की सुपारी की

मुंबई पुलिस ने इस फिल्मी कहानी के सभी विलेन की साजिश बेनकाब कर दी है

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पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपी पिता को अरेस्ट कर लिया है. (फोटो-सांकेतिक)
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Varun Kumar
22 दिसंबर 2020 (Updated: 22 दिसंबर 2020, 05:03 PM IST) कॉमेंट्स
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एक माफिया, जिसका कत्ल कर दिया गया. एक पत्नी, जिसने अपने ही पति का कत्ल करा दिया. एक भाई, जिसे अपने माफिया भाई की मौत का बदला लेना था. और एक साजिश, जिसका पर्दाफाश पुलिस ने कर दिया. ये कहानी पूरी फिल्मी लगती जरूर है लेकिन मुंबई पुलिस की मानें तो पूरी तरह सच है. मामला एक कत्ल की साजिश और 60 लाख की सुपारी का है. लेकिन इस केस की जड़ें वक्त की गहराई में दबी हैं. लिहाजा कहानी को शुरू से शुरू करते हैं. वक्त के पहिए को थोड़ा सा पीछे घुमा लेते हैं. 10-15 साल पहले तक सट्टा कई शहरों में खुलेआम चला करता था. बहुतेरे युवा इसकी लत के शिकार थे. मुंबई में सट्टे का ही एक वर्जन चला करता था. मटका. इस मटके का साम्राज्य बहुत बड़ा था. गुजरात से मुंबई पहुंचे कल्याण भगत ने इसे 1950 के दशक में शुरू किया था. कल्याण भगत के सहयोगी रतन खत्री ने जब अपना कारोबार शुरू किया तो बहुत पैसा और नाम कमाया. कल्याण भगत की मौत के बाद धंधे की कमान संभाली उनके बेटे सुरेश भगत ने. सुरेश को मटका किंग कहा जाता था. मुंबई में उसके नाम का सिक्का चलता था लेकिन उसे अंदाजा नहीं था कि मौत कहां से उस पर वार करेगी. आरोप है कि सुरेश की पत्नी जया भगत और बेटा हितेश भगत उसे मारने का प्लान बनाने लगे थे. पुलिस के मुताबिक, अरुण गवली गैंग के बदमाश सुहास रोगे के साथ जया भगत की दोस्ती थी. सुरेश के इस मटके के धंधे पर कब्जे के लिए दोनों ने मिलकर उसे रास्ते से हटाने का प्लान तैयार किया. साल 2008 में एक ट्रकवाले को सुपारी देकर सुरेश भगत की गाड़ी को अलीबाग से मुंबई के रास्ते पर ही कुचल दिया गया. अपराधियों ने सोचा होगा कि हत्या को हादसे की शक्ल देकर वो बच जाएंगे लेकिन सुरेश भगत इस खतरे को पहले ही भांप चुका था. उसने जिंदा रहते ही मुंबई क्राइम ब्रांच को बता दिया था कि उसके अपने ही उसकी जान के दुश्मन बन सकते हैं. उसने हाईकोर्ट को भी चिट्ठी लिख कर अपनी जान का खतरा बताया था. उसके पुराने बयानों के आधार पर पुलिस ने उसके कत्ल की तफ्तीश शुरू की, तो सारी कहानी साफ हो गई. पुलिस ने जया भगत, हितेश भगत, ट्रक ड्राईवर और सुहास रोगे समेत 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन कहानी खत्म नहीं हुई. यहां पर कहानी में एंट्री होती है सुरेश भगत के भाई विनोद भगत की, जो बदले की आग में जल रहा था. कुछ वक्त पहले उम्रकैद की सजा काट रही जया भगत को जमानत मिली. वो जेल से अपनी बहन के घर घाटकोपर पहुंच गई. यहां बता दें कि हितेश भगत की मौत साल 2014 में कोल्हापुर के एक अस्पताल में हो गई थी. अब विनोद के निशाने पर थी भाभी जया भगत और उसकी बहन, जिसके साथ जया रहती थी. पुलिस का कहना है कि विनोद ने अपना बदला पूरा करने के लिए 60 लाख की सुपारी दी. दो लाशें. हर लाश के एवज में 30 लाख. तैयारी पूरी थी. लेकिन प्लान परवान चढ़ता, उसके पहले ही सुपारी किलर पुलिस के हत्थे चढ़ गए. 18 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बिजनौर का रहने वाला अनवर दर्जी गिरफ्तार कर लिया गया. दर्जी के पास से जया और उसकी बहन आशा की तस्वीरें मिलीं. साथ ही उस जगह के वीडियो जहां दोनों रहती थीं. पुलिस के मुताबिक, दर्जी को कत्ल का ये कॉन्ट्रैक्ट जावेद अंसारी ने दिया था. जावेद को रामवीर शर्मा उर्फ पंडित ने कॉन्ट्रैक्ट दिया था. और पंडित को ये कॉन्ट्रैक्ट बशीर बेगानी उर्फ मामू ने दिया था, जो इंग्लैंड के मैनचेस्टर में रहता है. मामू, पंडित और विनोद भगत काफी पहले से एक दूसरे को जानते थे. भाई की मौत का बदला लेने कि लिए विनोद ने मामू से संपर्क किया था. मुंबई क्राइम ब्रांच के डीसीपी अकबर पठान ने बताया कि मामू को जब पैसे मिल गए तो उसने 14 लाख रुपये पंडित को ट्रांसफर कर दिए. पैसा मिलने के बाद बिजनौर के शूटर्स ने जया को मारने का प्लान तैयार कर लिया. अनवर दर्जी की गिरफ्तारी के बाद जावेद को बिजनौर और पंडित को राजस्थान के पालमपुर से गिरफ्तार कर लिया गया. इन गिरफ्तारियों के बाद अब जाकर ये बात खुली कि साजिश के पीछे कौन था. अब पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है.

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